: सर्विस डिसकंटीन्यू का झांसा देकर महिला हेल्पलाइन के 400 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की तैयारियां शुरू : महिला हेल्प लाईन 181 को पिछले एक साल से नहीं मिला मानदेय :
गौरव कुशवाहा
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल महिला हेल्पलाइन 181 सरकारी उपेक्षा के चलते इन दिनों दम तोड़ती नजर आ रही हैं। महिला हेल्प लाईन 181 की महिला कर्मचारियों को पिछले एक साल से मानदेय नही मिला हैं।इसके साथ ही बजट के अभाव में रेस्क्यू ऑपरेशन भी ठप हैं।बिना मानदेय के सुगमकर्ताएँ आर्थिक संकटो से जूझ रहीं हैं।
सूबे का प्रसाशनिक अमला भी इन महिलाओं की खराब आर्थिक स्थिति का जिम्मेदार माना जा रहा हैं। स्थिति यह है कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में कार्यरत 181 की महिला कर्मचारियों को मानदेय नही मिलने से इनके परिवार भुखमरी लाचारी आदि समस्याओं से किल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर हो गए हैं। वहीं प्रदेश भर में एक फोन कॉल से उत्पीड़न की शिकार हुई महिलाओं की मदद के लिए दौड़ने वाली 181 रेस्क्यू वैन भी बजट के अभाव में खड़ी हैं। विश्वश्त सूत्र बताते है कि पिछले एक साल से बजट पास करने कराने का खेल महिला कल्याण विभाग के आला अधिकारियों और सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी के एक अधिकारी के बीच खेला जा रहा हैं।
इसी खेल के तहत राम राज्य में महिलाओं की दशा सुधारने के लिए तैनात महिला हेल्प लाईन 181 के दमन की तैयारियां जोर पकड़ने लगी हैं।सूत्र बताते हैं कि महिला कल्याण विभाग द्वारा चयनित सेवा प्रदाता एजेंसी जीवीके ईएमआरआई लखनऊ योगी सरकार से बजट नही मिलने के कारण सूबे के 75 जिलों में कार्यरत महिला हेल्पलाइन 181 की लगभग 400 सुगमकर्ताओं को सर्विस डिसकंटीन्यू का झांसा देकर उन्हें टर्मिनेट करने का स्वांग रच रही है।
चर्चायें चल रहीं हैं कि कहीं न कहीं इस मामले में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अनदेखी से पूरे उत्तर प्रदेश में पीड़ित महिलाओं की मदद करने वाली 181 की सुगमकर्ताएँ करीब एक साल से आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकार हो रहीं हैं।कहने की जरूरत नहीं है कि उत्तर प्रदेश की अफ़सरशाही नीतियों ने मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना महिला हेल्पलाइन 181 को जर्जर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी हैं।सूबे के 75 जिलों में उत्पीड़न का शिकार हुई महिलाओं के हितों की रक्षा और उन्हें न्याय दिलाने वाली महिला हेल्पलाइन 181 की करीब 400 महिला सुगमकर्ताओं को पिछले एक साल से मानदेय नहीं मिला हैं।आज स्थिति ये है प्रदेश भर में महिलाओं की मदद को तैयार 181 की महिलाएं खुद की मदद के लिए लाचार बना दी गई हैं।एक साल से मानदेय नहीं मिलने से आलम ये हैं कि किसी के पास मकान का किराया देने का भी पैसा नहीं हैं।तो कितनी सुगमकर्ताएँ अपने बच्चों की फीस भरने को मोहताज हैं।बिना
मानदेय के कार्य कर रही हेल्पलाइन की महिलाएं खुद पीड़ित की भूमिका में आ गई हैं।
वहीं सूत्रों से खबर मिली हैं कि जीवीके एजेंसी महिलाहेल्प लाईन 181 में कार्यरत लगभग 400 महिलाओं को एक साल का बकाया मानदेय नहीं देना चाहती हैं।इसलिए जीवीके एजेंसी द्वारा सर्विस डिसकंटीन्यू का स्वांग रच उन सभी को टर्मिनेट करने की रणनीति बनाई जा रहीं हैं।
सूत्र ये भी बताते है कि जीवीके एजेंसी लखनऊ के मैनेजर आशीष वर्मा महिला हेल्प लाईन 181 में कार्यरत सभी सुगमकर्ताओं को झांसा दिया हैं की 1 महीने के लिए सर्विस डिसकंटीन्यू कर देने से योगी सरकार पर बजट के लिए दबाव बन जायेगा।