महा-शिवरात्रि पर विशेष: शिव को अघोरी की नजर से निहारो, शिवोहम हो जाओगे

मेरा कोना

: केवल लिंग और योनि के सम्‍मेलन से कैसे महसूस किया जा सकता है शिवत्‍व को : शिव को समझने के लिए अर्द्धनारीश्‍वर को समझना जरूरी, सत्य की सुन्‍दरता इसी में सन्निहित है : श्‍मशान आपको बताएगा कि क्‍यों किसी का जाना उल्‍लास का प्रतीक है :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आज शिवरात्रि है। शिव जाग्रत है। केवल काशी या द्वादश लिंग-स्‍थान और शिवालयों-मंदिरों में ही नहीं, बल्कि सम्‍पूर्ण ब्रह्माण्‍ड में, आपके आसपास, और खुद आपके आपके भीतर भी। रोम-रोम में व्‍यापी हैं शिव। यही सत्‍य है और इसीलिए यह सुंदर है। सत्‍यम् शिवम् सुन्‍दरम्।
लेकिन हैरत की बात है कि शिव-स्‍तुति तो खूब करते हैं, लेकिन जब हम श्‍मशान-भूमि पर पहुंचते हैं तो वहां के शिव में आपको वह सौंदर्य या सत्‍य की अनुभूति नहीं होती, बल्कि आप वितृष्‍णा से भर जाते हैं। शाश्‍वत सत्‍य और सौंदर्य की जगह आप रूदन, क्षोभ, निस्‍सारता, दुख से घिर जाते हैं। वही शिव जो आपको शिवालों-काशी में भाव-अतिरेक से सिक्‍त दिखता है, किसी श्‍मशान में आपको नहीं दिखता।
कमाल है। आप शिव को किसी प्रस्‍तर के लिंग और योनि के आकार में सम्‍पूर्ण सौंदर्यमय में तो बेहद आसानी से देख-खोज लेते हैं। लेकिन शिव का वह रूप नहीं कुबूल कर पाते हैं जो शिव का मूल दर्शन है। यह दर्शन अघोरी को दिख जाता है, किसी नंगे अवधूत को दिख जाता है, किसी ज्ञान-पिपासु को तो दिख जाता है, किसी कलाकार की नजर में तो मिल जाता है, लेकिन आपको नहीं दिखता।
वजह यह कि आप आपने अपने में पूर्वाग्रहों के भारी-भारी विशालकाय पहाड़ बना रखे हैं। केवल कल्‍पनाओं में। यथार्थ में एक कंकर तक नहीं। बल्कि उसकी जगह एक मुलायम कपास की रूई का ढेर होता है, लेकिन चूंकि आप आपने ही आग्रहों से घिरे-सने हैं, इसलिए वह रूई आपको विशाल पहाड़ दिखता है। जाहिर है कि जो सत्‍य का संधान करने से साफ इनकार कर रहा हो, वह कैसे देख पायेगा शिव को, उसके सौंदर्य को, उसके मर्म को।

तीन साल पहले मैं इन्‍हीं दिनों एक जाग्रत श्‍मशान घाट पर था। पूरा आनंद उठाया। रूदन-विछोह और उससे उत्‍पन्‍न आंसुओं के कोहरों में मैंने जिस तरह शिव को समझा, वहां मौजूद लोगों को समझाने की कोशिश की। ठीक एक पक्‍के अघोरी की तरह। एक नंगे अवधूत की नजर से मैंने इस श्‍मशानघाट पर मृत्‍यु के रूप में मौजूद शिव के अस्तित्‍व को रेखांकित करने की कोशिश की। आप चाहें तो मेरे इस अनुभवों को देखने के लिए इस लिंक में मौजूद वीडियो पर देख सकते हैं:-

एक पक्‍का अधोरी, यानी नंगा अवधूत

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