सारधा फाइनेंस कंपनी: शताब्दी रॉय बनी मालगाड़ी, एम्बेसेडरी से मुकरीं

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मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, 2 मई तक सरकार को देना होगा जवाब

: हंगामाखेज हालात से निपटने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने की कोशिशें : केंद्र ने मार्च के पहले ही बंगाल सरकार को चेताया था : प्रवर्तन निदेशालय ने ही मामला दर्ज किया :

कोलकाता : चिटफंड कंपनी सारधा प्रकरण में अपना नाम जुड़ने के बाद तृणमूल सांसद व बांग्ला फिल्म अभिनेत्री शताब्दी राय ने बुधवार को सफाई दी कि उनका सारधा समूह से कोई लेना देना नहीं। वह सारधा समूह की ब्रांड एंबेस्डर भी नहीं हैं। सारधा समूह के प्रोडक्ट का प्रचार करते या फिर उसके किसी होर्डिग में मेरी फोटो या नाम नहीं है।

चिट फंड कंपनी के गड़बड़झाले का कनेक्शन तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं से जोड़ा जा रहा है, लेकिन शताब्दी रॉय का कहना है कि उनका चिट फंड कंपनी और इस पूरे घोटाले से कोई लेना देना नहीं है। शताब्दी राय के साथ उस शख्स की तस्वीरें भी हैं जो इस कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट है। 2009 के लोकसभा चुनाव में सोमनाथ दत्ता शताब्दी राय के सहयोगी थे। दोनों की तस्वीरें भी साथ हैं। हालांकि, शताब्दी ने स्वीकार किया कि वह सारधा समूह के पूजा और कुछ कार्यक्रम में एक गेस्ट के रूप में गई थीं। उन्होंने कहा कि बंगाल में इतनी बड़ी घटना हुई है तो शाहरूख खान को क्यों नहीं पकड़ता। गुजरात में इतनी बड़ी-बड़ी घटनाएं हुई तो अमिताभ बच्चन से क्यों नहीं पूछा गया।

दो-चार दिन में ही होगा विधानसभा का विशेष सत्र

कोलकाता से खबर है कि चिट फंड कंपनियों पर अंकुश लगाने तथा आम जनता के हितों की रक्षा के लिए सरकार नया कानून बनाने जा रही है, लेकिन नए कानून के तहत भी सारधा समूह पर शिकंजा नहीं कसेगा। कानून बनाने के लिए शीघ्र ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। 29 से 6 मई के अंदर विधानसभा का सत्र बुला कर विधेयक पारित कराने की संभावना है।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हाशिम अब्दुल हलीम ने कहा है कि नए कानून के दायरे में सारधा समूह का कारनामा नहीं आएगा। विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद जब कानून बनेगा तो उसके बाद इस तरह की कोई घटना घटती है तो उस पर लागू होगा। पुरानी घटनाओं पर नया कानून लागू होने की संभावना क्षीण है।

संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने चिटफंड कंपनियों के विरुद्ध कड़ा कानून बनाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की बात कही है। श्री चटर्जी ने कहा कि चिटफंड कंपनियों की संपत्ति जब्त करने के लिए सरकार कड़ा कानून बनाने जा रही है। इसके लिए विधानसभा का दो दिनों का सत्र बुलाया जाएगा। 2009 में वाममोर्चा द्वारा पारित किया गया विधेयक वापस ले कर नया बिल पेश किया जाएगा और उसे वैधानिक रूप दिया जाएगा

आयकर विभाग के प्रवर्तन निदेशालय ने भी दर्ज किया मामला

चिटफंड कंपनी शारदा समूह के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने भी मामला दर्ज कर लिया है। कंपनी के खिलाफ निदेशालय के गुवाहाटी ऑफिस में मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कराया गया है। इससे पहले शारदा ग्रुप के खिलाफ पश्चिम बंगाल की पुलिस, सेबी, आयकर विभाग और कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय पहले से ही जांच कर रहा है। उधर, पश्चिम बंगाल सरकार ने 29 अप्रैल को विधानसभा की विशेष बैठक बुलाई है। उम्मीद है कि इसमें चिट फंड कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून पास किया जाएगा। या संभव है कि मौजूदा कानून में ही संशोधन किया जाए।

केंद्र ने मार्च में ही किया था आगाह

नई दिल्ली से खबर है कि केंद्रीय कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने मार्च में ही भारतीय रिजर्व बैंक से वित्तीय कारोबार से जुड़ी संदिग्ध कंपनियों की जांच के लिए लिखा था। आम और गरीब निवेशकों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी करने का पश्चिम बंगाल में शारद ग्रुप ऑफ कंपनीज और दो अन्य कंपनियों का मामला तो खुल गया लेकिन देश में ऐसी 22 हजार से अधिक वित्तीय कंपनियों के संदिग्ध कारोबार पर सरकार की नजर है। संभवत: कंपनी मामलों के मंत्रालय को शारदा ग्रुप जैसी कंपनियों के फरेब का आभास हो गया था। पायलट ने इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भी पत्र लिखा था। कंपनी मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक ऐसी 87 कंपनियों के खिलाफ जांच की जा रही है, जिनके खिलाफ शिकायत मिली है।

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