इलाहाबाद हाईकोर्ट में हंगामे के आसार, वकील शांत रहें

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: ट्रिब्‍यूनल की बेंच भी लखनऊ में होनी ही चाहिए, डीआरटी भी लखनऊ में आये : नवीन भवन के निर्माण पर तीन हजार करोड़ से ज्‍यादा का खर्चा हो चुका, इसका इस्‍तेमाल भी तो होना चाहिए :  पश्चिम में बेंच के गठन को भाजपा के दांव से मत जोडि़ये : वादकारी का हित सर्वोच्‍च है, हम उस पर अडिग हैं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अवध बार एसोसियेशन की मांग है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की ही तरह जितने भी ट्रिब्‍यूनल हैं, उनकी भी बेंच लखनऊ में होनी ही चाहिए। एसोसियेशन का कहना है कि जो कम्‍पनी के मामले देखते थे, उन्‍हें इलाहाबाद में रख दिया गया है। उनकी भी एक बेंच अब लखनऊ में होनी चाहिए। डीआरटी भी लखनऊ में बने। आखिरकार हाईकोर्ट के नवीन भवन में जनता का तीन हजार करोड़ रूपया लगा है, मगर यह भवन आधी से ज्‍यादा खाली पड़ा हुआ है। जनता का पैसा है, उसे बर्बाद कैसे सहन किया जा सकता है।

यह बात एसोसियेशन के अध्‍यक्ष डॉ एलपी मिश्र ने मेरीबिटिया डॉट कॉम से एक विशेष बातचीत में बतायी है। डॉ मिश्र का कहना है कि हम तो सन-72 से जूझ रहे हैं। आगरा बनायें, अलीगढ़ बनायें, मेरठ बनायें, मुरादाबाद बनायें, सहारनपुर बनायें या फिर बरेली बनायें। लेकिन बनायें जरूर। हम पश्चिम क्षेत्र में बेंच की हिमायत कर रहे हैं। हम उनके जगह के झगड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं। हम आपस में न झगड़ें, सुभीता हो बस। इलाहाबाद के वकीलों की बात नहीं कर रहे हैं, वादकारियों की बात कर रहे हैं। उनका हित सर्वोच्‍च है। हमारी न्‍यायपालिका का शीर्ष-वाक्‍य है।

पहले तो हमारे पास केवल 12 जिले थे। नसीमुद्दीन केस से ही यह विवाद खड़ा हुआ है, कि क्षेत्राधिकार क्‍या हो। अवध कोर्ट है या बेंच।

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लर्नेड वकील साहब

इस मामले में मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता ने अवध बार एसोसियेशन के अध्‍यक्ष डॉ एलपी मिश्र से लम्‍बी बातचीत की। हमने पूछा कि आपके इस ताजा कदम से इलाहाबाद के वकीलों में भारी आक्रोश फैल सकता है। डॉ मिश्र का जवाब था कि यह वकीलों का मामला नहीं है, बल्कि इस विवाद को केवल वादकारियों के सर्वोच्‍च हितों को देख कर ही देखना-समझना चाहिए। डॉ मिश्र ने विश्‍वास जताया कि इलाहाबाद के वकील इस मसले पर कभी भी आक्रोश में नहीं आयेंगे। वजह यह कि उनकी भी प्राथमिकता और सर्वोच्‍च दायित्‍व वादकारियों का हित ही है। ऐसे में वे इस जायज मामले में कैसे विरोध कर सकते हैं।

हमारा सवाल था कि डॉ मिश्र भाजपा के टिकट से एक बार चुनाव लड़ चुके हैं, और हो सकता है कि भविष्‍य में भी आप कैसरगंज अथवा किसी अन्‍य सीट पर चुनाव लड़ें। ऐसी हालत में कहीं ऐसा तो नहीं कि इस मामले को आप अथवा भाजपा अपने पक्ष में भुनाना चाहती हो। इस सवाल पर डॉ एलपी मिश्र ने साफ कहा कि यह मामला भाजपा से कहीं दूर-दूर तक नहीं है। यह वादकारियों का मसला है, जिसे वकील लड़ेंगे। मैं सबसे पहले तो वकील हूं, और अपने नैतिक दायित्‍वों से वशीभूत होकर ऐसा हर कदम उठाऊंगा जरूर, जो आम वादकारी के पक्ष में हो। हमारा साफ मानना है कि पश्चिम उत्‍तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच होनी ही चाहिए और यह काम तत्‍काल होना चाहिए। बस।

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जस्टिस और न्‍यायपालिका

जहां जनता का हित है, जहां वादकारी का हित है, जहां न्‍यायिक क्षेत्र का हित है, जहां वकील समुदाय का हित है, वह किसी भी राजनीतिक दल या नजरिया से सीमित देख कर विवाद में नहीं होना चाहिए। इस सवाल पर कि आने वाले लोकसभा चुनावों में कहीं भाजपा इस मसले पर अपने पक्ष में कोई हंगामा कर वोट की राजनीति तो नहीं करना चाहती है, डॉ एलपी मिश्र ने साफ इनकार किया और कहा कि, नहीं, कोई भी नहीं। उनका कहना था कि वादकारी का हित इलाहाबाद के वकीलों तक कैसे सिकोड़ा, थमाया या शिकंजों में रखा जा सकता है। हमें देखना ही होगा कि किसका किस तरह का हित कैसे हो सकता है। हमारा इस मसले पर बिलकुल साफ नजरिया है, और हम उस पर अडिग रहेंगे।

लखनऊ हाईकोर्ट के बड़े वकील और अवध बार एसोसियेशन के नये-नवेले अध्‍यक्ष हैं एलपी मिश्र। विगत दिनों प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरीबिटिया डॉट कॉम के संवाददाता ने एलपी मिश्र से काफी लम्‍बी बातचीत की। यह इंटरव्‍यू दो टुकड़ों में है। इसके अगले अंक को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

एलपी मिश्र

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