: हर लड़की को मोलेस्ट्रेशन को लेकर बिफर पड़ना चाहिए : मुर्दे को बलात्कारी बनाने की कला भी एकदम नई चीज :
सत्येंद्र पी सिंह
नई दिल्ली : मैंने सोचा था कि बाबा नागार्जुन के मामले में नहीं लिखूंगा। लिखा, लेकिन सीधे सीधे नहीं। नागार्जुन के बारे में इसलिए सीधे न लिखने को सोचा था कि वह कई तरीके से मेरे बहुत निकट हैं। अब भी नहीं लिखूंगा।
एक हैं प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी। बहुत साल पहले मैं उनके औरा में था कि बड़े पढ़े लिखे समझदार हैं। मुझे लगता है कि कभी उनके कुछ उल जूलूल लिखने पर मैंने उँगल किया होगा तो उन्होंने अनफ्रेंड किया होगा, या उनका कोई चूतियापा देखकर मैंने ही उन्हें लिस्ट से बाहर का रास्ता दिखाया होगा। आज वह अपनी वाल पर नागार्जुन को लेकर जिस तरह से उस लड़की का चरित्र हनन कर रहे हैं, उसे देखकर सुकून हो रहा है कि वर्चुअल दुनिया में भी वह मेरे मित्र नहीं हैं।
आज बिग बॉस देख रहा था। जैसे ही कोई लड़की मौका पाती है, उसे हौसला मिलता है, मोलेस्ट्रेशन को लेकर फट पड़ती है, बिखर पड़ती है, रो पड़ती है, बिलख पड़ती है। मुझे लगता है कि हर लड़की को इस मोलेस्ट्रेशन को लेकर बिफर पड़ना चाहिए। यह इस बीमारी को दूर करने का बेहतर उपचार है कि आपकी माँ, आपकी बहन, आपकी बेटी, आपकी बीवी आपको बताए कि कितनी बार किस तरीके से उसका मोलेस्ट्रेशन हुआ, आपके अंदर जो मोलेस्ट्रेटर घुसा बैठा है, शायद वह बाहर निकल जाए। मुझे भरोसा है कि निकलेगा भी। आप खुद अपनी माँ से, बेटी से, बीवी से पूछें। डर जाएंगे सुनकर। समझ में भी आएगा कि मोलेस्ट्रेशन क्या है।
जगदीश्वर जी, नागार्जुन का कद इससे नहीं बिखरने वाला है। उसकी चिंता न करें। आपने भी अगर कोई ऐसी हरकत की है तो वह सामने आए, यह कामना है। यौन हिंसा की शिकार रही महिलाएं और लड़कियों ने ठेका नहीं ले रखा है मोदी को रोकने का। और किसी लड़की के अपना दर्द बयां कर देने से मोदी सत्ता पर कायम नहीं हो जाएगा। और उसके दुख न बताने से मोदी सत्ता से हटने वाला भी नहीं है। भाड़ में जाएं आप जैसे समाज चिंतक और फासिज्म के विरोधी।
दो डिस्क्लेमर- पहला, आरोप लगाने वाली लड़की को मैं फेसबुक पर भी 3 दिन से ही जानता हूँ। दूसरा, जगदीश्वर चतुर्वेदी को मैं नहीं पढ़ता हूँ, यूं ही पता नहीं कैसे आज उनका लिखा नजर आ गया तो उनकी वाल पर चला गया।
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यह और इसके सहित कई उल्टियां की हैं जगदीश्वर जी ने। पढ़ें।
एक औरत का बयान ही काफी है,आपकी नैतिक हत्या के लिए। फेसबुक पर भीड़ तुरंत उसके समर्थन में होगी। इसे कहते हैं भीड़ का फासिज्म।
जब भीड़ ही सत्य है ,तब काहे को किसी मुसलमान की भीड़ द्वारा की गई हत्या पर हंगामा करते हो !
अजीब स्थिति है मुसलमान को मारने के लिए हिंदू की भीड़ ! लेखक को मारने के लिए स्वतंत्रचेता बुद्धिजीवियों की धड़ाधड़ टिप्पणियां!!
यही है वह जगह जहां आप-हम सब फासिज्म के वैचारिक मोहरे बन रहे हैं। हम सब भीड़ बनकर दो दिन से एक स्वर्गीय लेखक की हत्या कर रहे हैं। यह उन्माद है इसमें जितना दौडोगे उतनी हत्याएं करोगे।
आरोप हैं तो पुलिस के पास जाओ, अदालत में जाओ। फेसबुक अदालत नहीं है। फेसबुक कम्युनिकेशन का मीडियम है लेकिन हिंदी के लोगों ने फेसबुक को कत्लघर बनाकर रख दिया है।
बाबा अपराधी हैं तो उन पर समय रहते, उनके जीते जी कहते। मुर्दे को बलात्कारी बनाने की कला भी एकदम नई चीज है !
छीः!
बाबा तुमसे नफरत क्यों नहीं होती !