यह हमारे नेता है? भौंकने पर सारी सीमा पार गये राजनीतिक माफिया

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: रायबरेली में जो खुद दो कौड़ी का नेता है, वह बड़े माफिया की खाल खिंचवाने का ऐलान कर रहा है : गोंडा का अपराधी मंत्री पंडित सिंह ब्रजभूषण सिंह को हरामखोर करार देता है : बाहुबली ब्रजभूषण सिंह वाक्युद्ध में हारा, तो लगे रामचरित मानस का दोहा बांचने :

कुमार सौवीर
लखनऊ :
चुनाव का मौका ही ऐसा होता है, जिसमें छोटे-छोटे वन-श्‍वान, यानि बन-कूकुरों की पौ-बारह हो जाती है। जो कभी दूसरों के दरवाजे पर भिक्षा मांगने पर आमादा रहते थे, दिन बदल जाने पर वे उसकी की पिण्‍डली पर दांतों से गोश्‍त नोंचने तक से परहेज नहीं करते। रायबरेली सदर और गोंडा की तरबगंज विधानसभा सीट में ठीक ऐसा ही नाटकीय क्षेपक बुना जा रहा है। यहां के चुनावी दंगल में जमीनी मसले-मुद्दों को पांवों तले रौंद कर जिस अभद्र शब्‍दावली का इस्‍तेमाल हो रहा है, जिसे सुन कर शायद जनता ही मन ही मन अपने इन ओछे नेताओं के मुंह पर थूक देने पर आमादा हो जाए।
ताजा मामला है गोंडा की तरबगंज विधानसभा का। यहां पण्डित सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। पहले वे गोंडा सदर से जीते थे। मंत्री हैं इस अखिलेश सरकार में। निहायत अभद्र, अश्‍लील, अराजक और साफ-साफ कहें तो सपाट बदतमीज अंदाज है पंडित सिंह का। गाेंडा में पंडित सिंह की पहचान खुलेआम मां-बहन की नंगी गालियां बकना और किसी को भी सत्‍ता की धमक के बल पर उसे मटियामेट कर देने की साजिशें बुनने वाले की है। अपराध में खासा नाम कमा चुके पंडित सिंह एक बार तो गोंडा के सीएमओ का अपहरण कर चुके हैं, कई लोगों को मार डालने और नेस्‍तनाबूत तक करने वाली धमकी भी दे चुके हैं।
पंडित सिंह की  दोस्‍ती ब्रजभूषण सिंह से गहरी छनती थी। पंडित और ब्रजभूषण के माई-बाप हुआ करते थे मनकापुर वाले आनंद सिंह। लेकिन बाद में इन दोनोें ने अपने इस गुरू को लतिया कर अपनी निजी डगर बना डाली। ब्रजभूषण कई घाटों का पानी पीकर अब भाजपा से सांसदी हासिल कर चुके हैं। इस चुनाव में वे अपने बेटे की बटलोई चमकाना चाहते हैं। कहने की जरूरत नहीं किअब यह लोग राजनीति के साथ ही साथ शिक्षा के माफियाकरण में लिप्‍त बताये जाते हैं।
इस चुनाव में यह दोनों ही एक दूसरे की इज्‍जत और धंधे की कब्र खोदने पर आमादा दिख रहे हैं। ताजा मामला एक सभा का, जिसमें ब्रजभूषण ने पंडित सिंह की सारी पाेले खोलने की धमकी दे डाली। बदले में पंडित सिंह ने ब्रजभूषण को हरामखोर बता दे दिया। इसके बाद एक के बाद एक यह दोनों लोग एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्‍यारोप ही लगाने में जुट गये हैं। कोई कहता है, कि मैं उसकी ऐसी की तैसी कर देगा, तो कोई कहता है कि मैं पोल खोल दूंगा। मतलब यह कि किसी भी के पास एक भी ऐसा जमीनी मसला नही बचा है जिसमें वे गोंडा में अपनी सकून की सांस ले सके।
रायबरेली में तो बसपा का एक प्रत्‍याशी इतना जोश में आ कर इस क्षेत्र के सबसे बड़े माफिया पर खौखिया पड़ा। सदर विधानसभा सीट से बसपा प्रत्याशी शाहबाज ने एक बैठक में अचानक अपने पंजे-नाखून तराशे और फिर हमला बोल दिया यहां के स्‍थानीय विधायक अखिलेश सिंह पर। शाहबाज बोले:- बसपा की सरकार आने वाली है, इस बार तो मैं अखिलेश की खाल खिंचवा लूंगा और अखिलेश की चौखट तक उखड़वा लूंगा।
सच बात तो यह है कि अखिलेशसिंह का नाम इस पूरे इलाके में एक बड़े माफिया सरगना की तरह है। इलाके में अखिलेश की तूती बजती है। क्‍या स्‍थानीय नेता और क्‍या अधिकारी, किसी की भी पैंट गीली कर पाने की क्षमता अखिलेश में है। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अखिलेश को किसी पार्टी का मुंह देखना नहीं पड़ता है। अपने इलाके में तो अखिलेश निर्द्वंद्व जीत हासिल करते रहे हैं। हालांकि इस बार अखिलेश ने अपनी यह राजनीतिक गद्दी अपनी बेटी अदिति सिंह को थमा दी। वजह यह कि अखिलेशसिंह पिछले कुछ दिनों से रक्‍त-कैंसर से पीडि़त हैं। इसीलिए इस बूढ़े शेर पर हमला कर उसकी बोटियां नोंचने की गीदड-भभकी देना शाहबाज जैसे नये-नये उगे नेताओं ने शुरू कर दिया।

जरा सुन तो लीजिए कि शाहबाज ने अखिलेश सिंह के बारे में क्‍या-क्‍या नहीं कहा है:- खाल खींची जाएगी

बावजूद इस तथ्‍य के, कि शाहबाज का यह बयान उनकी गुण्‍डागर्दी का परिचायक है, और अपनी किसी भी सरकार में बसपा सुप्रीमो मायावती ने कभी भी किसी माफिया को ऐसी गुंडागर्दी की इजाजत नहीं दी।

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