: अकूत संपत्ति का मालिक है डीएफओ श्रीधर त्रिपाठी, गबन का आरोपित भी है श्रीधर : पत्रकारों का यह रवैया खासा संदिग्ध और बेईमानी भरा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : जंगल की नौकरी में जंगली लूट का पर्याय बने रहे एक डीएफओ के जवान नौकर ने आत्महत्या कर ली है। यह नौकर इस रिटायर्ड डीएफओ के घर में घरेलू कामधाम करता था। लेकिन हैरत की बात है कि इस हादसे के दो दिन बाद भी इस आत्महत्या पर किसी भी दैनिक समाचार पत्र ने खामोशी ही अख्तियार रखी है। किसी भी अखबार ने इस पर एक लाइन भी छापने की जरूरत नहीं समझी।
यह घटना हुई लखनऊ की प्रतिष्ठित कालोनी अलीगंज के रवींद्र गार्डन में। सूत्रों के अनुसार इसी कालोनी में और करीब 13 बड़ी सम्पत्तियों के मालिक श्रीधर त्रिपाठी और उनका परिवार रहता है। कई बड़े-बड़े गबन और सरकार को चूना लगाने के कई मामलों में आरोपित श्रीधर त्रिपाठी पर कई मुकदमे भी दर्ज बताये जाते हैं। श्रीधर की छवि अपने वन विभाग में “वीरप्पन” की तरह बतायी जाती है। वन विभाग में चर्चाओं के अनुसार श्रीधर की तरह लूट कभी किसी अफसर ने नहीं की।
चंगुल में फंस ही गया जंगल का माफिया
अपनी नौकरी के आखिरी दौर में श्रीधर ने सरकार को जो चिट्ठी जारी की थी, उसे धोखाधड़ी मानते हुए सरकार ने श्रीधर को नौकरी के अंतिम दिन ही न केवल सस्पेंड कर दिया था, बल्कि श्रीधर पर मुकदमा भी दर्ज कर विभागीय जांच भी शुरू कर दी थी। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में श्रीधर त्रिपाठी के साथ ही श्रीधर के मित्र और चीफ कंजरवेटर विनय कुमार मिश्र को भी सरकार ने दंडित कर दिया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीती पांच जुलाई की सुबह श्रीधर त्रिपाठी के घर रहने वाले घरेलू नौकर श्रीप्रताप की लाश बरामद हुई। श्रीप्रताप सीतापुर के बलवा सिकरन का रहने वाला बताया जाता है। करीब 36 उम्र के हृष्ट-पुष्ट श्रीप्रताप की लाश को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दी है। अलीगंज थाने के इंस्पेक्टर फरीद अहमद ने बताया कि इस मामले की जांच चल रही है। श्रीप्रकाश के फोन की डिटेल्स भी छानी जा रही हैं। इतना ही नहीं, पुलिस इस मामले के विभिन्न पहलुओं पर भी छानबीन कर रही है।
लेकिन हैरत की बात है कि इस आत्महत्या को लेकर किसी भी अखबार या न्यूज चैनल ने कोई खबर ही नहीं चलायी। जानकार बताते हैं कि पत्रकारों का यह रवैया खासा संदिग्ध और बेईमानी भरा प्रतीत हो रहा है।