“हार-चोर” बाप की आंखें डबडबा पड़ी:- “ग्रहण तो सूर्य पर भी होता है”

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: मुख्य सचिव आलोक रंजन के घर हुई कथित चोरी में दो महीने तक अवैध हिरासत का मामला : मेरे खानदान में पाप नहीं हो सकता, हार-चोरी तो दूर की बात है : केदारनाथ जी का प्रकोप तो सबने देखा है, जिन्होंने नहीं देखा, वे भी देख लेंगे :

कुमार सौवीर

नई दिल्लीं : “ जो भी अति करेगा, जो किसी का दिल दिखायेगा, जो पाप करेगा, जो अनाचार में लिप्त होगा, जो झूठ बोलेगा, जो अनर्थ करेगा, जो निर्दोष प्राणियों को सतायेगा, वह कभी भी खुश नहीं रह सकता है। हो सकता है कि आज ऐसे लोग आनन्द  या मौज ले रहे हों, लेकिन अपने कर्मों और कुकर्मों की सजा तो हर शख्स को भुगतनी पड़ेगी। केदारनाथ बाबा किसी को भी नहीं छोड़ते। तीन साल पहले हुए हश्र को देख लीजिए जिसमें पूरा उत्तराखंड बह गया था। मौत का नाच हुआ था। भोलेनाथ ने किस को किस बात की सजा दी, यह तो वह ही जानें, लेकिन मैं इतना जानता हूं कि ईश्वर के विधान से कोई नहीं बच सकता है। ”

यह दर्शन है धर्म सिंह बिष्ट का। धर्म सिंह बिष्ट ही वह अभागे व्यक्ति हैं जो यूपी के एक्सटेंशन हासिल हुए मुख्य सचिव आलोक रंजन के घर हुई तथाकथित बेशकीमती हीरों के हार की चोरी में फंसाये गये सुनील सिंह बिष्ट के बाप हैं। वैसे इस हार चोरी को लेकर अनेकानेक चर्चाएं बाजार में तैर रही हैं। मसलन यह चोरी वाकई थी या फिर कपोल‍-‍कल्पित थी। किसी बाहरी ने चोरी किया था या फिर घर में ही किसी ने उसे पार कर दिया था। यह हकीकत की चोरी थी या फिर केवल गल्प।

बहरहाल, हकीकत चाहे कुछ भी हो, इस तथाकथित चोरी के मामले में पुलिस ने दो महीनों तक जिन दो कर्मचारियों को बेहद अमानीवयता का प्रदर्शन करते हुए उन्हें  गैर-कानूनी पुलिस हिरासत में रखा, वे वाकई शर्मनाक रहा। इस दौरान इन कर्मचारियों को बुरी तरह पीटा गया, प्रताडि़त किया और उन्हें जान से मार देने की धमकियां भी दी गयीं। इस हादसे के बाद दो महीनों बाद पुलिस ने इन युवकों को तब छोड़ा जब मेरी बिटिया डॉट कॉम ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। लेकिन इसके बावजूद इनमें से एक राजेश चौधरी को मेरठ की ओर सस्पेंड करके तबादला कर दिया गया, जबकि सुनील चौधरी को गोहाटी भेज दिया गया। राजेश चौधरी पर शराब पीने का आरोप लगा दिया गया जब कि वह दो महीनों से पुलिस हिरासत में ही था।

पिछले दिनों मैं सुनील बिष्ट के घर दिल्ली  गया। हकीकत पता करने के लिए। उसका घर छतरपुर इलाके में है। आबादी घनी है और आसपास पहाड़ के रहने वाले लोग ही ज्यादा हैं। पूरा मोहल्‍ला धार्मिक है। जाहिर है कि सुनील का घर भी पूजा-पाठ की सुगंधि से भरा था। घर के बाहर सड़क पर ही मिल गये सुनील के पिता धर्म सिंह बिष्ट। परिचय देने-लेने के बाद बहुत आत्मीयता से घर के भीतर ले गये। बुरांश के कई बार शर्बत पिलाया, बच्चों से मिलाया, नाश्ते की तश्तरियां परोस दीं। बातचीत शुरू।

धर्म सिंह ने शुरूआत में तो आलोक रंजन की तारीफ में कसीदे काढ़ दिये। 15 साल पहले धर्म सिंह आलोक रंजन के ड्राइवर हुआ करते थे। नाफेड में, “बहुत मानते थे। मैं भी उनके एक ही इशारे पर नाचता रहता था। कभी भी कोई भी काम नहीं टाला। समय का इंतजार नहीं किया।“

फिर यह सब अचानक कैसे हो गया?

मेरे इस सवाल पर धर्म सिंह बहुत भावुक हो गये। धीरे-धीरे खुलने लगे। पहले तो इशारा मेम साहब और घर के लोगों की ओर किया। फिर आख्रिरकार बोल ही पड़े। गुबार निकलने लगा:- “ज्यादा नहीं तपना चाहिए। किसी को भी अपनी औकात में रहना चाहिए। चाहे वह कोई भी हो। किसी को दुखाना गलत बात होती है। गरीब को खास तौर पर परेशान नहीं करना चाहिए। झूठ बोलने का अंजाम बहुत बुरा होता है। जीवन की सारी की सारी मेहनत, तप, परिश्रम सब का सब जमीन पर गिर जाता है। कोई किसी को आंखों में खून की तरह आंसू निकालेगा, तो क्या कुछ नहीं होगा। होगा। जरूर होगा। वह आदमी भले वह छोटा हो, और वह आपका कुछ न बिगाड़ सके, लेकिन भगवान तो मौजूद है। वह सब देखता रहता है। अन्याय किया तो पाप हुआ और पाप की सजा मिलेगी जरूर। “

“चाहे आप कितने भी बहुत ताकतवर हों, लेकिन भगवान तो नहीं हैं न। सूरज तक को सजा मिलती है, तो इंसान की क्या बात। सूरज पर ग्रहण हो जाता है अति होने के कारण, फिर बड़े-बड़े ओहदेदार, ताकतवर लोगों की सारी ताकत धरी की धरी ही रह जाती है।”

बहुत ढेर सारी बात हुईं धर्म सिंह और उनकी पत्नी से। सुनील की पत्नी और उसका बच्चा  भी मौजूद रहा। मन भारी होता जा रहा था। लेकिन मैंने खुद का साहस बनाये रखा। इस बातचीत पर आधारित खबरें लगातार हम आपको देते ही रहेंगे। (क्रमश)

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