होशियार, यह समाजवादी अस्‍पताल है। नवजातों की मौत का फरमान यहीं जारी होता है

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: रात भर बेहाल रहे पत्रकार, मगर बच्‍चे को बचाया नहीं जा सका : नर्स ने कराया प्रसव, डॉक्‍टर यहां कहां रहते हैं : कहीं हजारों की मांग की तो कहीं भारी भीड़ का बहाना : नवजात की लाश गोद में लिये सड़क पर भटकते रही गुडि़या और मोबीन : मेरी बिटिया डॉट कॉम करेगाा पत्रकार राजकुमार सिंह, मो अब्बास व राहुल संजीव सिंह के हौसलों पर सम्‍मान :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जौनपुर में बदलापुर एक बड़ा शहर है। यहां सरकारी अस्‍पताल भी है, लेकिन यहां रात में कोई भी डॉक्‍टर नहीं रहता। दिन में भी सिर्फ एकाध डॉक्‍टर ही आते हैं, कभी-कभार। सारा अस्‍पताल केवल फार्मासिस्‍ट, नर्स और वार्ड-ब्‍वाय के बल पर। पिछले 25 को यही हुआ। दर्द से चिल्‍लाती गुडि़या को लेकर उसका पति मोबीन दूर राजापुर के भोगीपुर गांव से आया। रात का वक्‍त रहा होगा करीब नौ बजे। मौजूद नर्स ने अंधेरे में गुडि़या का प्रसव कराया। लेकिन कुछ देर बाद ही नर्स ने हाथ खड़े कर दिये कि बच्‍चे की सांस टूट रही है। उसका कहना था कि प्रसव के बाद वह बच्‍चा तनिक भी नहीं रोया, जो किसी बच्‍चे के जन्‍म के तत्‍काल होना चाहिए। नर्स ने मोबीन से कहा कि फौरन जिला अस्‍पताल ले जाओ।

मोबीन के होश फाख्‍ता हो गये। मामूली मजूरी करने वाले मोबीन के पास इतना ही नहीं था। वह अस्‍पताल के गेट पर ही दहाड़े मार कर रोने लगा।

गनीमत रही कि अस्‍पताल में अपने मित्र के एक परिजन संतोष दुबे का हालचाल लेने दैनिक आज के संवाददाता संजीव सिंह परिसर में खड़े थे। मोबिन के सारी बात को बताने के बाद संजीव सिंह अपनी कार से बच्चे को साथ लेकर अनमोल चिल्ड्रन केयर के डॉक्टर को दिखाया। डॉ ने कहा कि उनके पास वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है। बच्चे को तत्काल डॉ तेज सिंह के यहाँ ले जाये। देर बेहद होती देख कर संजीव सिंह अपनी कार में रात में करीब 12 बजे डॉ तेज सिंह के यहाँ पहुँच गए।

इन पत्रकारों के साथ मोबिन ने वहाँ उपस्थित जूनियर डॉ को बच्चे को वेंटिलेटर पर रखने के लिए भर्ती करने को कहा। जिस पर वहां के स्टाफ ने वेंटिलेटर खाली न होंने की मजबूरी बतायी। आनन-फानन में मोबिन वहाँ के स्टाफ के बताये अनुसार जेसिस पर स्थित डॉ. अरविन्द के पास ले गए। वहाँ पर उपस्थित स्टाफ ने 6500 रूपये वेंटीलेटर का चार्ज बताया। मोबिन ने फिर पत्रकार संजीव सिंह से बात की। और इतना रुपया न होने की असमर्थता जतायी। संजीव सिंह ने वहाँ के स्टाफ से पैरवी करते हुऐ कहा कि गरीब है अभी तत्काल इतने रकम नही दे सकता। सुबह मैं पैसे की व्यवस्था करके आऊंगा। फिलहाल किसी तरह 4000रूपये जमा करवा दिया गया।

लेकिन कुछ देर बाद वहाँ के लोग पैसा वापस करने लगे और कहा कि इस वक्‍त डॉ नही है। बच्चे की हालात गम्भीर होती चली जा रही थी। रात लगभग 1:30 बजे संजीव सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार राजकुमार सिंह व मो. अब्बास को फोन पर घटना क्रम को बताया और उनसे सहायता मांगी। तत्काल अब्बास भाई अपने सहयोगी राहुल को लेकर तथा राजकुमार सिंह ने डॉ अरविन्द सिंह के पहुँच कर नवजात बच्चे वेंटिलेटर की सुविधा देने के लिए पैरवी की। लेकिन वहाँ का स्टाफ डॉ के न होने की वजह से भर्ती करने के लिए इनकार कर दिया।

उसके बाद मायूस होकर सदर अस्पताल बच्चे को लेकर गया। वह उपलब्ध डॉ ने बताया की बच्चे को वेंटिलेटर की सख्त जरूरत है। तत्काल वेन्टिलेर की जरूरत बताया। पुनः सभी लोग डॉ तेज सिंह के यहाँ ले गए। फिर डॉ तेज ने वेन्टिलेर न खाली होने की बात बतायी व बीएचयू ले जाने की सलाह दिया। फिलहाल सरकारी एम्बुलेंस की व्यवस्था कर वाराणसी भेजा गया। लेकिन वहाँ के डॉक्टरों ने भी वहीँ जवाब दिया। अन्ततः बच्चे ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है।

इस मामले में पत्रकार राजकुमार सिंह बताते हैं कि बीती रात लगभग 1.30 पर मुझ को एक फोन आया और बोला भाई मेरा नाम मोबीन हैं औऱ मै जेसिज चौराहे के पास बच्चों के  डाक्टर अरविन्द सिंह के यहाँ हूं। मेरे बच्चे की हालत गम्भीर है औऱ कोई डाक्टर उसे देख नहीं रहा। मैं फौरन तैयार होकर अपने सहयोगी राहुल को फोन किया औऱ हम दोनों जेसिज चौराहे पर पहुंचे तो देखा की बच्चा गम्भीर है औऱ उसे वेलटिनेटर पर रखने की जरूरत है। पर वहाँ डाक्टर न होने की वजह से उसे जिला अस्पताल ले जाने की बात कहीं गयी। सूचना मिलने पर आजतक के रिपोर्टर राजकुमार सिंह भी आ गये और हमने प्राईवेट एम्बुलेंस कर के उसे जिला अस्पताल पहुंचे वहाँ डाक्टर नारायण थे उन्होंने बच्चों के डाक्टर को बुला कर दिखाया तो उन्होने भी यही कहा की बच्चा पैदा हुआ रोया नही तो उसको वेंटिलेटर पर रखना होगा।

मामला गम्भीर होता जा रहा था जिले मे दो ही डाक्टरो के पास वेलटिनेटर है डाक्टर अरविन्द व डाक्टर तेज सिंह फिर हमने एसओ लाईन बाजार विश्वनाथ यादव को फोन लगाया कि अपने हिसाब से देख ले। उन्होंने दो सिपाहियों को मेरे साथ लगा दिया और कहा कि इनका सहयोग करो। सदर अस्पताल से हम सभी डाक्टर तेज सिंह के यहाँ आये तब तक देखा की बच्चे की नाक से खून आ रहा है। हम सभी घबरा गये। डाक्टर तेज सिह आये उन्होंने भी वही बात कही और कहा की मेरे यहाँ मशीन कोई खाली नही हैं फिर हम सभी ने निर्णय लिया की बच्चे को बचाना है 108 एम्बुलेंस कर के उसे बीएचयू भेजा गया। लेकिन वहां भी इलाज के अभाव में नवजात ने अलसुबह अंतिम साँस ली।

यह तो असलियत है चिकित्‍सक, सरकारी अस्‍पताल और सरकारी सुविधाओं की। लेकिन इस मामले में कम से कम हमें उन पत्रकारों का सम्‍मान करना होगा, जिन्‍होंने बदलापुर से लेकर जौनपुर और फिर बनारस बीएचयू तक गुडिया, मोबीन और उसके नवजात की जान बचाने के लिए हरचंद प्रयास  किया। मेरी बिटिया डॉट कॉम की टीम जौनपुर में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के राजकुमार सिंह, मो अब्बास, राहुल व संजीव सिंह की जिजीविषा और जुझारूपन को सलाम करती है। यह चारों लोग नवजात को बचाने के लिए रात भर मरीज के साथ छटपटाते रहे। मेरी बिटिया डॉट कॉम द्वारा इन पत्रकारों को जल्‍दी ही सार्वजनिक तौर पर सम्‍मानित किया जाएगा।

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