पहले करती थे नेपाल-सीमा पर नशे का धंधा
महराजगंज: इंडो नेपाल बार्डर पर चरस व अन्य मादक पदार्थो की तस्करी के दौरान पकड़ी गयीं नेपाली महिलाएं इन दिनों तराई के जिला कारागार में बंद हैं। उनके मानसिक स्तर को ठीक करने के लिए कारागार में योग प्राणायाम सिखाया जा रहा है जिससे महिला कैदियों के व्यवहार में योग से बदलाव की मिठास दिखने लगी है।
जेल के महिला बैरक में बंद नेपाली विचाराधीन महिला कैदी शुरूआती दौर में गुमशुम थी। जेल प्रशासन ने उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए योग प्राणायाम की तरकीब सोची और शुरू करा दिया योग साधना। जिसका नतीजा यह है कि नेपाली महिला कैदियों के कार्य व्यवहार में लगातार परिवर्तन हो रहा है। नेपाली महिला कैदी मुस्कान, संजना, संगीता, झांगी, मन कुमारी, फूलमाया आदि शामिल हैं। जिन्हें योग की क्लास शहर की चिकित्सक डा.रश्मि श्रीवास्तव लगाती हैं और उन्हें योग प्राणायाम, ध्यान के जरिए उनके नकारात्मक विचारों को बदलकर सकारात्मक राह पर लाने की कोशिश कर रही हैं। इस काम में डा.नीतू भी साथ में है। वह भी महिला कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए योग ध्यान का टिप्स दे रही हैं।
जिसका नतीजा यह है कि बैरक में अब उन महिला कैदियों के रहन-सहन के साथ उनके बातचीत व तौर तरीकों पर सकारात्मक असर दिखने लगा है। अब उनमें अपराध के आत्म ग्लानि की अनुभूति भी होने लगी है। अब वह समाज में अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए सोचने लगी हैं। खास बात यह है कि बदलाव की मिठास उन महिला कैदियों में है जो इंडो नेपाल बार्डर पर गरीबी के चलते काफी दिनों तक मादक पदार्थ बेचने के साथ कैरियर का काम करती थी। जिन्हें एसएसबी व अन्य सुरक्षा एजेंिसयों ने चरस व अन्य मादक पदार्थ के साथ पकड़ा था और वह करीब एक साल से जिला कारागार में बंद हैं। उनमें एक नई ऊर्जा की स्फूर्ति हो रही है।
जिला जेल के जेलर ए.के.राय कहते हैं कि इंडो नेपाल बार्डर पर पकड़ी गयी महिला विचारधीन कैदियों में योग व प्राणायाम तथा ध्यान के जरिए काफी परिवर्तन हो रहा है। यह उनमें सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करने का प्रयास है। योग सिखाने वाली प्रशिक्षक पूरी तौर पर निशुल्क हैं। उनके सहयोग को भी जेल प्रशासन सराहना करता है।