सारे के सारे आला अफसर ही जिम्मेदार हैं इस नरसंहार के लिए

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: वह सिंघम लेडी मंजिल सैनी रही हों, सेल्फी लेडी चंद्रकला रही हों, या फिर आज के डीएम-एसएसपी : केवल फाइलों पर ही घोड़े दौड़ाते रहे यह अफसर, कामधाम धेला भर नहीं किया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जवाहर बाग किसी जमीन्दार की बपौती नहीं, सरकारी जमीन है। यह नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति या लोगों का कोई समूह उस जमीन पर कब्जा कर ले, और सरकार टुकुर-टुकुर देखती ही रहे। ऐसी सरकारी जमीन पर कब्जा करने का अधिकार किसी को नहीं, बल्कि ऐसी हरकत करने वाले की जगह केवल हवालात या जेल ही है।

कितना दिलकश संकल्प है यह। आप किसी भी सरकारी नेता, प्रशासन या पुलिस के अफसर से जैसे ही ऐसे शब्द निकलते देखते हैं, आप अपने देश और प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर गर्व करने लगते हैं। सीना 56 इंच तक फूल जाता है और मारे खुशी के आप फूले नहीं समाते। लेकिन हकीकत ऐसी है नहीं। सरकारी जमीन अब किसी गरीब की जोरू की तरह है। वह महिला जिसका पति बेहद कमजोर हो। जिसका कोई पुरसाने हाल न हो। जिसे कोई भी शोहदा छेड़ने की क्षमता चुटकियों में रखता हो। और ऐसी हरकतें करने वालों पर खुद सरकार के इशारे पर ही सरकारी कारिंदे, प्रशासन और पुलिस के अफसर पीठ ठोंकते हों।

कम से कम मथुरा के मामले में यही हुआ। सरकार की बेशकीमती जमीन पर ढाई साल तक चंद गुण्डे सपा सरकार के चंद मंत्रियों के इशारे पर कब्जाते रहे, प्रशासन और पुलिस के अफसरों को सरेआम पीटते-धमकाते रहे और आला अफसर केवल उनकी शिकायतों को मामूली घटना के तौर पर ही डस्टबिन में डालते रहे। नतीजा, आज करीब तीन दर्जन से ज्यादा मौतों का जिम्मेदार हो गया यह हादसा। जिसमें आहुति बने मथुरा के बेमिसाल अफसर एसपी और एसओ, जो अब जिन्दा होने के बजाय आज दीवार पर माला पर जड़ चुके हैं।

अब सवाल यह है कि मथुरा के कौन कौन सारे के सारे आला अफसर इस नरसंहार के लिए जिम्मेदार हैं। सूत्र बताते हैं कि चाहे वह लखनऊ की नई नवेली एसएसपी और सिंघम-लेडी के तौर पर मशहूर मंजिल सैनी रही हों, बुलंदशहर में अपनी अभद्रता के लिए कुख्यात रही सेल्फी-लेडी चंद्रकला रही हों, या फिर आज के डीएम-एसएसपी। कहने की जरूरत नहीं कि यहां के डीएम राजेश कुमार और एसएसपी ने इस मामले में जितनी भी घटिया और घिनौनी हरकत की, वह शर्म से परे है।

अब इस मामले पर सख्ती करने का नाटक और नौटंकी बुनी जा रही है। यह जानते हुए भी कि यह हादसा किन कारणों से हुआ, उसका जिम्मेदार कौन है और कौन-कौन मंत्री के उन उपद्रवी लोगों की पीठ ठोंकते हुए जमीन पर कब्जा करने पर आमादा था, राज्य सरकार अब तक इस मामले में केवल मामले पर चादर-राख डालने की ही कोशिश कर रहा है। बजाय इसके कि मथुरा के जिला प्रशासन और बडा दारोगा यानी पुलिस के बड़ेे कप्‍तानों-अफसरों पर सख्त कार्रवाई की जाती, सरकार ने अब तक कोई भी गम्भीरता का प्रदर्शन नहीं किया है।

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