आप खामोश रहे, तो हवन में राख बन जाएगी लड़की

बिटिया खबर

: देवरिया की युवती के युद्ध ने पुलिसवाले को बर्खास्‍त कराया, अदालती युद्ध अभी जारी : युवती में पीड़ा,अनुभव, तर्क, सवाल व जिजीविषा है : ऐसे युद्ध छिप कर नही लड़ा जाता, सबक खुलेआम सिखाना जरूरी : पत्रकार गोविंद मौर्य, हेमंत कुशवाहा, जौनपुर के वामपंथी वकील जय प्रकाश तथा शिकोहाबाद व आगरा की वकील शिवानी कुलश्रेष्‍ठ उस लड़की के साथ समर्पित :

कुमार सौवीर

लखनऊ : वह दुखी है, असहाय है, निराश्रित है, अबला है। उसे लगातार चार बरसों तक लांछित किया गया है, सरेआम पीटा गया है। उसको उसके घर से निकाल दिया गया है। उसके घरवालों और उनके घर व दफ्तरों के अलावा सड़क पर भी बार-बार उसको भयभीत किया गया। उसको धमकी दी गयी कि अगर उसने अपनी जुबान बंद नहीं की, तो उसको और उसके घरवालों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। गोरखपुर में अल्‍प-आर्थिक हालत से दो-चार होने वाले उसके घरवाले भी रोज-ब-रोज होती हरकतों से आजिज हो चुके होते हैं। सड़क से लेकर जिले के कप्‍तान और पुलिस दफ्तरों में उसको निरर्थक दौड़ाया गया है। वजह यह कि वहां पुलिसवालों का अपना स्‍वार्थ है। उसका अपराधी एक पुलिसकर्मी है, जो देवरिया में ही पोस्‍टेड है। नाम है राहुल कुमार।
वह अकेली है। जिस पर प्रेम करती है, उसकी हजार गलतियां और अपराध माफ कर देती है, उसके अत्‍याचार को उसका क्षणिक गुस्‍सा मानती है। यह जानते-बूझते देख कर भी कि उसके प्रेमी ने उसे प्राणांतक पीड़ा दी है, उसको मौत की कगार तक पहुंचा दिया है। इसके बावजूद वह उसको क्षमा करती रही, उस पर विश्‍वास करती रही। फिर उसके दरवाजे पर पहुंच जाती रही। लेकिन हर बार वह पाती है कि जिस राहुल कुमार को वह अपनी जान से भी ज्‍यादा प्‍यार करती रही है, वह युवक किसी दूसरी महिला के साथ वह बिस्‍तर पर रंगरेलियां मना रहा है। वहां फिर उसे मारपीट, गालियां और उत्‍पीड़न का सामना करना पड़ता है। बार-बार ऐसी भयानक प्रताड़ना दी जाती है कि उसके तीन-तीन बार गर्भपात हो जाता है। एक बार तो उसको थप्‍पड़, लात से कुछ इस तरह पीटा जाता है कि वह उसके पेट में पलता चौथा गर्भ भी गिर जाता है। इतना ही नहीं, इतनी पिटाई के बाद दर्द से बिलबिलाती युवती को उसके घर से बाहर सड़क पर धक्‍का देकर निकाल दिया जाता है।

नीतिका मूर्ख नहीं, भावुक थी। लुट गयी। पर अब जिन्‍दगी भर लड़ेगी

अपनी इस दुर्दशा के बाद वह पाती है कि राहुल कुमार की रग-रग में समा चुके ऐसे शैतानी व्‍यवहार को बदल पाना अब असम्‍भव है। लेकिन उसकी समझ में नहीं आता है कि वह अब क्‍या करे। क्‍या करे, अपना जीवन किधर और किस तरह मोड़ सके। अब तक उसमें भावनाओं और प्रेम का एक विशाल और गहरा समुन्‍दर है, लेकिन अब उसमें प्रतिशोध का दावानल धधकने लगता है। अब उसकी चिंता यह नहीं कि उसका जीवन उस नराधम व्‍यक्ति ने बर्बाद कर दिया, जिस पर उसने अपने से ज्‍यादा विश्‍वास दिया था। बल्कि अब तो वह एक ऐसे संकल्‍प को आत्‍मसात कर बैठती है। अब अपने बजाय, समाज की बाकी युवतियों, किशोरियों को ऐसे नराधम से कैसे बचाया जाए, कैसे अपने स्‍नेह, प्रेम और भावनाओं को किस तरह इकतरफा प्रवाह से रोका जाए, उनको समझाया जाए कि बिना सोचे और बिना परखे हुए उसे किसी पर तनिक भी विश्‍वास नहीं करना चाहिए। इसके लिए वह एक बिम्‍ब के तौर पर अपने उस शैतान और नराधम प्रेमी को केंद्र पर रख कर अपना युद्ध छेड़ने का संकल्‍प कर लेती है, जिसने उसकी जिन्‍दगी को तबाह कर दी। इतना प्रताडि़त किया कि उसकी आंखों से चार बरस में ही खून के आंसू बहने लगे।
लेकिन फिर एक नया अंधेरा। वह निर्बल है, पिटाई से लस्‍त-पस्‍त। माना कि उसमें हौसले हैं, और उन हौसलों में उसने एक बड़े-बड़े सपने उगा लिया है, लेकिन इसके बावजूद उसके सपनों में डैने कहां से निकलेंगे। जाहिर है कि इसके लिए उसे समाज में ही ऐसे सशक्‍त, बहादुर, और समर्पित डैनों की जरूरत होगी। लेकिन इसके लिए वह जब समाज के बीच जाती है। सरेआम पिटाई होते देखने के बावजूद लोग तो खामोश हो कर दूर आनंद लेते रहते हैं, ऐसे में उनका सहयोग तो मिल ही नहीं सकता है। फिर किस ओर किन लोगों का सहयोग लें वे। वह मीडिया की ओर मुड़ती है। वहां दफ्तरों में जाकर अपनी दुखभरी कहानी सुनाती है। लेकिन वहां भी वही हालत। उसकी बात का विश्‍वास करने को कोई तैयार ही नहीं होता। मीडिया के पास भी तो उसी तरह के सवाल होते हैं। वे लोग भी उसे दुत्‍कारने लगते हैं। उनका सवाल होता है कि आखिर उसने अपने मां-बाप का घर क्‍यों छोड़ा। युवती के जवाब समाज और मीडिया के सवालों की आग को बुझा नहीं पाते। उनका तर्क होता है कि वह युवती मूलत: मनमर्जी है, दुराचारी है, लम्‍पट है। वे कहते हैं कि चार बार गर्भपात कराने वाले के साथ वह किसी भी व्‍यक्ति पर कैसे आस्‍था, प्रेम और विश्‍वास रख सकती है। पीठ पीछे लोग उस युवती की खिल्‍ली उड़ाते हैं।

योगी का राज, योगी का इलाका, योगी की बेटी। योगी-पुलिस ने कराया चार एबॉर्शन


लेकिन उस युवती में अपनी पीड़ा है, अपने अनुभव हैं, अपने तर्क हैं, अपने सवाल हैं, जिजीविषा है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि राहुल कुमार जैसे हिंसक जानवर को कैसे नाथा जा सकता है, कैसे उसको दंडित किया जा सकता है। कैसे तब, जब वह बिलकुल अकेली है, उस पर विश्‍वास करने वाला कोई नहीं है। ऐसे में उसके साथ कदमताल करने वाला भी कोई नहीं।
नीतिका पांडेय गोरखपुर तो पहले ही छोड़ चुकी है, अब ताजा हालातों में वह देवरिया भी छोड़ देती है। आती है लखनऊ। खोजती है दोलत्‍ती का दफ्तर। उसे यकीन है कि वहां उसकी बातों का कोई तो विश्‍वास करेगा। पूछने पर वह चाहती है कि वह उसका यह मामला सरेआम हो जाए। इसके लिए वह चाहती है कि उसका नाम और उसकी फोटो भी जगजाहिर हो, ताकि लोगों को अहसास हो सके कि कोई युद्ध छिप कर नही लड़ा जाता। उसे सामने आकर सबक सिखाना होता है। उसकी आस्‍था सच साबित होती है। दोलत्‍ती डॉट कॉम उसका युद्ध अपना खुद का युद्ध मान कर जुट जाता है। ताबड़तोड़ तेज और धारदार खबरों का असर पड़ता है और आखिरकार राहुल कुमार को नौकरी से बर्खास्‍त कर दिया जाता है। लेकिन यह निराकरण नहीं है। बर्खास्‍त होने के बाद तो उसके पास अदालत में जाने का रास्‍ता है।
यह एक बहादुर लड़की है। लेकिन लड़की के पास कोई आर्थिक आधार नहीं है, जिसके बल पर वह अपना मामला अदालत तक लड़ सकें। ताकि उस जैसी युवतियों को एक सतर्क दिशा मिल सके। बल्कि राहुल जैसे लोगों को भी एक जोरदार तमाचा रसीद किया जा सके।
मैंने बता चुका हूं कि अपने इस अभियान में वह बिलकुल अकेली है। उस लड़की को समाज की जरूरत है, सहयोगियों की जरूरत है और सबसे बड़ी बात यह कि उसके संकल्‍प को पूरा करने के लिए तिनके की भी जरूरत है। उसे आप की सख्‍त जरूरत है। उसे अपने इस युद्ध के लिए आपके विश्‍वास, आश्‍वासन और सहयोग की जरूरत है।

हुर्रे नीतिका, बधाई। बलात्‍कारी सिपाही को जबर्दस्‍त दोलत्‍ती, बर्खास्‍त

उस युवती को अगर आप यूं ही अकेला छोड़ देंगे, तो फिर ऐसे योद्धाओं का हौसला ही पस्‍त होगा। और तब किसी भी अभियान के लिए योद्धाओं का मिल पाना मुमकिन नहीं होगा।
आप बेटी के बाप हैं, भाई हैं या फिर मित्र-हितैषी। विह्वल कर देना वाला ऐसा दारुण-रुदन सुन कर आपका कलेजा फटने लगता है। आपको ऐसे हालात में गुस्‍सा होता है। रगों में खून खौलता हुआ महसूस होता है और आप भी चाहते हैं कि अपराधियों को उनकी करतूतों के लिए कड़ी सजा मिले, तो आपके दिल-दिमाग में सुलगते-धधकते हवन-कुण्‍ड में आपके योगदान की हवि भी जुड़नी चाहिए।
आप लोग खामोश रहे तो वह इस हवन में खुद को पूरी तरह भस्‍म कर डालेगी।
फिलहाल तो इस मामले में देवरिया के पत्रकार गोविंद मौर्य, हेमंत कुशवाह के अलावा और जौनपुर के वामपंथी वकील जय प्रकाश तथा शिकोहाबाद और आगरा की वकील शिवानी कुलश्रेष्‍ठ उस लड़की के साथ पूरी तरह समर्पित हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *