जनाब ! सुप्रीत कौर बेमिसाल है, लेकिन बाकी पत्रकार…?

सैड सांग

: छत्‍तीसगढ़ की एंकर सुप्रीत कौर ने जो हौसला दिखाया, वह बिरला ही है : जरा अपने आसपास के लोगों से पत्रकारों के बारे में पूछताछ कीजिए न : एक घटना से पूरी बिरादरी का मूल्‍यांकन अन्‍याय ही होगा,  सिर्फ ब्‍लैकमेलिंग-दलाली में धंसे हैं कई पत्रकार :

कुमार सौवीर

लखनऊ : पत्रकारिता में बड़ा नाम है नवलकान्‍त सिन्‍हा। छत्‍तीसगढ के न्‍यूज चैनल आईबीसी-24 की सुप्रीत कौर की जिजीविषा पर नवल कान्‍त ने अपनी कलम उठायी है। फेसबुक पर उन्‍होंने सुप्रीत कौर की बहादुरी का जिक्र करते हुए अपील की है कि मीडिया को गालियां देने से पहले उनके दर्द को भी समझना चाहिए। नवलकान्‍त सिन्‍हा ने लिखा है कि:- पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है जहां कई तरह की कुर्बानियां देनी पड़ती हैं. इसके साथ कई बार अनेक विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. कई ऐसे मौके भी आते हैं जब एंकर और रिपोर्टर को अपनी भावनाओं पर काबू रख कर रिपोर्टिंग करनी पड़ती है. लेकिन आज छत्तीसगढ़ में एक महिला एंकर के साथ जो हुआ उसे जानकर आपकी भी आंखें नम हो जाएंगी.

नवल कान्‍त ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में आज एक टीवी एंकर सुप्रीत को अपने पति की मौत की खबर पढ़नी पड़ी. रायपुर से प्रसारित आईबीसी 24 न्यूज़ चैनल की एंकर सुप्रीत कौर ने आज अपने ही पति की मौत की खबर पढ़ी.दरअसल महासमुंद जिले में आज सड़क दुर्घटना में 3 लोगों की मौत हो हुई. यह खबर जब चैनल में आई तो उस समय सुप्रीत ही खबर पढ़ रही थीं. सुप्रीत के पति समेत 3 लोगों की मौत सड़क हादसे में हुई और 2 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. सभी लोग भिलाई से महासमुंद जा रहे थे. सुप्रीत भिलाई की रहने वाली हैं और लंबे समय से आईबीसी 24 के साथ जुड़ी हैं.

नवल कान्‍त ने लिखा है कि सुप्रीत जब खबर पढ़ रही थीं तो उन्हें वीडियो में अपने पति की डस्टर गाड़ी दिखाई दी. जिससे उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि हो सकता है कहीं उनके पति ही हादसे का शिकार न हो गए हों. वो स्टूडियो से निकलकर अपने रिश्तेदारों को फ़ोन लगाने लगीं. जिसके बाद चैनल ने उन्हें भिलाई स्थित उनके घर भेजा.

सच बात तो यह है कि सुप्रीत कौर का यह हौसला मूल पत्रकारिता की मूल भावना का मूल परिचायक है। शायद यह पहला मौका है, जब किसी पत्रकार ने अपनी भावनाओं को काबू करके अपने काम को प्राथमिकता दे डाली। मेरी बिटिया डॉट कॉम परिवार सुप्रीत कौर के इस बहादुरी पर शाबाशी देता है।

लेकिन केवल एक घटना से पूरी पत्रकार बिरादरी का मूल्‍यांकन कर पाना शायद अन्‍याय होगा। इस सच पर झूठ का परदा डालना गलत होगा। इससे मीडिया के काले हाथ और चेहरों को अनदेखा करना खतरनाक होगा। क्‍या यह सच नहीं है कि कई पत्रकार केवल ब्‍लैकमेलिंग और दलाली में धंसे हैं। हाथरस से लेकर बलिया, ललितपुर से हरदोई और लखनऊ से दिल्‍ली तक काम कर रहे पत्रकारों की जरा लिस्‍ट तैयार करने की जहमत उठाइये। अपनी याददाश्‍त पर जोर डालिये और फिर नम्‍बर से डालिये कि आपके इलाके में कितने पत्रकार हैं, और उनमें से कितने पत्रकारों ने अपने पत्रकारीय लक्ष्‍यों-मूल्‍यों को छुआ। आपको अगर रतौंधी या दिनौंधी की शिकायत है तो अपने आसपास के लोगों से पत्रकारों के बारे में पूछताछ कर लीजिए। सच सामने आ जाएगा।

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(अपने आसपास पसरी-पसरती दलाली, पत्रकारों की अराजकता, अफसरों की लूट, नेताओं के भ्रष्‍टाचार, टांग-खिंचाई और किसी प्रतिभा की हत्‍या की साजिशें किसी भी शख्‍स के हृदय-मन-मस्तिष्‍क को विचलित कर सकती हैं। समाज में आपके आसपास होने वाली कोई भी सुखद या घटना भी मेरी बिटिया डॉट की सुर्खिया बन सकती है। चाहे वह स्‍त्री सशक्तीकरण से जुड़ी हो, या फिर बच्‍चों अथवा वृद्धों से केंद्रित हो। हर शख्‍स बोलना चाहता है। लेकिन अधिकांश लोगों को पता तक नहीं होता है कि उसे अपनी प्रतिक्रिया कैसी, कहां और कितनी करनी चाहिए।

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