: मासूम बच्चियों को देह-व्यापार का धंधा करने वाले गिरोह का पर्दाफाश : भोपाल में दबोचा गया है अक्सर नाम से अखबार निकालने वाला संपादक :
दोलत्ती संवाददाता
भोपाल : एक अखबार निकलता है मध्यप्रदेश से। नाम है अक्सर। अक्सर मतलब यदाकदा अथवा कभी-कभार नहीं। बल्कि इस अखबार का नाम ही है अक्सर। लेकिन इस अखबार की प्रतियां भले ही किसी और को न मिल पाती हों, लेकिन उसके नाम पर बड़े-बड़े धंधे जरूर चलते रहते हैं। आज यहां भोपाल में पुलिस ने कई नाबालिग बच्चियों को बरामद किया है। यह बच्चियां देह-व्यापार में शामिल की गयी थीं। और शर्मनाक बात तो यह है कि इस धंधे कासंचालक एक पत्रकार है। यह पत्रकार ही इस अक्सर नामक अखबार का मालिक, संपादक और सर्वेसर्वा पाया गया है।
हे ईश्वर। अब अखबार वाले भी इतनी घिनौनी हरकत पर आमादा हो जाएंगे, पराड़कर जी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा। भोपाल के संस्कृति भवन के संस्थापकों को भी इतना इलहाम नहीं हो पाया होगा कि उनके प्रयासों की परिणति इस तरह हो पायेगी। किसी ने कभी नहीं सोचा होगा कि हिन्दी पत्रकारिता का यह हश्र होगा। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि इतने छोटे नाम का रजिस्ट्रेशन आरएनआई ने कैसे और कब कर दिया। सामान्य तौर पर ऐसे नाम रजिस्टर्ड ही नही किये जाते हैं।
लेकिन ऐसा हो गया है। पुलिस ने इन पांच बच्चियों को सड़क पर लावारिस घूमते देखा, तो पूछताछ की। पता चला कि वे मासूम बच्चियों को यह पत्रकार-संपादक क्या-क्या नहीं नारकीय धंधे में फंसा रहा है।
दोलत्ती के पास इस बारे में लिखने के लिए न तो शब्द है और न ही लिख पाने की सामर्थ्य। इतने घिनौने धंधे पर केवल लानत ही भेजी जा सकती है। बहरहाल, आबप अब उस प्रेस-नोट को पढ़ लीजिए, जो भोपाल पुलिस ने जारी किया है।