पत्रकार नामधारी कुत्‍ते खौखिया पड़े। बोले:- भौं भौं

मेरा कोना

लखनऊ में खुलने लगी है घटिया पत्रकारों की नयी मंडी, अस्‍त्र है धमकी

न विचार, न भाषा, न वर्तनी। सिर्फ गालियां और वह भी नंगी-नंगी : उन्‍होंने मां-बहन की गालियों का तोहफा भेजा, मैंने वापस कर दिया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आप तनिक भर कोई कुछ नया सुधार की कोशिश करेंगे, आपके खिलाफ जंग छिड़ जायेगी। कल मैने पत्रकार जगत में घुसपैठ की जुगत भिड़ा रहे लोगों को टोका, तो वो मुझ पर तेल-पानी लेकर चढ़ने को दौड़े।

कल जब टीम इण्डिया की जीत पर पुलिसवालों का चरण-चुम्बन करने वाली घटना का खुलासा किया तो देखते ही देखते ही मुझ पर फोन पर गालियों की बारिश शुरू हो गयी। एक ने नंगी गालियां दीं, तो एक ने सीधे माँ-बहन का स्तवन शुरू कर दिया।

एक ने शुरुआत ही इसी तरह की:- तुम हो कौन भों…..के? अभी मैं तुम्हारी……करता हूँ।

दूसरे ने कहा:- रुक साले, तेरी …. के लिए थाने पर रिपोर्ट कराने जा रहा हूँ। तेरी गां….. में डंडा डालूँगा।

तीसरे ने सीधे ही प्रशस्तिगीत पढना शुरू कर दिया। बोला:- अरे मा…….। तेरा चिथड़ा भी निकालूँगा साले।

एक को तो इतना गुस्सा आ चुका था कि वो खुद ही गाली देने लगा। चिल्लाया:- तुम मुझे नहीं जानते हो। मैं बहुत बड़ा मादर…..हूँ। किसी भी दरोगा-एसपी से कह कर तुम्हारी …. में डंडा घुसड़वाऊंगा।

अब मैं क्या करता? सीधे बुद्ध बन गया। आनन्-फानन स्वाभाविक ठहाके लगाना बंद किया और किसी महान साधु-संत की तरह खुद को बमुश्किलन संयत करते हुए कहा:- आपने जो भी गालियां मुझे कृपापूर्ण दी हैं, उसका शुक्रिया। लेकिन मैँ रहा हूँ संत-साधु। इनका मैं क्या करूँगा? तो फिर ऐसा कीजिये कि यह गालियां आप खुद अपने लिए वापस ले लीजिये। आप अनुभवी हैं, आपको अपने परिवार में उनकी नियमित रूप से आवश्यकता पड़ती ही होगी। रही आपके माद…. होने की, तो मैं आपके इस खानदानी गुण पर कोई भी टिप्पणी नहीं करूँगा। ख़ैर

दोस्तों!

मैने कहा था न, कि वॉच-डॉग्स को दबोचने, नोंचने और काटने के लिए सड़क के आवारा कुत्तों ने अपनी एक बड़ी टोली तैयार कर ली है। मुझ को घेरने के लिए ऐसे कुत्ते अपने दांत और पंजे ही नहीं, अपना भौँकत्व को धार चढाने के लिए सान खोज रहे हैं।

अब यह गालियां दे रहे हैं, जो मैं स्वीकार नहीं कर रहा हूँ।

रही बात दरोगा और एसपी की, तो मैं डरता किसी से भी नहीं। खुद से भी नहीं। लखनऊ के बड़ा दारोगा राजेश पाण्डेय से भी नहीं। जिनके छोटे दरागाओं को तेल लगाने की बेहूदी हरकत तुमने की। पत्रकारिता का पाजामा पहन कर। हां, पराड़कर जी हजारीप्रसाद द्विवेदी जैसे महा-मानवों-चिंतकों का सर्वाधिक सम्‍मान करता हूं। खैर, आप को तो उन लोगों के नाम की स्‍पेलिंग तक पता नहीं होगी। है न

फिलहाल, मेरी एक पोस्ट पर किसी इसकी पांडे ने मेरा पोस्टमार्टम करते हुए मुझे अवसाद ग्रसित और पागल करते हुए जन-मानस से अपील की है कि कुमार सौवीर की बातों पर यकीन न करे, और सत्यता के लिए मौके पर मौजूद पुलिस अफसरों और सिपाहियो से सत्यापन करने की कृपा करें।

एक वाट्सअप ग्रुप पर उस पोस्ट का स्क्रीन शॉट आप को भेज रहा हूँ।

हा हा हा

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जनहित में जारी सन्देश

कथित पत्रकार कुमार सौवीर जो अपने आप को बहुत बढ़ा पत्रकार बताता है , कई अखबारो में अपने कुकृत्यो के चलते पहले ही अखबारो के द्वारा जिसे बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है , पिछले काफी समय से डिप्रेशन/ मानसिक रोग का शिकार है और जिसका इलाज जारी है जिसे भारत माता की जय बोलने में भी शर्म आती है शायद पाकिस्तान की हार पर इसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है,सूत्रो द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत पाकिस्तान के मैच में कथित पत्रकार कुमार सौवीर ने काफी रुपया भी लगाया था, बाद में पाकिस्तान टीम हार गयी, जिसके बाद से इसका पागलपन भारत की ओर बढ़ता चला गया गौरतलब हो की पकिस्तान के मैच हारने के बाद कथित पत्रकार रात में सो भी नही पाया , जिसके बाद इसे खबर मिली की भारत की जीत की ख़ुशी में पत्रकारो ने केक काटा तो यह बौखला गया और इसके मन में जो आया वह उल्टा सीधा सोसियल मिडिया के माध्यम से पत्रकारो और उक्त कार्यक्रम के दौरान मौजूद पुलिस अधिकारियो को जो मर्जी आये सो कह डाला , इसकी घटिया मानसिकता का परिचय भी इसी बात से दिया जा सकता है की अपने लेख के दौरान अंत में उसने यह भी लिख दिया की जिसको जो करना है कर लो कोई मेरा कुछ भी नही बिगाड़ पायेगा ।,

आप सभी से अपील है इसकी तकियानूसी बातो पर भरोसा ना करे , खबर की सत्यता हेतु कार्यक्रम के दौरान मौजूद पुलिस अधिकारियो या पत्रकारो से संम्पर्क करे ।।।

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