कातिल की दखलंदाजी दिनेश की मौत का सबब बन गया

मेरा कोना

ई-टीवी वाले जगदीश चंद्रा उर्फ कातिल का नाम सहयोगी की मौत पर उछला-1

कुमार सौवीर

नई दिल्‍ली : जिन्दगी कुत्ते की तरह मत काटना, ये एसएमएस सबको कर रहा हूं। कोई तो मर्द बन के दिखाना। बस, उसको धरती दिखा देना। बता देना कि दिनेश सबका बाप था

सब मिल कर बदला लेना। — मेरे बचपन का दोस्त, — और — मेरे बच्चे, — और — विल जस्टिस। भाई —-और —- आर लाइक बिग ब्रदर। और — एंड — और — आर लाइक ट्विंकल। टि्वंकल का ध्यान रखना। प्लीज। वो बड़ा हो जाए तो उसको बताना कि उसके बाप ने नाकाम होकर खुदकुशी किया है। लेकिन उसको सिकन्दर बनाना भाई।

यह मैसेज दिनेश शर्मा का है, जिसे उसने अपने सारे दोस्तों और करीबियों को भेजा था। और इसके फौरन बाद उसने जहर की गोलियां निगल कर अपनी इह-लीला खत्म कर दी।

विनोद के एसएमएस और उसकी आत्महत्या की खबर जैसे ही फैली तो एक तरफ उसके दोस्तों ने ताबड़तोड़ यह खबर फैलानी शुरू कर दी, लेकिन दूसरा खेमा इस साजिश में जुट गया कि जैसे भी हो, इस खबर को दबाया जाए। चर्चाओं को शांत करने के लिए विनोद की लाश को आनन-फानन अग्नि के हवाले कर दिया गया। यानी तड़के डेढ़ बजे दिनेश को मृत माना गया और उसके बाद फौरन उसका पोस्टमॉर्टम कराके दोपहर बारह बजे दाह-संस्कार करा दी गयी। जाहिर है कि इस अफरा-तफरी का मकसद तो यही रहा कि कैसे भी हो, मामला दबा दिया जाए।

आपको बता दें कि राजस्थान के जयपुर का निवासी दिनेश शर्मा ई-टीवी के मालिक जगदीश चंद्रा उर्फ जगदीश कातिल का एक दौर में खासमखास माना जाता था। उससे जुड़े लोग बताते हैं कि कातिल के स्याह-सफेद धंधों की पूरी डीलिंग दिनेश ही करता था। कौन सी पार्टी, विधायक, मंत्री की खबर ई-टीवी में चलनी है, यह फैसला दिनेश ही करता रहा था। बताते हैं दिनेश ही कातिल के सारे सरकार-निजी लेन-देन का असली चेहरा बनता जा रहा था। इतना ही नहीं, मुर्गे फंसाने के लिए लोकायुक्त और सूचना अधिकार आयुक्त कार्यालयों तक की दौड़भाग दिनेश ही करता था।

लेकिन बताते हैं कि कुछ समय पहले दिनेश और कातिल में विवाद हो गया। जाहिर है कि पूरा मामला लेन-देन का ही रहा। बताते हैं कि कातिल को शक था कि दिनेश ही कातिल के धंधे पर डंडी मार रहा है। कई बार दोनों में जमकर विवाद भी हो चुका था। खैर, कातिल से भिड़ पाने की हैसियत तो दिनेश में थी नहीं, सो उसने कातिल की नौकरी छोड़कर इंडिया न्यूज ज्वाइन कर लिया।

लेकिन दिनेश को छोड़ना कातिल के लिए मुमकिन नहीं लगा। एक वजह तो यह कि दिनेश के बिना कातिल का धंधा बेहद मंदा होने लगा था, और दूसरी वजह यह कि दिनेश को कातिल की सारी स्याह-सफेद करतूतों की पूरी जानकारी थी। बताते हैं कि कातिल को शक था कि अगर दिनेश ने कुछ भी उगल दिया तो कातिल पर मामला बहुत भारी पड़ जाएगा। इसी चलते, सूत्रों के मुताबिक, कातिल ने कुछ ही दिनों पहले दिनेश की नौकरी इंडिया न्यूज से छुड़वा दिया और फिर ई-टीवी में ज्वाइन करवा लिया।

मगर मन-विभेद के चलते भड़के विवाद थम नहीं सके। सूत्र बताते हैं कि इस पर कातिल ने एक पांसा फेंका। अचानक लोगों को पता चला कि दिनेश की नौकरी ईटीवी से खत्म हो गयी है और दिनेश ने जयपुर के बजाय ब्यावर स्थित एक सीमेंट कम्पनी ज्वाइन कर लिया। लेकिन जानकारों का कहना है कि यह नई नौकरी कातिल ने ही दिनेश दिलवायी थी। और जाहिर है कि यह नई नौकरी दिनेश के मन-मुताबिक हर्गिज नहीं थी। वजह यह कि दिनेश हमेशा इलेट्रानिक मीडिया से जुड़ा रहा था, जबकि सीमेंट कम्पनी की नौकरी उसकी ख्वाहिशों के प्रतिकूल ही रही। दिनेश के एक करीबी ने बताया कि सीमेंट की नौकरी कातिल ने ही दिनेश को दिलायी थी। दरअसल कातिल चाहता था कि दिनेश मीडिया से दूर भी रहे, उसके परिवार का भरण-पोषण होता रहे और इस तरह कातिल की करतूतों पर सफेद चादर पड़ी रहे। दिनेश को जयपुर से दूर नौकरी ब्यावर में दिलवाना इसी के चलते था। ताकि दिनेश ब्यावर में अटका रहे और उसका परिवार जयपुर।

दिनेश के एक मित्र के मुताबिक विनोद ब्यावर में नहीं रहना चाहता था। इसी बीच कातिल ने दिनेश की मां को अपनी बहन बना लिया। दिनेश के घर उसका आना-जाना अचानक बढ़ गया। कातिल अब इस परिवार को यह लगातार समझाने लगा कि दिनेश का ब्यावर में रहना ही परिवार के हित में है। कातिल इस परिवार को आयेदिन भारी नकदी भी देता रहने लगा। यह बात दिनेश को अखरने लगी। उसका कहना था कि उसके परिवार में कातिल का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

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