: बच्चे से नज़रें मिलाकर बात करें : अभिभावकों को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को कब, क्या और कितना बताना है : सेक्स से जुड़ी कुछ अच्छी किताबें लाकर दें, ताकि उसे सही जानकारी मिले : सेक्स-एजूकेशन – दो :
मोनिका जौहरी
लंदन : आइए जानें कुछ ऐसे ही सवाल और उन के जवाब जिन्हें बच्चों के लिए जानना जरूरी है ताकि वे जिम्मेदारी के साथ विकसित हों और साथ ही अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम।
कैसे करें बात ?
ये सच है कि भारतीय पैरेंट्स के लिए बच्चों से सेक्स संबंधी मुद्दे पर बात करना आसान नहीं, लेकिन आप अगर अपने बच्चे की भलाई चाहते हैं, तो झिझक व संकोच छोड़कर आपको इस मामले पर बात करनी ही होगी. “पैरेंट्स को अपने और बच्चों के बीच के संवाद के पुल को मज़बूत बनाए रखना चाहिए और जब बच्चा सेक्स से जुड़े सवाल करने लगे, तो टालकर उसकी उत्सुकता बढ़ाने की बजाय सहजता से उसके सवालों का जवाब दें. बच्चे से नज़रें मिलाकर बात करें और ज़रूरत पड़े तो उसे सेक्स से जुड़ी कुछ अच्छी किताबें लाकर दें, ताकि उसे सही जानकारी मिले.
सेक्स एज्युकेशन से बच्चों को न स़िर्फ अपने शारीरिक विकास के बारे में पता चलेगा, बल्कि सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ और अनवांटेड प्रेग्नेंसी (अनचाहा गर्भ) के बारे में भी पता चलेगा, जो उन्हें ग़लत रास्ते पर जाने से रोकेगी. वैसे कई स्कूलों में सेक्स एज्युकेशन का टॉपिक कवर किया गया है, लेकिन प्युबर्टी और सेक्सुअल डेवलपमेंट के बारे में बच्चों को बताने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी पैरेंट्स की ही है.”
“पैरेंट्स को बच्चों के सामने स्त्री/परुष के शारीरिक अंगों के बारे में गंदे और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और न ही उसे मज़ाक या उत्सुकता का विषय बनाना चाहिए. बच्चे को उसकी उम्र और समझ के मुताबिक बॉडी पार्ट्स और उनकी अहमियत समझानी चाहिए. साथ ही अभिभावकों को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को कब, क्या और कितना बताना है.” ( क्रमश: )
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