: मुख्यमंत्री को तेल लगाने की जुगत भिड़ाओ, दारू पीकर सड़क पर बवाल करो, सरकारी गनर ले लो : 36 करोड़ का एक ठेका झटक लो, सम्पादक को मलाई चटाओ, ग्रुप में नंगी अश्लील फोटो अपलोड करो : डीएम का घर कब्जाओ, संविदाकर्मी को ब्लैकमेल करो :
कुमार सौवीर
लखनऊ : अरे नादान पत्रकार चेलों ? कहां भटक रहे हो? जबरिया घर-घुसने वालों !
तुम्हारा गुरू-घण्टाल यहां है।
आओ, औपचारिकता ही सही, लेकिन अपने हाथ बढ़ाओ, चरण-स्पर्श करो, दक्षिणा अर्पित करो, आशीर्वाद लो।
लेकिन मेरा ज्ञान मत लेना, वरना दक्खिन हो जाओगे। करना वही जो तुम्हारे प्रारब्ध से है, वर्तमान में लिथड़ा है और भवितव्यता के रॉकेट पर चढ़ा हुआ है।
तो जाओ, अब सटक लो यहां से। दुनिया को चूतिया बनाने के अभियान में निकल पड़ो। लखनऊ में हचक कर दलाली करो। बकरदाढ़ी खुजलाओ, मुख्यमंत्री बदल जाए, तो अपनी दूकान चमकाने की जुगत भिड़ाओ, जुगाड़ न हो पा रहा हो, तो एनेक्सी के दरवज्जे पर पपीहे की तरह मुंह बाये खड़े रहो, जैसे ही मुख्यमंत्री आते दिखें, कमर तक से झुक कर दोनों हाथों से रसगुल्ली-प्रणाम झोंको, पेले रहो मक्खन, लगाये रहो तेल। सिर्फ प्रत्याशा में।
दो-चार मंत्री-संतरी के घरों में पलने वाले जैकी, टोनी जैसे कुत्ते की तरह इधर-उधर भटकते रहो। उप्पर वाले पर यकीन रखो, कि देर-सबेर एकाध रोटी भी तुम्हारे पंजों की ओर फेंकी ही जाएगी। बड़े कुत्ते बन जाओगे तो एक ही झटके में उस सत्यनारायण कथा के उस पात्र की तरह तुम्हारी जिन्दगी संवर जाएगी, जिसका अंत भला हो जाता है। मौका मिल जाते ही 36 करोड़ का एक ठेका झटक लेना। उसे कमीशन हासिल कर दूसरों को थमा देना, और दूसरे ठेके की जुगत भिड़ाने में जुट जाना। फर्जी खबर लिखो। सम्पादक को मलाई चटवाओ। दारू पीकर सड़क पर मवाली की तरह झगड़ा करो, मार खाओ, फिर सरकारी गनर ले लो। मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर पर अपनी बीवी के साथ सैर करो, और फिर उसी मुख्यमंत्री से अपनी छीछालेदर करवाओ। सरेआम, भरी प्रेस-कांफ्रेंस में। लिंग-वर्द्धक यंत्र बेचो, साथ में जोशीला तेल और 32 जीबी मेमेरी-कार्ड भेंट दो।
डेढ़ करोड़ वाले हार की चोरी के आरोप में दो महीनों तक एफटीएफ द्वारा विभिन्न थानों में दो बेगुनाहों को पीटने और हवालात में गैरकानूनी तरीके से बंद रखने वाली खबर पचा हो, कुछ ऐसा करो कि किसी को भनक तक न मिल पाये। जुल्फी डीएम के जूते चाटो, अपने बच्चे से उस पर पेशाब कराओ, उसके प्रशस्तिगीत लिखो-गाओ। अपने बंगले पर पांच होमगार्ड को लाठियों से पीटने वाले डीएम की बहादुरी पर ढफली बजाओ, मंत्री के जूतों पर शीश झुकाने वाले अफसर के विनीत भाव पर भाव-विभोर हो जाओ।
बस्ती में किसी कर्मचारी को ब्लैकमेल करो, होटलवालों से उगाही करो। 5-7 लोग जुटा कर उनके साथ डीएम-एसपी के घर डेलीगेशन लेकर जाओ, और बताओ कि यह सारे पत्रकार हैं, और पत्रकारों का उत्पीड़न हो रहा है, उसे बंद करो। बहराइच में डीएम के सरकारी बंगले पर कब्जा कर लो। कोटेदारों और प्राइमरी स्कूल के टीचरों से छापामारी की शैली में उल्टे-पुल्टे सवाल पूछो, उनको हड़का कर पैसा ढीला करो। सोनभद्र भेजे गये उस बेईमान एडीएम का बटुआ हल्का करो, जो अपना पेशकार हटा कर उसकी कुर्सी पर अपने चेले को बिठा लेता है।
जौनपुर में आरटीओ आफिस की दलाली न कर पाओ, तो मंत्री-डीएम के कान में उनके खिलाफ लघुशंका कर डालो। यह भूल जाओ कि तुम न तो पत्रकार हो, और न ही कभी हो भी सकते हो। सच बात तो यही है कि तुम्हें लिखने-पढ़ने की न कोई जरूरत समझ में आयी, और न ही तमीज। दिन भर अफसरों-नेताओं के घर-दफ्तर दल्लागिरी करते रहते हो तुम। बड़े अखबार का ब्यूरो-चीफ होने के बावजूद रॉबर्ट्सगंज के बिजलीघर के आलीशान गेस्टहाउस में कई-कई दिनों तक लड़कियों का धंधा चलाओ। डाला में सिर्फ नोट छापो। मिर्जापुर के विन्ध्याचल में महंथही करने के साथ जलवा करने के साथ ही साथ प्रेस-कार्ड अपने गले में लटकाओ।
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सौ-सौ जूतों खाय, चित्त में एक न लेना की शैली में बार-बार बनारस लौट आया करो। फर्जी खबर खुद भी लिखो, और अपने सहयोगियों से भी लिखवाओ। सम्पादकीय लिखो कि अपने सहयोगी पत्रकारों को प्रताडि़त करो, और इतना बेहाल कर दो कि या तो वह मौत के आगोश में आ जाएं, या फिर खुद ही जूता लेकर तुम्हारी ऐसी-तैसी करने पर आमादा हो जाएं, जैसा कुमार सौवीर ने सन-07 में किया था।
पीलीभीत में बाघ के सामने अपने परिवार के बुजुर्गों को किसी लजीज भोजन की तश्तरी की तरह पेश करने के लिए उन्हें जंगल में भेजने वाली फर्जी खबर छाप कर वितण्डा खड़ा कर दो, बरेली की कोतवाली के ठीक सामने बने अपने प्रेस-क्लब में चलने वाले जुआ और शराबखोरी के लिए सारे दंद-फंद करो, मेरठ में डंके की चोट पर पैसा उगाहो, रायबरेली के ऊंचाहार में हुए पांच लोगों की नृशंस हत्या की खबरों को दबाने के लिए मंत्री और अफसरों की पाकेट की रकम अपनी जेब में सरकार लो। गोंडा के कर्नेलगंज में अपना नाम पापी रख लो, और फिर सपरिवार ऐश करो। शाहजहांपुर में पत्रकार के हत्यारोपित मंत्री को हर साल पत्रकारिता और हिन्दी दिवस के अवसर पर उसे मुख्यअतिथि बना कर उसे सम्मानित करो।
तो ऐसा है बेटा, कि आज कुछ सकारात्मक बनो, कुछ सार्थक करो। किसी की चुगली करो, किसी के उंगली करो।
मजा लो, मजा दो।
गुरू-पूर्णिमा सम्पन्न