अमर उजाला: चली गयी परधानी, अब का करिहौ ?

बिटिया खबर

: आजमगढ़ रवाना हो गये ब्‍यूरोचीफ, जौनपुर ने ली राहत की सांस : सांड़ को भी दुह डालते थे अंकुर शुक्‍ला, अब चीफरी छोड़ स्ट्रिंगरी करेंगे : पत्रकारिता के नाम पर पैशाचिक करतूतें करते हैं यहां के पत्रकार, कोई नकद तो कोई बेचता है बीवी की बीमा पॉलिसी : छिछोरा है सरकारी टीचर, बना डीएम की कांख का बाल :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अमर उजाला के ब्यूरो चीफ अंकुर शुक्ला को अपनी करनी का फल मिल ही गया। खबर है कि तानाशाही करके प्रतिनिधियों से वसूली करने वाले अमर उजाला के ब्यूरो चीफ को अब आजमगढ़ का रास्‍ता दिखाया गया है। ब्‍यूरो चीफरी की कुर्सी पर बैठ कर सहायकों पर आतंक और धन-दोहन में माहिर इस पत्रकार को अमर उजाला ने आजमगढ़ में कार्यालय सहायक बना दिया है। खबर तो यहां तक है कि आजमगढ़ के रास्‍ते ही उन्‍हें संस्‍थान से बाहर कर दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार अखबार का सर्वेसर्वा समझकर ब्यूरो चीफ अंकुर ने जमकर मनमाना काम किया। प्रतिनिधियों से नगदी और सामानों की डिमांड की। कुछ प्रतिनिधि तो आखिरी तक झोल देकर अपना पीछा छुड़ाने मे कामयाब रहे। लेकिन कुछ लोग नतमस्तक हुए और आर्थिक मदद की बदौलत अखबार के सेवक बने रहे। जिन्होने सीधे इंकार किया उनपर सीधी कार्रवाई करके पैदल करने में अंकुर शुक्ला ने जरा भी संकोच नहीं किया। निकालने के लिए ऊपर तक झूठी रिपोर्ट भेजने में खासी महारत रही जिसका नतीज़ा रहा कि केराकत काफी पुराने रहे अब्दुल हक अंसारी का विकेट गिरा दिया। इसके बाद एक एक करके बरसठी से प्रतिनिधि रहे बृजराज चौरसिया, खुटहन के संतलाल सोनी, सुईथाकलां से संतोष दीक्षित, न्यायालय के प्रतिनिधि कुंवर सिद्धार्थ सिंह, शाहगंज के एखलाक खान और आनंद देव यादव को पैदल कर दिया। अजय सिंह की मौत के मूल कारणों में यहां की राजनीति बतायी जाती है।

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अंकुर की इस कार्रवाई से जहां तमाम प्रतिनिधि सकते में आ गए वहीं निकाले गए लोगों मे भी सन्नाटा पसर गया। इन्हीं में शाहगंज के पत्रकार एखलाक ने खुद को निकाले जाने का कारण अंकुर शुक्ला से जानने का प्रयास किया। जो उनके जबाव से संतुष्ट नहीं हुए तो अखबार के सम्पादक समेत मालिकान तक न्याय की गुहार लगाते हुए ब्यूरो चीफ अंकुर शुक्ला के क्रियाकलापों की जांच की मांग किया। विभागीय जांच में अंकुर शुक्ला पर लगे हुए धन उगाही के आरोप सही पाए गए। फिर बनारस में बैठे प्रबंधन ने अंकुर पर अंकुश लगाते हुए उनका स्थानांतरण कार्यालय सहायक के तौर पर आजमगढ़ के लिए कर दिया। मंगलवार की सुबह वह नई तैनाती के लिए रवाना हो गए।
खबर है कि सोनभद्र में कार्यरत मनीष को यहां की कुर्सी दी जा सकती है। जबकि अंकुर शुक्‍ला को आजमगढ़ के रास्‍ते संस्‍थान से निकाल बाहर करने की जुगत लगायी जाएगी।

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