एनबीटी ने तो सम्‍प्रदाय-सद्भाव के चीथड़े उड़ा डाले

मेरा कोना

: फिलहाल तो डॉक्‍टर अम्‍मार रिजवी अपना माथा थामे सदमे में बैठे हैं : डॉ रमेश दीक्षित के जन्‍मदिवस समारोह की रिपोर्टिंग की रिपोर्टिंग में पराड़कर की आत्‍मा का गला दबोच लिया एनबीटी अखबार ने : पूरे अखबार में बिखरे पड़े हैं सामाजिक सद्भाव के किर्च :

मेरीबिटिया संवाददाता

लखनऊ : लखनऊ के अखबार और उनके पत्रकार तो आजकल बाकायदा कमाल की पत्रकारिता पर आमादा हैं। किसी ने क्‍या बोला-कहा, इससे इन पत्रकारों-अखबारों को इससे कोई लेना-देना नहीं होता है। वे तो सिर्फ इतना ही छापते-दिखाते हैं, जितनी की तमीज उन्‍हें होती है। भले ही अपने इस मिशन में वे किसी का अर्थ का अनर्थ तक कर डालें। ताजा शर्मनाक किस्‍सा है एनबीटी नामक अखबार का, जहां छपी एक खबर को लेकर एक वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता समेत पूरा लखनऊ का बुद्धिजीवी समाज अपना सिर धुन रहा है। वजह है रिपोर्टिंग में किसी सीधे-सच्‍चे मसले का तियां-पांचा कर डालना।

आपको बता दें कि डॉ रमेश दीक्षित राजनीति, सामाजिक और शैक्षिक समाज की एक बड़ी हैसियत का नाम माने जाते हैं। कल डॉ रमेश की सालगिरह थी। उसी मौके पर एक समारोह भी आयोजित किया गया। समारोह में कांग्रेसी के वरिष्‍ठ नेता डॉ अम्मार रिज़वी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा “हिन्दू क्म्युन्लिज्म (सम्‍प्र्दायिकता ) से हिन्दू लडे और मुस्लिम कम्युनलिज्म (स्मप्र्दायिकता ) से मुस्लिम लड़े। डॉ अम्‍मार रिजवी की राय थी कि ऐसा हो जाने के बाद ही सेकुलरिज्म की लड़ाई जीती जा सकती है।

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पत्रकार पत्रकारिता

लखनऊ के पत्रकार ओबैद नासिर ने इसका खुलासा किया है। उनका कहना है कि लेकिन NBT के रिपोर्टर ने अगले दिन इस समारोह में डॉ अम्‍मार रिजवी के इस बयान का ढक्‍कन उतार कर उसकी चिंदियां उधेड़ डालीं। एनबीटी के रिपोर्टर ने रिपोर्ट छापी है कि “मुस्लिम कम्युनिटी की लड़ाई मुस्लिम को लडनी होगी और हिन्दू कम्युनिटी की लड़ाई हिन्दू को। “

कहने की जरूरत नहीं कि इस अखबार में छपी इस खबर पर प्रतिक्रिया प्रदर्शित करने की बारी अब डॉ अम्मार रिज़वी की हो गयी है। कयास यह लगाये जा रहे हैं कि इस अर्थ के अनर्थ पर चकराये फिलहाल क्‍या कर रहे होंगे। लेकिन ओबैद नासिर की निगाह के हिसाब से अम्‍मार जी ने जब यह अखबार पढ़ा होगा तो सर पकडे बैठे होंगे। उन्होंने क्या बात कही थी और पत्रकार महोदय ने क्या से क्या कर दिया।

रिपोर्टर साहब को अंग्रेजी आती नहीं, और IQ है नहीं, यह तो साबित हो गया। सवाल है उनके एडिटर साहबान क्या कर रहे थे ऐसी ब्लंडर कैसे छप गयी जो अर्थ का अनर्थ कर दे। अगर यह भूल वश हो गया तो आज उसका स्पष्टीकरण boldly छपना चाहिए।

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