जयशंकर प्रसाद के आकाशदीप-सी है अखिलेश सिंह की जिन्दगी
: पुलिस डायरी में सबसे बड़ा गिरोह दर्ज है 45 अपराधियों वाला गैंग : प्रदेश पुलिस प्रमुख के बेटे की सरेआम हत्या के बाद उसकी लाश लेकर भाग गये हत्यारे : बड़े नेताओं के क्लोज रिलेशन का सबसे बड़ा गवाह :
रायबरेली। प्रख्यात साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की कहानी आकाशदीप में नायिका ने रूंधे-भरे गले से अपने अपहरणकर्ता जल-दस्यु से जो कुछ भी कहा था, रायबरेली की जनता भी आज यही कहती है। यहां के लोग भी मानते हैं कि रायबरेली सदर का विधायक दरअसल अपराधी है। पुलिस की डायरी में प्रदेश के सबसे बड़े संगठित गिरोह की पहचान दर्ज है जिसमे 45 अपराधी हैं। कुल 62 जघन्य अपराध का रिकार्ड है जिसमें 19 हत्या शामिल है। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत चार बार पकड़ हो चुकी है, 5 बार गैंगेस्टर लागू हो चुका है। लेकिन वोट भी हर बार इसी शख्स की झोली में गिरते हैं।
सीधी बात की जाए तो कभी इंदिरा गांधी के करीबी हिस्ट्रीशीटर रवींद्रनाथ सिंह उर्फ धुन्नी सिंह के दो बेटों में से एक अखिलेश सिंह का एक चेहरा तो विधायक का है तो दूसरा चेहरा है प्रदेश के सबसे बड़े गिरोह के सरगना का जिसका जन्म 15 दिसम्बर-59 में हुआ। छिटपुट अपराधों के बाद अखिलेशसिंह का बड़ा नाम सबसे पहले 82 में आया जब आनन्द मिश्र की हत्या हुई। आरोप लगा अखिलेश सिंह पर। इसके बाद राजधानी लखनऊ के निगोहा में सन 87 में मनोज त्रिवेदी उर्फ बादशाह को कई किलोमीटर दौड़ाकर मारा गया। मारा गया शख्स प्रदेश के तत्कालीन पुलिस प्रमुख श्रीशचंद्र दीक्षित का बेटा था। लोगों को याद है तब समय बेधड़क अपराधियों की इस करतूत के चलते पूरी रायबरेली राष्ट्रीय मार्ग पर कई घंटों तक जाम लग गया था। इतना ही नहीं, अपराधी तो मनोज त्रिवेदी की लाश लेकर भाग गये जिसे तीन दिन बाद बंथरा पुलिस ने बरामद किया।
घटना-स्थल से बंथरा, जहां लाश मिली थी, की दूरी करीब 35 किलोमीटर थी। लेकिन लाश का अता-पता तीन दिनों तक नहीं चल पाया। लाश पर 28 गोलियों के निशान थे। नाम फिर आया अखिलेशसिंह का। कहने की जरूरत नहीं कि प्रदेश पुलिस के मुखिया रहे श्रीचंद्र दीक्षित की बहन का बेटा ही मनोज त्रिवेदी था, जिसे श्रीचंद्र दीक्षित ने अपने बेटे की तरह गोद ले रखा था। कहने की जरूरत नहीं कि मनोज त्रिवेदी यानी प्रदेश के पुलिस मुखिया के दत्तक-पुत्र की ऐसी सनसनीखेज और हौलनाक हत्या की घटना को भी पुलिस और प्रशासन ने हजम कर लिया था।
23 जुलाई-88 को लखनऊ में हुई अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या की जांच में सीबीआई ने अखिलेश सिंह के साथ अमर बहादुर सिंह, भगवती सिंह, जितेंद्र सिंह और बलाई सिंह भी पकड़े गये। अखिलेश पर आरोप था कि उसने हत्यारों को सुपारी दी थी और अमर, भगवती व जितेंद्र गाड़ी लेकर सैयद की हत्या करने गये थे। सीबीआई ने संजय सिंह और अमिता मोदी के घरों पर छापे मारे और अमिता की डायरी से इस खूनी मोहब्बत के सुराग तलाशा। एक डायरी में अमिता और संजय सिंह के बीच `क्लोज रिलेशनशिप’ का तथ्य पता चला को पकड़ा। बचाव में लगे थे प्रख्यात वकील राम जेठमलानी। यह मामला छूट गया और संजय सिंह और अमिता ने आपस में शादी कर ली। संजय सिंह की पहली पत्नी गायत्री पर किस तरह तलाक चस्पा किया गया, यह अलग चिलचस्प मामला है। खैर, संजय सिंह आज एमपी हैं और अमिता पूर्व विधायक। ( जारी )
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