यौन-शिक्षा: जब बच्चे करें “वयस्क सवाल”

मेरा कोना

: चार बरस से लेकर बारह साल तक के बच्‍चों के जेहन में आम तौर पर कौंधने वाले सवाल : ऐसे सवालों पर बच्‍चों को डांटना, या अभिभावकों का शर्मिंदा हो जाना एक खतरनाक प्रवृत्ति : आप बतायेंगे तो जवाब संतुलित होगा, वक्‍त या साथी बतायेंगे तो बर्बादी : सेक्‍स-एजूकेशन – एक :

मोनिका जौहरी

लंदन: कंडोम की ऐडबंदी के बाद मैंने पिछले कुछ दिनों से ऐसी बहुत सी पोस्ट देखी और पढ़ी है। लेकिन पेरेंट्स का ऐसे सवालो पर बच्चो को डाँटना या पेरेंट्स का झेंपना या शर्माना या जवाबों को टालने की कोशिशों के नतीजे आते है सामने बलात्कार टीनएज प्रेग्नेंसी के रूप में, जो बच्चों और पेरेंट्स और आपके सभ्य सुशील समाज के लिए है खतरनाक।

जरा समझने की कोशिश कीजिए कि बहुत से बच्चे अभिभावकों से पूछते हैं :-

मम्मी मैं कहाँ से आया ?

सेक्स क्या होता है ?

भैया और मेरे प्राइवेट पार्ट्स अलग क्यों हैं ?

सैनिटरी नैपकिन क्या होता है ?

कंडोम क्या होता है ?

मेरी मूंछें और प्राइवेट पार्ट्स पर बाल क्यों आ रहे हैं ?

मेरी आवाज क्यों बदल रही है ?

पीरियड्स क्या होते हैं ?

कल तक परियों व राजाओं की कहानियां सुनने वाले बच्चों के मुंह से ये सवाल सुन कर अभिभावक परेशान हो जाते हैं. जब मम्मी को नहीं सूझता कि वह इन सवालों के क्या जवाब दे या बच्चों को कैसे समझाए, तो वह उन्हें अभी आप छोटे हो कह कर या फिर डांट कर चुप करा देती है.

बहनों में आप की मनोदशा समझ सकती हूँ। बच्चों के ऐसे सवाल जिन के जवाब देने में आप सहज महसूस नहीं कर रही हैं, तो अभी आप की यह जानने की उम्र नहीं है, बड़े होगे तो खुद ही समझ जाओगे जैसे जवाब दे कर टालें नहीं, क्योंकि संचार क्रांति के युग के बच्चे इस से संतुष्ट नहीं होंगे.

अगर आप बात नहीं करेंगी तो वे इस की जानकारी अन्य माध्यमों, जैसे अपने दोस्तों, मीडिया, इंटरनैट या अन्य संचार माध्यमों से लेंगे. ऐसे में संभव है कि उन्हें सही जानकारी न मिले और वो कोई गलत दिशा में कदम बढ़ा ले !! इस से बेहतर है कि हम उन्हें घुमाफिरा कर, लेकिन सरल भाषा में जवाब दें !

जैसे कि 4 से 9 साल की उम्र का बच्चा यह पूछ सकता है कि उस के पास पेनिस है लड़कियों के पास यह क्यों नहीं है ? ध्यान रहे कि यह शरीर के अंगों के बारे में जानने की बच्चों की सहज और सामान्य उत्सुकता है, इसलिए मातापिता को चाहिए कि अपनी क्षमता के अनुसार वे बच्चे को भरसक संतुष्ट करने की कोशिश करें.

जैसे मातापिता अपनी स्थानीय भाषा में बच्चे को शरीर के हिस्सों के बारे में बताएं. लेकिन देरसवेर उन्हें बताना पड़ेगा कि लड़के के प्राइवेट पार्ट को पेनिस कहते हैं और लड़कियों के प्राइवेट पार्ट को वैजाइना. इस तरह बच्चे के मन में यह विश्वास जगाएं कि उस के सवालों के लिए आप हमेशा तैयार हैं. अगर उस के मन में कोई शंका है तो आप उस का निवारण करेंगे। ( क्रमश: )

अगर आप डॉ मोनिका जौहरी के आलेखों को पढ़ने को इच्‍छुक हों, तो उसके लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-

मोनिका जौहरी

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