मुल्‍क के छुटके बप्‍पा के घर से फतवा जारी: तीन तलाक पर मौलाना पहले कुरान पढ़ें

सक्सेस सांग

: अब ठीक से कुरान पढ़ना शुरू करें औरतें, ताकि मौलाना उन्‍हें गुमराह न कर सकें : तलाक को गलत बताया उपराष्ट्रपति की पत्नी सलमा अंसारी ने, बोलीं कि ऐसा कुछ भी नहीं है कुरान में : सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ इसी मसले पर 11 मई को करेगी सुनवाई :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मुल्‍क के छुटके बप्‍पा यानी उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के घर से तीन तलाक के मसले पर एक फतवा जारी हो चुका है। यह फतवा जारी किया है हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी ने। सलमा अंसारी ने आज अलीगढ़ की अपनी यात्रा के दौरान साफ लफ्जों से ऐलान कर दिया कि तीन तलाक पर अब महिलाओं को ही हस्‍तक्षेप करना होगा। अगर ऐसा न हुआ तो जनता और खासकर औरतों को गुमराह करने पर आमादा मौलानाओं की कोशिशों को टाला नहीं जा सकेगा। बेहतर हो कि औरतें अपने हकों के लिए किसी के कहने-सुनने के बजाय सीधे कुरान के पन्‍ने पलटने की कोशिश करें। कुरान की आयतें ही आपको स्‍पष्‍ट कर पायेंगी कि इस मामले में औरतों के खिलाफ क्‍या-क्‍या नहीं अफवाहें बोयी-काटी जा सकी हैं।

तीन तलाक का मामला अभी तक केवल मौलानाओं और धर्म के ठेकेदारों की बपौती माना जाता रहा है। इस हालत से पीडि़त औरतों का जीना जहन्‍नुम कर देने वाले ऐसे मौलानाओं की इन हरकतों के चलते सच बात तो यही है कि इन्‍हीं मौलानाओं ने ही सच का गला घोंटने की हर चंद साजिशें की हैं। लेकिन यह पहला मौका है, जब देश के छोटे बप्‍पा यानी उप-राष्‍ट्रपति डॉ हामिद अंसारी की पत्‍नी से इस मामले पर अंधेरों का सबब बने झूठ के परदे को नोंच डाल दिया।

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी ने भी तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं के एक धड़े की तरफ उठ रही आवाज़ का समर्थन किया है। श्रीमती अंसारी ने तीन तलाक को बेमानी बताते हुए कहा कि कुरान में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है। इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम महिलाओं से कुरान को पढ़ने के साथ समझने को कहा, जिससे कि कोई मौलाना उन्हें गुमराह न कर सकें।

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तीन तलाक

अलीगढ़ में अल नूर चैरिटेबल सोसायटी की तरफ से चलाए जा रहे चाचा नेहरू मदरसे के कार्यक्रम में शरीक होने आईं सलमा अंसारी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘बस किसी के तीन बार तलाक, तलाक, तलाक बोले देने से तलाक नहीं हो जाता. कुरान पढ़ा है तो खुद ही उसका हल मिल जाएगा. कुरान में तो ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है. इसको बना रखा है बेकार का मुद्दा. जिन्होंने कुरान नहीं पढ़ा उनको मालूम ही नहीं है.’

अंसारी ने इसके साथ ही कहा, ‘आप अरबी में कुरान पढ़ते है, और ट्रांस्लेशन तो पढ़ते नहीं आप लोग. जो मुल्ला-मौलाना ने कहा, आपने उसे सच मान लिया. कुरान पढ़के देखिए, हदीस पढ़कर देखिए कि रसूल ने क्या कहा.’ उन्होंने कहा, ‘मैं तो यह कहती हूं कि औरतों में इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि खुद कुरान पढ़ें, उसके बारे में सोचें, उसके बारे में ज्ञान हासिल करें कि रसूल ने क्या कहा, शरीयत क्या कहता है. किसी को ऐसे ही फॉलो नहीं करना चाहिए.’

बता दें कि मुस्लिम समुदाय में जारी तीन तलाक की प्रथा का पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है. इस प्रथा को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और 11 मई को एक संविधान पीठ मामले की अगली सुनवाई होने वाली है.

वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को लेकर अपने रुख पर अड़ा हुआ है. बोर्ड ने 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मुस्लिमों के बीच प्रचलित इन परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं, क्योंकि ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे के बाहर के हैं.

(अपने आसपास पसरी-पसरती दलाली, पत्रकारों की अराजकता, अफसरों की लूट, नेताओं के भ्रष्‍टाचार, टांग-खिंचाई और किसी प्रतिभा की हत्‍या की साजिशें किसी भी शख्‍स के हृदय-मन-मस्तिष्‍क को विचलित कर सकती हैं। समाज में आपके आसपास होने वाली कोई भी सुखद या  घटना भी मेरी बिटिया डॉट की सुर्खिया बन सकती है। चाहे वह स्‍त्री सशक्तीकरण से जुड़ी हो, या फिर बच्‍चों अथवा वृद्धों से केंद्रित हो। हर शख्‍स बोलना चाहता है। लेकिन अधिकांश लोगों को पता तक नहीं होता है कि उसे अपनी प्रतिक्रिया कैसी, कहां और कितनी करनी चाहिए।

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