कानपुर हादसा : डाकू ददुआ का आज्ञाकारी आईजी मोहित अग्रवाल

दोलत्ती

: एसओ से लेकर आईजी तक दरिंदों को पे-रोल पर रहते हैं : रायबरेली में ददुआ को एक हवेली हड़पाने के लिए एक बुजुर्ग के पूरे खानदान को रासुका में बंद करने की साजिश की थी मोहित ने :

कुमार सौवीर

कानपुर : ऐसा तो शायद सिर्फ फिल्‍मों में ही दिखायी पड़ता रहा है कि पूरा का पूरा सिस्‍टम ही भ्रष्‍टों, बेईमानों और अपराधियों के तलवे चाटने वाले नेताओं और अफसरों से खचाखच भरा हो। लेकिन कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों ने ऐसी कहानियों को सच साबित कर दिया है। इस कहानी में कानपुर के सीओ समेत आठ पुलिस कर्मचारियों को पूरी निर्ममता के साथ मौत के घाट उतार डालने वाले पिशाच विकास दुबे के साथ बिलकुल सट कर मुस्‍कुराते हुए फोटो खिंचवाते प्रदेश के मंत्री ब्रजेश पाठक दिखायी पड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर क्षेत्र का कोतवाल विनय तिवारी है जो विकास दुबे के लिए काम करता रहा है और पुलिस दबिश की मुखबिरी विकास दुबे को कर देता है, जिसका अंजाम इस भयावह अंजाम तक पहुंचता है। तीसरे कोने पर खड़े दिख रहे हैं जिले के वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव तिवारी, जिनके दफ्तर से विकास दुबे की हरकतों और पुलिस के जांच अधिकारी की मिली-भगत की सूचना देने वाले पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्र के पत्रों का अतापता ही नहीं होता। लेकिन हैरत की बात है कि अपने जोन में होने वाली पुलिस की डरावनी चूकों, मिली-भगत और चल रहे धंधों का हिसाब तक रखने की जरूरत नहीं समझते हैं जोन के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल।

जी हां, बिकरू गांव के विकास दुबे ने पिछले दिनों दिल दहलाने का कांड नहीं कर डाला होता, तो यूपी की राजनीति, प्रशासन और पुलिस विभाग में भीतर ही भीतर लगातार भड़कती जा रही भयावह सड़ांध का पता ही नहीं चल पाता। नेताओं और पुलिस विभाग की कलई न खुल पाती। लेकिन आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने के कांड ने साबित कर दिया कि इस डरावनी कहानी बन चुके इस मामले का समाधान अब केवल विकास दुबे को एनकाउंटर में मार डालने तक ही सीमित नहीं हो सकेगा। सच बात तो यह है कि इसके लिए तो अब एक चहुंओर बड़े ऑपरेशनों की जरूरत है।

लेकिन आज बात सीधे आईजी पर कर ली जाए। अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ के चलते कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल एक तेज-तर्रार पुलिस अफसर माने जाते हैं। लेकिन जानकार बताते हैं कि अपने करीब 25 बरस की नौकरी के दौरान आईजी मोहित अग्रवाल ने अधिकांश कामों को जिस तरीके से अपने काम को अंजाम दिया है, उससे उनके आकाओं और साथियों में तो खुशी की लहर उठती रहती है, लेकिन उनके अधिकांश कामों में कानून और संविधान ही नहीं, बल्कि इंसानियत भी चीख-चीख कर कराहनी शुरू कर देती है।

फर्रूखाबाद में हुए करथिया कांड के बाद से ही मोहित अग्रवाल के चेहरे पर तो नकाब ही उतर गया। हालत यह है कि फर्रूखाबाद के मोहम्‍मदाबाद करथिया गांव में हुई इस घटना को मोहित अग्रवाल ने न केवल किसी बेहूदी और घटिया नौटंकी की तरह पेश कर दिया, बल्कि अपने अधीनस्‍थों में भी ऐसे ही रक्‍त का संचार कर दिया। उधर आम आदमी इस हादसे से बुरी तरह आहत और राजनीति, सत्‍ता और सरकार की विश्‍वसनीयता के मसले पर अविश्‍वसनीय मोड़ तक पहुंच चुका है।

दरअसल, आईजी मोहित अग्रवाल की इस मासूम-सी दिखने वाली पुलिसिया कहानी में केवल चालाकियां, चालबाजियां, फरेब और षड्यंत्र ही षडयंत्र भरा है। सूत्र बताते हैं कि मोहित अग्रवाल बिना किसी अर्थ के कोई दायित्‍व निभाने में संकोच करते हैं।

इलाहाबाद के पूर्व मण्‍डलायुक्‍त देवेंद्र नाथ दुबे ने दोलत्‍ती संवाददाता को बताया कि किस तरह मोहित अग्रवाल ने अपने रायबरेली में पुलिस कप्तान पद से वहां के एक निहायत शरीफ परिवार के वयोवृद्ध मुखिया समेत पूरे खानदान को रासुका में बंद कर देने की साजिश रची थी। देवेंद्र दुबे उस समय रायबरेली में जिलाधिकारी थे। मोहित अग्रवाल और उसके आका की साजिश थी कि इस वयोवृद्ध और उसके पूरे परिवार को राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराओं में जेल भेज दिया जाए, और इस तरह इस परिवार की विशाल हवेली खाली हो जाए। मंशा यह थी कि यूपी के दुर्दांत अपराधी ददुआ गिरोह के करीबी को रिश्‍तेदार को इस हवेली का कब्‍जा दिलवा दिया जाए। यह साजिश रची थी मोहित अग्रवाल के आका अरविंद कुमार जैन ने, जो उस वक्‍त लखनऊ में आईजी के पद पर आसीन थे।

हमने दोलत्‍ती डॉट कॉम के लिए रायबरेली के डीएम रहे देवेंद्र नाथ दुबे से उस हादसे पर लम्‍बी बातचीत की, जिसे तब के पुलिस अधीक्षक रहे मोहित अग्रवाल ने दुर्दान्‍त अपराधी ददुआ के इशारे पर बुना था। श्री दुबे ने दोलत्‍ती को बताया कि किस तरह रायबरेली में एक बुजुर्ग व्‍यक्ति के पूरे खानदान को राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका में बंद कर देने की साजिश बुन ली थी मोहित अग्रवाल ने। दरअसल यह पूरी बुनावट इसलिए तैयार की गयी थी ताकि रासुका में जब इस खानदान को जेल में बंद कर दिया जाएगा, तो नियमानुसार उसकी जमानत लम्‍बे समय तक नहीं हो पायेगी। और इसी बीच एक व्‍यक्ति को इस हवेली में कब्‍जा कर लिया जाएगा। दुबे जी बताते हैं कि मोहित अग्रवाल ने ही उनसे कुबूला था कि जिस व्‍यक्ति को यह हवेली का कब्‍जा दिलाने की साजिश की जा रही है, वह दरअसल दुर्दान्‍त डाकू ददुआ का करीबी है और इस कवायद के लिए डाकू ददुआ ने ही पुलिस महानिदेशक अरविंद जैन से सिफारिश की थी।

दुर्दान्‍त डकैत ददुआ से पुलिस की गलबहियां, एसपी से लेकर डीजीपी तक सभी तर-ब-तर

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