कहर बरपातीं इंदौर की छप्पन-छुरियां

सक्सेस सांग

गुजराती कालेज की लडकियों के नाम से थर्राते हैं शोहदे

छेडखानी के बारे में तो कोई शोहदा सोच ही नहीं सकता: अपनी इन बिंदास बेटियों पर गर्व करते हैं अभिभावक: तनिक कल्पना तो कीजिए उस जगह के बारे में जहां छेडखानी तो दूर, उल्टे लडकियां ही बात बात पर चाकूबाजी पर उतर आती हों और अबे-तबे से बात करती हों। एक ऐसी जगह जहां फटकने के नाम से भी लडकों के छक्के छूट जाते हों। लेकिन यह कोई कपोल-कल्पना नहीं, बल्कि बाकायदा एक हकीकत है। जी हां, इंदौर के गुजराती कालेज के पास तो शोहदे फटकते तक नहीं हैं। यह कालेज लडकियों का है और इसके नाम से ही शहरी शोहदों के पसीने छूटने लगते हैं। वजह, लडकियों का साम्राज्य। मजाल है किसी की कि इधर की ओर आंखें भी लगाये। हां, यहां के किस्से शहर के लोगों के लिए मनोरंजन का कारण जरूर बन जाते हैं। इंदौर में लम्बे समय तक रहे और फिलहाल महुआ न्यूज चैनल के लखनऊ स्थित राज्य ब्यूरो कार्यालय में तैनात विज्ञापन प्रभारी कमल ओमर बताते हैं कि इन बिंदास बालाओं की हरकतों पर खफा होने के बजाय उनके अभिभावक उन पर गर्व करते है।
गुजराती कॉलेज में लड़कियों द्वारा आपसी झगड़े में चाकू निकाल लिए जाने से शहर में लड़कियों के बदलते तेवर चर्चा में है। चाकूबाजी की घटना से सभी आहत हैं लेकिन उनके बिंदासपन पर किसी को ऐतराज नहीं।
शहर में कुछ साल पहले यदि कोई बदमाश किसी लड़की पर फिकरे कसता था तो वह रोते हुए घर पहुंच जाती थी, अब मामला दूसरा है। बातचीत के तौर-तरीकों से लेकर पहनने-ओढ़ने के अंदाज भी पूरी तरह बदल चुके हैं। अबे ओए.., बताऊं क्या..?, ढंग से रहो, समझा ना?. जैसे शब्द हो या किसी बदमाश को सबक सिखाना वे कहीं पीछे नहीं है।
पहले हाल कुछ और थे। हाउस वाइफ मीनाक्षी चौहान कहती है जब मैं कॉलेज में थी तो भैया मुझे लेने और छोड़ने जाया करते थे। एक बार जब वो साथ नहीं आ पाए तो एक लड़के ने मुझे अकेला समझकर रास्तेभर मुझे कमेंट किया। उस दिन मैं खूब रोई और कई दिनों तक डरी-सहमी रही। आज ऐसा ही हादसा मेरी बेटी के साथ होता है तो वो उस लड़के के कमेंट का जवाब इस तरह देती है कि लड़के भी डरकर भाग जाते हैं।
छेड़ने वालों को बांध दी राखी:होस्टल में रहने वाली लड़कियां हो या दूर कॉलेज जाने वाली. पैरेंट्स अब अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर काफी हद तक निश्चिंत हैं। फैशन डिजाइनिंग की स्टूडेंट शालिनी तिवारी बताती है मैंने लाठी चलाने की ट्रेनिंग ले रखी है। उसे आजमाने की नौबत तो नहीं आई है लेकिन किसी स्थिति में मैं घबराती नहीं। मरीज जैसे होते हैं, उन्हें दवाई भी वैसी ही देना पड़ती है।
वे कहती हैं यूं तो आते-जाते कई बार परेशान करने वालों से बहस हो जाती है लेकिन राखी वाला दिन मुझे याद है। कॉलेज के बाहर हम फ्रेंड्स ने छेड़ने वाले लड़कों को जबरदस्ती राखी बांधी थी। उसके बाद उन्होंने परेशान करना बंद कर दिया।
मंदिर के बाहर ही कर दी पिटाई: कॉलेज स्टूडेंट राखी चौरसिया के बात करने का स्टाइल भी हट कर है। इस कारण उससे कई लोग डरते हैं। ओए.ढंग से रहना तो जैसे उनका तकिया कलाम है। वे बताती हैं नवरात्रि पर हम फ्रेंड्स बिजासन गए थे वहां परेशान करने वाले लड़कों को सभी ने जमकर पीटा था। मुझे पूरा भरोसा है कि जिन्होंने भी ये देखा था, वो कभी लड़कियों को नहीं परेशान करेंगे।
हिम्मत देख और लोग भी साथ आ गए.
कक्षा 12वीं की स्टूडेंट निम्मी अग्रवाल ने बताया मैं और मेरी दीदी डिम्पी ने मिलकर 5-6 महीने पहले चौराहे पर एक बदमाश की खूब पिटाई की थी। बंदा साइड से गुजरते हुए हमें कमेंट करके गया तो दीदी भी तेज गाड़ी चलाकर उसके पास पहुंची। उसके सामने स्कूटी खड़ी की। उसे कॉलर पकड़कर गाड़ी से उतारा और खूब पिटाई की। उन्हें मारते देख आसपास वाले भी आ गए और उस लड़के की हालत खराब कर दी।

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