सहारा इंडिया के डूबते जहाज से निकल भागे बड़े-बड़े चूहे

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कम्पनी के 3 डायरेक्टरों ने दिया सहारा से इस्तीफा

आरबीआई के पूर्व डिप्‍टी गवर्नर अमिताभ घोष, सु्प्रीम कोर्ट पूर्व जस्टिस एस मोहन और न्‍यू इंडिया के पूर्व अध्‍यक्ष एसी मुखर्जी ने भी छोड़ दी निदेशक की कुर्सी

मुंबई: 24 हजार करोड़ की अदायगी के मामले में सुब्रत राय को सेबी के सामने जाना है, लेकिन इसके पहले ही सहारा इंडिया के जहाज के चूहों में जबर्दस्त  भगदड़ शुरू हो गयी है। हालांकि अब तक आधिकारिक तौर पर तीन आला निदेशकों के अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन खबर है कि कई आला अफसरों ने भी अपना मुंह फेरने का मूड बना लिया है। आपको बताते चलें कि सेबी के फैसले के बाद सहारा इंडिया सर्वोच्च न्यायालय से बुरी तरह हार चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक कह दिया था कि जब तक सहारा इंडिया अपने निवेशकों का 24 हजार करोड़ का बकाया अदा नहीं करता है, उसकी कोई भी अपील अब सुप्रीम कोर्ट में नहीं सुनी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही सेबी के अफसरों ने सुब्रत राय और उनके आला अफसरों के साथ ही कम्पनी की कई सहयोगी कम्पनियों का बैंक एकाउंट जब्‍त कर दिया था। इसके साथ ही सेबी ने सैट से अर्जी लगायी थी कि सुब्रत को देश से बाहर निकलने से रोकने के लिए रोका जाए। यह भी कहा गया था कि 10 अप्रैल को सुब्रत राय और कम्पनी के आला अफसर सैट में व्यक्तिगत तौर मौजूद होकर बतायें कि उनकी कौन-कौन सी सम्पत्तियों को जब्त कर निवेशकों की बकाया 24 हजार रूपया की रकम वसूली जाए। कहा तो यहां तक जाता जा रहा है कि सुब्रत राय पर आदेशों के अवहेलना पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

वैसे भी अवैध रूप से उगाही की गयी 24 हजार करोड़ रूपयों की वसूली के मामले में कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी और सहारा की लड़ाई का आखिरी दौर शुरू होने में सिर्फ 15 दिन बचे हैं। और इधर ताजा घटनाक्रमों के मुताबिक इस बीच सहारा ग्रुप की कंपनियों से 3 इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया है। बताते हैं कि यह घटनाक्रम सहारा इंडिया और सुब्रत राय के खिलाफ खासे मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।

प्राप्त जानकारियों के मुताबिक आज अचानक रिजर्व बैंक के फॉर्मर डिप्टी गवर्नर अमिताभ घोष ने पहले सहारा ग्रुप की 4 कंपनियों के बोर्ड से इस्तीफा दिया। इसके साथ ही साथ, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एस. मोहन और न्यू इंडिया के पूर्व चेयरमैन ए. सी. मुखर्जी ने भी ऐसा कदम उठाया और अपना इस्तीफा सौंप दिया। अब यह दीगर बात है कि इन तीनों निवेशकों का दावा है कि वे अपने निजी खराब स्वास्थ्य या निजी घरेलू मसलों के चलते ही यह इस्तीफा दे रहे हैं। बताते चलें कि अमिताभ घोष सहारा प्राइम, सहारा लाइफ, सहारा म्यूचुअल फंड और सहारा हॉस्पिटैलिटी में डायरेक्टर थे। सहारा प्राइस के पास काफी जमीन और असेट्स हैं। वहीं, सहारा हॉस्पिटैलिटी के पास मुंबई में फाइव स्टार होटल सहित दूसरी संपत्तियां हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस (रिटायर्ड) एस मोहन सहारा ग्रुप की असेट मैनेजमेंट कंपनी में इंडिपेंडेंट ट्रस्टी हुए थे। जब कि वहीं, एसी मुखर्जी लाइफ इंश्योरेंस फर्म के बोर्ड में इंडिपेंडेंट मेंबर थे।

उधर सूत्र बताते हैं कि हालांकि सहारा और सेबी के झगड़े की का असर इन कंपनियों पर नहीं पड़ेगा। सूत्र ने बताया है कि सहारा इंडिया और सुब्रत राय पर अभी जो दिक्कतों का पहाड़ टूटा है, उसका इन कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन यह तो सोचने की बात तो है ही कि आखिरकार कि अपने और कम्पनी के किस भविष्य के रूख को देख कर इन डायरेक्टर्स ने यह फैसला लिया है। कहने की जरूरत नहीं कि सहारा इंडिया ग्रुप की कई कंपनियों के बोर्ड में रिटायर्ड ब्यूरोक्रैट और बैंकों के चेयरमैन डायरेक्टर हैं।

कुछ भी हो, डायरेक्टर्स के इस्तीफे की टाइमिंग अहम है। यह टाइमिंग ही सहारा इंडिया और सुब्रत राय को खासी मुश्किलों में खड़ी कर सकती है। दरअसल,13 अप्रैल को सिक्योरिटीज एपेलेट ट्राइब्यूनल (सैट) सुब्रत रॉय के असेट और बैंक खातों को फ्रीज करने के सेबी के आदेश के खिलाफ रॉय की अपील पर सुनवाई करेगा। सैट सेबी की दो कंपनियों और 3 अन्य डायरेक्टर्स की ओर से दाखिल इसी तरह की अपील की भी सुनवाई करेगा, लेकिन राय वाले मामले को अहम माना जा रहा है।

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