: ऐसे-ऐसे तो हैं यूपी की दमकल सेवाओं के पुलिस महानिदेशक : दमकल के मुखिया की चुस्ती का आलम यह कि खतरनाक इलाकों के लिए जमीनी योजनाओं पर काम करने के बजाय, मेदांता अस्पताल जैसे आलीशान इलाकों और इमारतों में मॉक-ड्रिल चालू :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पांच जून को राजधानी के राममनोहर लोहिया अस्पताल की बहुमंजली इमारत में दोबारा आग लग गयी। एक दिन के बाद ही छह जून को यहां फिर आगजनी हुई। मचा हंगामा, दौड़-भाग। मरीज घबराये और तीमारदार हुए हलकान। लेकिन यूपी में आगजनी रोकने का जिम्मा सम्भाले फायर-ब्रिगेड के पुलिस महानिदेशक अविनाश चंद्रा राजधानी में आगजनी के मामले में खासे संवेदनशील और खतरनाक इलाकों को छोड़ कर मेदांता अस्पताल में मॉक-ड्रिल करने चले गये।
दमकल विभाग का काम है ऐसी व्यवस्था करना, जिससे आगजनी रोकी जा सके। आग होने से पहले ही उसकी तैयारी कर ली जाए। घनी आबादियों में आगजनी न होने के पुख्ता इंतिजाम किये जाएं। अकेले राजधानी को ही नमूने के तौर पर देख लिया जाए, तो नाका-हिंडोला, चौक, निशातगंज, अमीनाबाद, टुडि़यागंज, अहियागंज, सुभाष मार्ग, गुइनरोड, नक्खास, डालीगंज, आलमबाग, कैसरबाग और हुसैनगंज जैसी बड़ी बसावट वाले इलाकों में फायर-ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचाना तो दूर, यहां ठीक से पैदल चल पानी की भी दिक्कत होती है।
आग की हालत यह है कि अकेले जून महीने में ही आगजनी की भयावह हालत से लोगबाग दो-चार हो चुके हैं। छह जून को आलमबाग के एक बड़े फर्नीचर गोदाम में आग लग गयी थी। मटियारी चौराहे पर बहुमंजली कार का शोरूम धूधू कर फुंक गया था, गुइन रोड के नाज कॉम्लेक्स पूरी राख हो चुकी थी। ऐशबाग की फ्लाईबोर्ड कारखाना का नामोनिशान ही खत्म हो गया। बड़े होटल माने जाने वाले होटल सैवी ग्रांड के बेसमेंट में भीषण आग चुकी। कुर्सी रोड स्थित ज्ञान डेयरी के रिकवरी रूम की चिमनी में आग लग गई।
इतना ही नहीं, राजधानी की एक बहुमंजिली इमारत में केवल चंद मंजिलों तक ही पानी पहुंच सका, जब दमकल के लोगों ने इस इमारत में आग की आशंकाओं को लेकर जांच शुरू करनी चाही। हालत तो यह है कि लखनऊ में जनवरी से अब तक 450 आग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। समय से आग पर काबू न पाने की वजह से करोड़ों रुपए की संपत्तियां जलकर राख हो गयी। लेकिन आग से बचाव के लिए पर्याप्त इंतजाम न हो पाया। आबादी के लिहाज से यहां 18 फायर स्टेशन की जरूरत सन-2012 में बताई थी। तब से अब तक जनसंख्या में करीब 10 फीसदी से ज्यादा इजाफा हो गया लेकिन एक भी फायर स्टेशन नही बना। 18 की जगह 8 फायर स्टेशन से काम चल रहा है। और दमकल के मुखिया की चुस्ती का आलम यह तो देखिये कि खतरनाक इलाकों के लिए जमीनी योजनाओं पर काम करने के बजाय, मेदांता अस्पताल जैसे आलीशान इलाकों और इमारतों में मॉक-ड्रिल कर रहे हैं।
यह खबर और उसके साथ डीजी फायर अविनाश चंद्रा की फोटो को लिंग-वर्द्धक जैसे निहायत बेहूदा और अश्लील विज्ञापन छापने के लिए विख्यात अखबार अमर उजाला ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित की है।