: यूपी बैडमिंटन एसोसियेशन ने इस खेल की प्रतिष्ठा को यौन-अपराधों से जोड़ दिया : 28 साल के दौरान इस खेल में हुए इस खुलासे ने खेल को बेतरह गंदा साबित किया : अब तो नवोदित प्रतिभाओं के अभिभावक तक इस खेल के नाम से सहम जाते हैं :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बैडमिंटन का खेल पूरी दुनिया में पूरे सम्मान और जोश के साथ खेला जाता है। लेकिन यूपी में जिस शैली में इस खेल का तियां-पांचा किया जाता है, वह बेमिसाल है। यूपी बैडमिंटन एसोसियेशन में ताजा हुए खुलासों ने साफ कर दिया है कि यहां खेल कम, खिलाड़ी-गिरी का ही बोलबाला है। नतीजा यह कि इस बेमिसाल ऐसी-ऐसी धज्जियां उधाड़ी गयी हैं, कि अब शायद इस खेल में इच्छुक अथवा उसकी नवोदित प्रतिभाओं के अभिभावकों के रोंगटे तक सहम जाएंगे।
शर्मनाक हादसे हैं बीबीडी बैडमिंटन अकादमी में हुए यौन-उत्पीड़न और बेईमानी का सिलसिलेवार हादसे। मूलत: अंग्रेजों के साथ भारत में आये बैडमिंटन को लम्बे समय तक खेल के ही आवरण में देखा-खोला जाता रहा। कोई पचास साल पहले राजधानी के जियाउल हसनैन ने गोरखपुर के फजील अहमद के साथ मिल कर बैडमिंटन को रणनीतिक आकार देने की कोशिश की। नतीजा यह हुआ कि बैडमिंटन खेल में यूपी की धाक पूरे देश में फैलने लगी। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी इस खेल में लखनऊ से उभरे। इन्हीं में सैयद मोदी और अमिता मोदी ने यूपी का परचम खूब फहराया।
लेकिन सन-1989 की 23 जुलाई को केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पिछले बैडमिंटन-कोर्ट वाले गेट पर सैयद मोदी की गोली मार कर हत्या कर दी गयी। इसके बाद से ही बैडमिंटन में गंदे-खेल की विधिवत शुरूआत हो गयी। पूरी दुनिया को पता चल गया कि यूपी और खासकर लखनऊ के बैडमिंटन में भी बैड-सेक्टर्स हैं, जो इस खेल में किसी निहायत खतरनाक ट्राजन या मालवेयर से भी ज्यादा मारक हैं। पता चला कि इस खेल की शटल-कॉक को अब यहां के लोगों ने बाकायदा चिडि़या का नाम दे दिया है, और इसी की आड़ में चिडि़या फंसाने का गंदा-संदा खेल चल रहा था।
इस हत्याकांड में चूंकि सरकार और शासन में बैठे खासे कद्दावर लोगों की पहुंच थी, इसलिए यह मामला सीबीआई को भेज दिया गया। लेकिन जांच की पहली रिपोर्ट से ही इस खेल में आग लग गयी। पता चला कि अमिता मोदी की डायरी में रिश्तों को लेकर खासी आपत्तिजनक बातें दर्ज थीं। नतीजा यह निकला कि आखिरकार सीबीआई ने कांग्रेस के एक बड़े नेता संजय सिंह को सैयद मोदी हत्याकांड की साजिश करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। अब यह दीगर बात है कि यह मामला अदालत से छूट गया और संजय सिंह ने अमिता मोदी से विवाह कर लिया।
लेकिन इसके बाद से ऐसा नहीं हुआ कि बैडमिंटन-कोर्ट में चिडि़या सच्चरित्र बन गयी। यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके बाबू बनारसी दास के नाम पर उनके बेटे अखिलेश दास ने बीडीबी बैडमिंटन अकादमी शुरू की, और इसके कर्ताधर्ताओं में से एक रहे विजय सिन्हा के बेटे और यूपी बैडमिंटन एसोसियेशन के मुख्य अधिशासी सचिव निशांत सिन्हा ने सन-04 को हजरतगंज के कपूर होटल में देर रात तक जमकर शराबखोरी की। इस दौरान निशांत के साथ दर्जनों महिलाएं भी मौजूद थीं, जिनमें कई तो यूपीबीए से जुड़ी खिलाड़ी भी थीं। अचानक जमकर हंगामा हो गया। आरोप लगा कि निशांत और महिलाओं ने रात 12 बजे के बाद शराब न मिल पाने पर मारपीट और तोड़फोड़ भी की। मामला पुलिस तक गया और रिपोर्ट भी दर्ज हुई। लेकिन चूंकि यह मामला खासा हाई सोसाइटी से जुड़े लोगों का था, इसलिए निशांत और बाकी हमलावर बेदाग साबित हो गये।
अब यह ताजा मामला है, जहां बैडमिंटन की कई चिडि़या फिर किसी चंगुल में फंस चुकीं और इस पर हंगामा खड़ा हो गया है।
खेल में गर्म-गोश्त का मसला शायद हमेशा से चस्पां रहा है। लेकिन सैयद मोदी की हत्या के बाद से ही बैडमिंटन जैसे एलीट खेल में गंदी खूनी छींटें खूब छितरे हैं। शटल-कॉक को चिडि़या को बदनाम करने के लिए जो-जो करतूतें यूपी बैडमिंटन एसोसियेशन और उससे सम्बन्धित इकाइयों-संघों ने की हैं, उसमें बड़े-बड़े शिकारियों के नाम सामने आने लगे हैं। प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम इस मामले में पूरी जानकारी जुटाने में लगी है। इससे जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करते रहियेगा:-
दास्तान-ए-बैडमिंटन में बदनाम होती चिडि़या और शातिर शिकारी