एक बेटी को कैप्टन, तो दूसरी को सिखाया अमेरिकी बेहूदगों का सबक
: दामाद और साढुआनी को चप्पलों से कूट चुकी हैं शिक्षिका पुष्पा : ताकि अधिकारों के प्रति सचेत हो हर नारी : पूर्व राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुकी हैं पुष्पा : छेड़खानी की चलती-फिरती पाठशाला खोल दिया है इस फैजाबादी बाला ने :
फैजाबाद : उम्र के पांचवें दशक की दहलीज पर खड़ी एक सबला को इंतजार है कानून की डिग्री का, ऐसी डिग्री जिससे मिले जीवन दर्शन की सरल-तरल घुट्टी हर उस बच्ची को पिला सके, जिसे जवान होने से पहले ही दरकार है ऐसे दृष्टि की जो सामने वाले हर पुरुष की मनोभावना तड़ सके। संकल्प है ऐसा चलती फिरती पाठशाला चलाने का जिसमें किशोरियों को मिल सके कुदष्टि से बचने की कानूनी सलाह।
फैजाबाद में गुसाईंगंज के निकट नगहरा गांव से जीवन यात्रा प्रारंभ करके आज दिल्ली कैंट में कैप्टन बेटी की सबल संरक्षिका की भूमिका निभा रही पुष्पा पाण्डेय को इंतजार है पूर्व राष्ट्रपति कलाम के हाथों एलएलबी की डिग्री मिलने का। दरअसल इस डिग्री के मूल में कलाम का सबलता के लिए जागरूकता का वह मंत्र ही है जो पुष्पा ने अपनी दो बेटियों को कुटिल कामियों की कुदृष्टि से बचाने के लिए आत्मसात किया। २००२ में राजनीतिशास्त्र से एमए करने के पूरे ग्यारह वर्ष बाद पुष्पा एलएलबी की डिग्री लेने को व्यग्र हैं, जो उन्हें शुक्रवार को कासु साकेत महाविद्यालय में मिलने वाली है।
बेटी को लखनऊ की सिटी बस में कंडक्टर ने परेशान करना शुरू किया, बस स्टाफ से लेकर पुलिस तक शिकायत का फल नहीं मिला क्यूंकि कानून की जानकारी नहीं थी, मजबूरन लखनऊ विश्विवद्यालय के कैलाश गर्ल्स हास्टल के सामने खुद चप्पलों से पीट कर कंडक्टर को दुरुस्त किया और माफी मंगवाई।
छोटी बेटी मिलिटरी इंटेलीजेंस सर्विस में कैप्टन है, कैप्टन पति और ससुराल वालों के हाथों उत्पीड़न की शिकायतों से आजिज हो गई तो पुष्पा ने एलएलबी प्रथम वर्ष की पढाई के बल पर उपजे आत्मविश्वास के बल पर फौजी अफसर दामाद से मोर्चा लिया। दिल्ली महिला आयोग और थाना पुलिस कोर्ट कचहरी तक लडाई लड़ी और इसी साल जीती।
छोटी बेडी छाया का कैलीफोर्निया के प्रतिष्ठित टैपर स्कूल आफ बिजनेस में एमएस के लिए सेलेक्शन हुआ, वीजा पासपोर्ट के तमाम मोर्चों पर सफलता में एलएलबी की पढाई काम आई। अब साध है कलाम के हाथों एलएलबी डिग्री लेने के साथ ही उनसे युवतियों को जागरूक बनाने का मंत्र लेने की।