: पूरा मामला भले ही उच्चस्तरीय भ्रष्टाचारों का रहा हो, लेकिन उसे आज खोलने का मकसद केवल भाजपा के पक्ष में एक माहौल बनाना ही है : सीबीआई के चार मुकदमों की जांच के आधार प्रवर्तन निदेशालय ने की कार्रवाई :
दोलत्ती संवाददाता
लखनऊ : यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की गर्दन पर एक जोरदार फंदा फंसा दिया गया है। अवैध खनन को लेकर चल रहे मामलों ने अखिलेश के खिलाफ यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने की है। यह मुकदमा सीबीआई द्वारा ऐसे ही चार अन्य मामलों की जांच के आधार पर दर्ज किया गया है। ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर अखिलेश यादव समेत कई अन्य आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है।
सूत्र बताते हैं कि यह पूरा का पूरा मामला भले ही उच्चस्तरीय भ्रष्टाचारों का रहा हो, लेकिन उसे आज खोलने का मकसद केवल भाजपा के पक्ष में एक माहौल बनाना ही है, जिसमें सपा और उसके मुखिया अखिलेश यादव की छवि भूमिल की जा रही है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि इस नयी राजनीतिक चाल में अगला कदम क्या हो सकता है। लेकिन इतना जरूर है कि इस नयी पहल से अखिलेश और सपा ही नहीं, बल्कि बसपा की भी साख खासी दांव में लग चुकी है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने अखिलेश यादव की सरकार के दौरान उनके फैसलों और विभिन्न कार्रवाइयों की जांच का आदेश दिया था। यह जांच सन-2012 से लेकर सन-2016 के दौरान के बीच हुई कार्रवाइयों को लेकर चल रही है। सीबीआई ने इस मामलों में विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर कई मामले दर्ज किये थे। लेकिन अब अखिलेश की गर्दन अब सीधे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अटकायी जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि इस मामले में केंद्र सरकार और भाजपा पिछले कई दिनों से बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच पक रही राजनीतिक खिचड़ी पर बारीक नजर रख रही थी। हाल ही जैसे ही सपा और बसपा का चुनावी गठबंधन आकार ले पाया, ठीक उसी तरह केंद्र सरकार के इशारे पर अखिलेश यादव को घेरने की कवायद छेड़ दी गयी है। कहने की जरूरत नहीं कि चर्चित आईएएस अफसर और सपा नेताओं की चहेती बी चंद्रकला के खिलाफ दायर किया मामला भी इसी पेशबंदी के तहत बनाया गया है।