पिता ने सर्कस में, तो बेटी ने कम्‍प्‍यूटर में खूब दिखाये करतब

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

201 अंकों की संख्या का 24 वां वर्गमूल बिना कागज-कलम बताया

बैंगलुरू : उनके पिता सर्कस में करतब दिखाते थे. वह महज तीन साल की उम्र में जब अपने पिता के साथ ताश खेल रही थी तभी उनके पिता ने पाया कि उनकी बेटी में मानसिक योग्यता के सवालों को हल करने की क्षमता है. शकुंतला ने छह साल की उम्र में मैसूर विश्वविद्यालय में एक बड़े कार्यक्रम में अपनी गणना क्षमता का प्रदर्शन किया.

वर्ष 1977 में शकुंतला ने 201 अंकों की संख्या का 23वां वर्गमूल बिना कागज कलम के निकाल दिया. उन्होंने एक बार पूछा था, ‘‘बच्चे गणित से इतने डरते क्यों हैं?’’ इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘गलत तरीके के चलते क्योंकि वे इसे विषय के रूप में देखते हैं’’बेंगलूर, 21 अप्रैल :भाषा: बगैर कागज कलम के गणित के जटिल सवालों को कुछ ही पलों में हल करने को लेकर ‘मानव कंप्यूटर’ के नाम से मशहूर शकुंतला देवी का आज यहां निधन हो गया।

शकुंतला देवी एजुकेशनल फाउंडेशन पब्लिक ट्रस्ट के न्यासी डीसी शिवदेव ने बताया, ‘‘बेंगलूर अस्पताल में उनका निधन हो गया।’’ शिवदेव ने बताया कि सांस लेने में समस्या आने पर उन्हें कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें बाद में हृदय और गुर्दे में समस्या आ गई थी। शकुंतला देवी को भारत की महान गणितज्ञ के रूप में जाना जाता है। शकुंतला देवी को ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ के नाम से भी जाना जाता हैं, क्योंकि गणित की कठिन से कठिन समस्याओं को उन्होंने बिना किसी मैकेनिकल यंत्र के हल करके दिखा दिया।

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