: सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज करने पर हुक्म दिया : निहायत बेशर्म और आला दर्जे का बेईमान नेता का नाम है गायत्री प्रजापति : लगता है कि गायत्री की ताजा करतूत पर हो जाएगी गरिमा की पौ-बारह :
कुमार सौवीर
लखनऊ : राजा-महराजा और उनकी रानियां-महारानियां ही नहीं, उनकी दास-दासियों पर जो कुछ भी पूर्व राजनयिक जरमनी दास ने लिखा था, वह अब लगता है कि सब का सब साबित होता ही जा रहा है। खास कर अमेठी राजघराने को लेकर तो यह अनुमान और निष्कर्ष निकाला जा सकता है, जहां दो-कौड़ी के एक प्यादे ने राजनीति में इतनी रकम उगाह ली कि कुबेर और खुद अमेठी के आसपास तक के राजघराने शर्मिंदा हो जाएं। लेकिन बात केवल अवैध सम्पत्ति जुटाने तक ही सीमित नहीं है। अमेठी के इस टिटपुंजिया प्यादे ने बलात्कार तक का शौक फरमाना शुरू कर लिया, जो कभी राजघराने से जुड़े लोग किया करते थे।
जी हां, यह मामला है प्रदेश की अखिलेश सरकार के मंत्री और समाजवादी पार्टी के कभी मुखिया रहे मुलायम सिंह तथा अखिलेश यादव के दुलरूआ बने रहे गायत्री प्रजापति का। खनन जैसे सर्वाधिक कमाई वाले महकमे के मुखिया रहे और अगाथ सम्पत्ति उगाहने में शातिर खिलाड़ी गायत्री प्रजापति की करतूतों ने आज एक जबर्दस्त डंडा दे मारा है। एक युवती से बलात्कार और उसका यौन शोषण करने के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने अखिलेश सरकार को आदेश दिया है कि वे गायत्री के खिलाफ प्रभावित युवती की रिपोर्ट दर्ज करे।
अमेठी राजघराने के इर्द-गिर्द घूमने वाली यहां की राजनीति को इस घटना ने खासा भूचाल खड़ा कर दिया है। कहने की जरूरत नहीं कि इस विधानसभा चुनाव में गायत्री प्रजापति ने बाकायदा अपनी ताल ठोंक दी थी और उनका प्रचार खासा जोर-शोर पर चल रहा था। लेकिन आज सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से गायत्री प्रजापति का दौलत वाला गायत्री-मंत्री अब बेअसर लगता दिखने लगा है।
आपको बता दें कि अमेठी में अब तक त्रिकोणीय चुनाव झोंके चल रहे हैं। एक ओर तो अमेठी के राजा डॉक्टर संजय सिंह की पत्नी डॉ अमिता सिंह चुनाव लड़ रही हैं, जो प्रदेश की पूर्व मंत्री भी रह चुकी हैं। दूसरे कोने पर हैं अमेठी राजघराने की पूर्व महारानी गरिमा सिंह, जिन्हें संजय सिंह ने करीब दो दशक पहले तलाक दे रखा था। लेकिन पिछले दो बरसों से वे अपने बेटे के साथ अमेठी राजघराने में दोबारा घुसने में सफल हो गयी हैं और वह भी चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने गरिमा पर ही दांव लगाया है।
तीसरा कोना दबाये हैं गायत्री प्रजापति, जिनके कर्म-कुकर्मों की चर्चा आज सर्वोच्च न्यायालय के ताजा फैसले से समझा-जाना सकता है। गायत्री को अब तक अवैध रकम का कुबेर माना जाता था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से एक संगीन बलात्कार का आरोप भी उनके चेहरे पर चस्पां हो गया।
कहने की जरूरत नहीं कि यूपी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी को यह एक जोरदार झटका लगा है। अखिलेश सरकार में मंत्री और अमेठी से पार्टी के उम्मीदवार गायत्री प्रजापति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप और यौन उत्पीड़न में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर यूपी सरकार से आठ हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है।
प्रजापति इस समय यूपी कैबिनेट में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर हैं. 35 वर्षीय पीड़िता उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज न होने पर सुप्रीम कोर्ट गई थी उसका कहना था कि उसके साथ गैंगरेप हुआ और उसकी बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर तुरंत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। बताया जाता है कि पीड़िता चित्रकूट की रहने वाली है और उसका आरोप है कि प्रजापति ने समाजवादी पार्टी में अच्छा पद दिलाने का लालच देकर उसे अपने जाल में फंसाया और पिछले दो साल में कई बार उसके साथ गैंगरेप किया।
गायत्री प्रजापति पर आय से अधिक संपत्ति रखने, अवैध कब्जे, अवैध खनन सहित कई संगीन आरोप लग चुके हैं। कुछ महीने पहले उन्हें अखिलेश यादव ने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। हालांकि मुलायम के दबाव में अखिलेश को दोबारा उन्हें सरकार में शामिल करना पड़ा।