वक्‍त आ गया। आओ, नरमुंड-माला वाली काली। पधारो

बिटिया खबर

नजर उठाओ तो शक, झुकाओ तो कुचल जाओ। डर बन गयी है जिन्‍दगी

पंकज सिंह:- कम से कम अब न कहना कि हम श्रेष्ठ हैं, हमारी सभ्यता श्रेष्ठ है, हमारी संस्कृति पर नाज़ है, इस मिटटी में मर्द पैदा होते हैं. ……हम निर्लज्ज, कायर, जाहिल, नामर्द समाज में पल रहे दिशाहीन, लोभी लोग हैं. …कोई बात नहीं मेरी बिटिया, बहुत जल्द एक बवंडर आने वाला है. हम बदला लेंगे…तुम्हारे हर दर्द का हिसाब लेंगे…..और तुम हमारी पलकों पे सजोगी. उनके गर्दन का माला पहने “हमारी काली” बनोगी तुम.

Vivek Srivastava:- आमीन !!! आशा करता हूँ ऐसा समय हमारे जीवन में ही आ जाएगा

Nilakshi Singh:- महान मोहन भागवत जी को भी सलाम कीजिए, जो रेप जैसी घटना पर भी भारत-इंडिया की विभाजन रेखा खींचते हैं. ऐसे लोगों को वहां प्रदर्शन करने का कोई अधिकार नहीं.

Pankaj Singh:- Nilakshi Singh ji, mohan ji aur unke saathiyon ka waqt samapt. Ab sirf Humlog bolenge.

Rita Pawar:- kya waqai aisa kuch hoga..?….

Pankaj Singh:- कोई शक ?

Kumar Sauvir:- काली का आह्वान। लेकिन काली जी, अभी इतनी जल्‍दी अपना कोप न दिखाना। सत्‍यकामी काली, अभी संयम रखो, कामी लोगों को सुधरने का मौका दो

Rita Pawar:- hum nazaren uthayen to humpe shak kiya jata hai…agar nazaren jhukaye chup rahen to kuchal diye jate hain…band kamare ki ghutan se bhi zyada ghutan bahar ki khuli hawaon me hai…darr me zindagi guzar rahi hai….

Rita Pawar:- hamen shabdon ki baarish nahin …jine ke liye saaf aasmaan chahiye..

Pankaj Singh:- सच.पर धूल तो हटाना पड़ेगा.

( पंकज सिंह की फेसबुक वाल )

पूरा प्रकरण देखने के लिए कृपया क्लिक करें:- दिल्ली की दरिंदगी से कांप उठा देश

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