इंसाफ कहां है साहब, बेटे के साथ मुझे नंगा करके पीटा था पुलिस ने

: मुझे तो अब न सरकार पर यकीन है, न पुलिस और न अदालत पर : इतनी नृशंसता कर पाना किसी एक व्‍यक्ति की वश की बात नहीं : पूरा मोहनलालगंज जानता है कि किन-किन लोगों ने की थी उस युवती की हत्‍या : एक दुबला-पतला गार्ड कैसे कर सकता है एक बलिष्‍ठ युवती की […]

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आप भले निश्चिंत रहें, पर महिलाओं की सिसकियां मुझे दहला देती हैं

: महिलाओं के प्रति अपराधों पर सतर्कता के सरकारी दावे क्‍या वाकई पाखण्‍ड हैं : संवेदनहीन और बेईमान नौकरशाही कभी लखनऊ में चीरहरण करती है, तो कभी जौनपुर में : पिछले चार बरसों में तो जुल्‍फी प्रशासन का नाम खासा अहंकार का प्रतीक बन गया : दोस्‍तों, अब बहुत हो चुका। चलिए, छेड़ दिया जाए […]

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और उसने सात हजार लीटर वाइन नाले में उड़ेली, बोतलें कबाड़ी को

: उठापटक और जातीय राजनीति में लिप्‍त सरकारों में प्रतिभाओं को खोजने का वक्‍त ही कहां : जरा सोचिये कि कितना राजस्‍व मिलता, कितनी कृषि लहलहाती और कितने रोजगार मिलते : कुमार सौवीर लखनऊ : इस अधिकारी को वाइन बनाने का शौक था। केवल शौक। इसके लिए उसने बहुत मेहनत की और अपनी विदेश-यात्रियों के […]

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राजनीतिक हल्‍केपन ने रौंद डाला उसका विनि-यार्ड का शौक

: वरना यूपी में भी डंका बजता विनि-यार्ड का, बेमिसाल स्‍वाद वाली वाइन से : हर विकसित देश में वाइन के विशाल भूगत बाजार : ठण्‍डे देशों में तो पचासों मॉल के बराबर होते हैं ऐसे विनि-यार्ड : जरा सम्‍भाल कर। दरअसल कमाल की शै होती है वाइन (दो) कुमार सौवीर लखनऊ : लेकिन इसके […]

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यह कहानी है एक गबरू आला अफसर की, जिसके सपनों की चिंदिया बिखेर दी गयीं

: लोग बताते हैं कि हल्‍का झक्‍की, लेकिन निहायत कर्तव्‍यनिष्‍ठ था यह अधिकारी : बेमिसाल वाइन बनाने के शौक ने उसे अपने घर सात हजार वाइन की बोतलें सजा डाली थीं : लोग हैरत में थे कि आखिर ऐसी स्‍वादिष्‍ट वाइन कहां से लाता है यह आदमी : कमाल होती है वाइन, कभी विनि-यार्ड पहुंचिये […]

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