राजनीतिक हल्‍केपन ने रौंद डाला उसका विनि-यार्ड का शौक

मेरा कोना

: वरना यूपी में भी डंका बजता विनि-यार्ड का, बेमिसाल स्‍वाद वाली वाइन से : हर विकसित देश में वाइन के विशाल भूगत बाजार : ठण्‍डे देशों में तो पचासों मॉल के बराबर होते हैं ऐसे विनि-यार्ड : जरा सम्‍भाल कर। दरअसल कमाल की शै होती है वाइन (दो)

कुमार सौवीर

लखनऊ : लेकिन इसके पहले, हम अब आपको बता दें कि वाइन क्‍या है। जो सामान्‍य शराब प्रेमी हैं, उनको केवल यह ही पता होता है कि वाइन का मतलब केवल शराब होता है। बाजार में शराब की दूकानों के बाहर लगे साइनबोर्ड पर दर्ज होता है कि वाइन शॉप। इन दूकानों में शराब की बोतलें अंटी-पटी होती है। हां, वहां चंद बोतलें ऐसी भी होती हैं, जिन्‍हें शराब नहीं, बल्कि वाइन पुकारा जाता है। लेकिन हर शराब प्रेमी को यह पता नहीं होता है कि वाइन दरअसल शराब श्रेणी की एक उच्‍चतम श्रेणी का एक ऐसा पेय है, बाकायदा अंगूर का रस होता है। बस इसकी प्रॉ‍सेसिंग अलग होती है। लेकिन इसके बावजूद आप उसे अंगूर की बेटी यानी शराब नहीं कह सकते। वाइन दो तरह की होती है। एक सामान्‍य वाइन, जबकि दूसरी रेड वाइन। रेड वाइन को स्‍वास्‍थ्‍य के लिए श्रेष्‍ठतम पेय माना गया है।

केवल वाइन की किस्‍म ही नहीं, उसके रख-रखाव का तरीका भी अलहदा होता है। मसलन, आप इस फोटो में वाइन की इन खड़ी बोतलों को देख रहे हैं, वह पूरी तरह गलत है। रेड वाइन को हमेशा लेटी बोतल में ही रखा जाता है। अगर बोतल खड़ी रखी गयी तो उसकी रेड वाइन का गुण ही दो-कौड़ी का हो जाएगा।

इतना ही नहीं, वाइन के भण्‍डारण का तरीका भी बिलकुल अलग होता है। इस बात का खास ध्‍यान रखा जाता है कि वाइन की बोतलों को एक निर्धारित तापमान में ही रखा जाए। वरना सारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी। यूरोप समेत पूरे विश्‍व के विकसित देशों में वाइन का खासा सम्‍मान और महात्‍म्‍य है। ठण्‍डे देशों में तो वाइन का अनोखा बाजार तक बनाया जाता है ताकि उसके संरक्षण आदि को संतुलित और सुरक्षित किया जा सके। इसके लिए जगह-जगह विनि-यार्ड बनाये जाते हैं। ऐसे विनि-यार्ड भूगत होते हैं और कुछ विनियार्ड तो जमीन के आधा किलोमीटर तक की गहराई में होते हैं।

ऐसे विनि-यार्ड का नजारा किसी चांदनी चौक और गड़बड़झाला से कम नहीं होता है। वहां केवल वाइन ही होती है और वहां की दूकानें किसी बड़े मॉल को मात कर सकते हैं। पूरा का पूरा विनि-यार्ड किसी छोटे-बड़े शहर से कम नहीं होता है। वहां कारों की आदम-रफ्त तक का पूरा इंतजाम होता है और वहां आने वाले लोगों को खाने-पीने आदि सहयोगी सामग्री की  आपूर्ति की भी पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था होती है।

यह किस्‍सा एक वाइन-प्रेमी का, जिसने अराजक राजनीतिक हालातों के चलते खुद ही तबाह कर दिया अपना अद्भुत सपना।

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हाय हाय दारू

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