युवती को आधी रात पत्रकारिता सिखाना चाहते थे सम्‍पादक, नटखट ने किया सरभंड

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: इस युवती ने इस सम्‍पादक के सामने खुद को पत्रकारिता में प्रवेश की ख्‍वाहिश क्‍या दिखायी, सम्‍पादक का दिल बल्लियां बम-बम होने लगा : आधी रात को फोन कर आधी रात को बुलाया करते थे यह इश्‍क-मिजाज सम्‍पादक : युवती ने मित्र को पूरा किस्‍सा बताया, मामला उसी वक्‍त खत्‍म :

कुमार सौवीर

लखनऊ : बड़े-बड़े पत्रकार सिर्फ पत्रकार ही नहीं, बल्कि बहुत घाघ भी माने जाते हैं। नजर के नश्‍तर की तरह। एक झटके में ही भीतर का हर अंग बींध सकने की खासियत न हो तो वह सम्‍पादक कैसा। किसी भी सम्‍पादक का यह सम्‍पादकीय गुण शुरू से ही ऐसा ही है। कुछ पढ़ा, कुछ लिखा, कुछ सोचा, कुछ बिचारा, कुछ सीखा, कुछ अपनी तीसरी आंख से अनुभूत। फेफड़े में जाती हर सांस कुछ नया ज्ञान लेकर आती है, और लौटते ही नये खबर या साजिश को बुन-चुन कर ही फेंकती है। अब यह तो उस सांस के आवागमन पर नजर रखे लोगों पर ही निर्भर होता है कि वह हर सांस के आने जाने का अभिप्राय भांप लें।

अब ताजा माहौल में मालिक को झांसा देकर बड़े नेताओं और अफसरों की दलाली करने वाले पत्रकारों-सम्‍पादकों की लिस्‍ट लगातार बढ़ती ही जा रही है। दलाली का पैसा जैसे-जैसे मोटा होता जा रहा है, उन पत्रकारों पर इश्‍क का समन्‍दर भी सुनामी से भी ऊंचा होता जा रहा है। मामला फ्री में मिल जाए, इसलिए कुछ सम्‍पादक तो मालिक की कमाई का हिस्‍सा कई महत्‍वाकांक्षी युवतियों को नौकरी दिलाने तक में परहेज नहीं करते। सपने दिखाये जाते हैं कि उन युवतियों को पत्रकारिता सिखा कर ही मानेंगे यह सम्‍पादक-पत्रकार साहब।

लेकिन लखनऊ का एक नटखट पत्रकार इस मामले में शेर की बिल्‍लो-मौसी साबित हो गया। उसने एक सम्‍पादक को ऐसा पदनी का नाच नचाया, कि इस सम्‍पादक की सारी सम्‍पादकीयता किसी गुह्य-मार्ग पर प्रस्‍थान हो गयी। इन नटखट पत्रकार ने अपने नटखट-भाव में पहले तो पूरा मामला समझा, फिर उस युवती को उस सम्‍पादक  की करतूतों का शिजरा-इतिहास समझ कर उसके सामने परोस दिया। भयभीत युवती अपना भविष्‍य अपने हाथ में लेकर किसी दूसरे नीय‍तदार सम्‍पादक-पत्रकार की ओर फिर रही है।

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पत्रकार पत्रकारिता

हुआ यह कि यह युवती से उस सम्‍पादक का ताआर्रूफ एक समारोह में हुआ था। अस्‍सलाम वालेकुम और वाले कुम अस्‍सलाम जैसे रस्‍मी अभिवादन के आदान-प्रदान भी हुए। लेकिन इस युवती का शबनमी और मरमरी सम्‍पादक के दिल-दिमाग को बाकायदा कूकुर बना गया। टोटल श्‍वान बन गये यह सम्‍पादक जी उस युवती की याद में। युवती को झांसा दिया कि वे चुटकियों में उसे पत्रकार बना सकते हैं। बस, दिक्‍कत यह है कि उनके पास टाइम नहीं है, लेकिन चूंकि आप खासी जोशीली दिख रही हैं खबरनवीसी की दुनिया में, इसलिए मैं जल्‍द ही इस मामले में संजीदगी से वक्‍त निकालूंगा जरूर। दोनों ने आपस में फोन-शोन का आदान-प्रदान भी कर लिया।

हैरत की बात थी कि यह जल्‍दी उसी रात को ही साकार हो गयी, जब सम्‍पादक ने उसे रात साढ़े बारह बजे फोन करके कहा कि इस वक्‍त में खाली हूं, तुम अगर खाली हो तो आज से ही बिसमिल्‍लाह कर लिया जाए। शर्त सिर्फ यह है कि चूंकि यह मामला संजीदगी से पत्रकारिता सीखने-सिखाने का है, इसलिए एकांत बहुत जरूरी है।

इस युवती के लिए यह मुमकिन नहीं था कि वह आधी रात को अकेले में पत्रकारिता सीखने निकले। इसके लिए उस ने एक नटखट पत्रकार से सम्‍पर्क किया, और पूरा मामला समझा दिया। यह पत्रकार भी खांटी नटखट निकला। उसने कम्‍प्‍यूटर की शैली में फर्राटेदार अंदाज में इस सम्‍पादक की जिन्‍दगी का एक-एक पन्‍ना, हर्फ और उसके अंजामों तक का खुलासा कर दिया। यह सुन कर सहम चुकी यह युवती ने पत्रकारिता छोड़ने का तो फैसला नहीं छोड़ा, लेकिन इस सम्‍पादक को उसके अगली बार आधी रात के बाद आये ऐसे फोन पर ऐसे-ऐसे अल्‍फाज बयान किये, कि सम्‍पादक की हसरतें, उसका  होश और जोश तक के छक्‍के छूट गये।

अगले अंक में हम बतायेंगे कि इस नटखट पत्रकार ने किस-किस सम्‍पादक का तियां-पांचा किया है।

पढ़ते रहिये करतूतें नटखट हरिशंकर शाही की।

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हरिशंकरशाही

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