एड्स से मरे मां-बाप के बच्चों को गांव से निकाला

सैड सांग

अब गांव के बाहर कब्रिस्तान में दिन काट रहे हैं मासूम बच्चे

प्रतापगढ़ : देश में एड्स पीड़ितों के साथ अमानवीय बर्ताव के किस्से तो आम हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में एड्स के आगे जिंदगी की लड़ाई हार गए दंपती के परिवार को गांव से ही बाहर निकाल दिया गया। पिछले महीने अपनी मां का भी साया खो चुके पांच बच्चे कब्रिस्तान में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं।

प्रतापगढ़ जिले के मान्धाता स्थित जम्हुआ गांव के निवासी वहाजुद्दीन की पत्नी आशिया बेगम, बेटी निशात तथा बेटों इरफान, एखलाक, आदिल तथा मुनीर को गांव के लोगों ने तीन महीने पहले सिर्फ इसलिए निकाल दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि यह बीमारी गांव के बाकी बाशिंदों में भी फैल जाएगी।

गांव से निर्वासन की त्रासदी सहन कर रहे इरफान ने बताया, ‘हमारे पिता की मौत एड्स की वजह से हुई थी। कुछ महीने पहले पता लगा कि हमारी मां को भी एड्स हो गया है। हम गांव में अपने रिश्तेदारों के साथ रहते थे, लेकिन उन्हें यह डर लगने लगा कि उन्हें भी एड्स हो जाएगा, इसलिए उन्होंने हमें गांव के बाहर फेंक दिया।’

उसने बताया कि उसके पिता गुजरात में ट्रक चलाते थे, जहां से वह एचआईवी संक्रमित होकर लौटे थे। उसकी मां के भी एड्स होने का पता लगने पर उसके रिश्तेदारों ने गांव में प्रचारित किया कि पूरा परिवार एड्स से संक्रमित है। तीन माह पहले परिवार को गांव से निकाल दिया गया। मां की पिछली 20 जून को मौत हो गई है और अब वे अपने माता-पिता की कब्र के पास पॉलिथिन का तंबू लगाकर रहने को मजबूर हैं।

एड्स के कारण मारे गए दंपती के बच्चों की त्रासदी के बारे में पता लगने पर जिला प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया है। जिलाधिकारी विद्या भूषण ने जम्हुआ गांव स्थित कब्रिस्तान में जाकर बेसहारा हुए बच्चों से मुलाकात की।

जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी सदर को पीड़ित बच्चों को सरकारी आवास मुहैया कराने अथवा मकान के लिए पट्टा आवंटित करने तथा उनके खाने-पीने के लिये फौरन प्रबंध करने के आदेश देते हुए कहा है कि प्रशासन उन बेसहारा बच्चों के प्रति संवेदनशील है और उनकी हर मुमकिन मदद की जाएगी।

भूषण ने बताया कि पुलिस से भी कहा गया है कि वह ग्रामीणों से बातचीत करके मामले को सुलझाएं और पीड़ित बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि एड्स के कारण मारे गए दंपती के पांचों बच्चों के खून के नमूनों की जांच कराई जाएगी और उनका दाखिला कस्तूरबा विद्यालय में कराया जाएगा। इरफान ने बताया कि इस वक्त वह मजदूरी करके अपना तथा अपने भाई बहनों का पालन-पोषण कर रहा है।

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