76 हजार डिप्‍लोमा फार्मासिस्‍ट्स महासंघ के अध्‍यक्ष हैं सुनील यादव

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: मेरीबिटिया पुरस्‍कार के प्रथम स्‍पॉंसर बने पूर्व पत्रकार सुनील : साफ-सुथरी और ईमानदार खबर का राजमार्ग है मेरीबिटिया डॉट कॉम : पत्रकार और पत्रकारिता, दोनों ही जीवन की सांस की तरह :

कुमार सौवीर

लखनऊ : हमने एक रिपोर्टर की मेहनत को पहचान कर उसको सम्‍मानित करने की पहल छेड़ने का फैसला क्‍या किया, सबसे पहले आ गये सुनील यादव। बिना सोचे हम कूद तो चुके थे, लेकिन सुनील ने हाथ दिया और हमें उबार लिया। उन्‍होंने वायदा किया कि इस पहल की शुरूआत उनकी जेब से खर्च होगी। तो साफ शब्‍दों में कहें तो हमारी कल्‍पनाओं में सोची गयी अट्टालिका की पहली ईंट सुनील यादव ही बनने जा रहे हैं।

लेकिन चूंकि आप जानते हैं कि हमारा पोर्टल मेरीबिटियाडॉटकॉम बेहद गंभीर आर्थिक संकट और विकट हालातों में अपना कामधाम चला रहा है, ऐसी हालत में हम ऐसे पुरस्‍कारों की राशि समाज के जिम्‍मेदार और गम्‍भीर लोगों से ले लें। इसी फैसले के तहत हमने जागरण के रिपोर्टर निशांत यादव को दी जाने वाली पुरस्‍कार राशि उप्र फॉर्मेसी काउंसिल के अध्‍यक्ष और यूपी डिप्‍लोमा फॉर्मासिस्‍ट महासंघ के अध्‍यक्ष सुनील यादव से जुटाया। लखनऊ के बलरामपुर अस्‍पताल में कार्यरत सुनील यादव ने यह राशि सहर्ष मुहैया करायी है। हम हृदय से आभारी हैं सुनील यादव के।

पत्रकारिता से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

पत्रकार पत्रकारिता

बस्‍ती की रूधौली के रहने वाले हैं सुनील। उम्र है 44 बरस। सिंचाईकर्मी पिता हनुमान प्रसाद और शिक्षिका मां सोनपति के बेटे सुनील ने शुरूआती पढाई की है बस्‍ती के राजकीय कालेज से। फिर फार्मेसी की पढ़ाई के लिए उत्‍तरकाशी चले गये सन-90 में। लौट कर अनइम्‍प्‍लाइड फार्मेसिस्‍ट संघ और फार्मासिस्‍ट फेयरवेल सोसायटी के अध्‍यक्ष बने। लेकिन इसी बीच वे बरेली अमर उजाला के लिए लिखते रहे। साथ ही उसी दौरान करीब पांच बरस तक भारतीय बस्‍ती, जनमोर्चा और आवाज दर्पण में भी रिपोर्टिंग की। सन- 95 में रेलवे अस्‍पताल गोरखपुर में नौकरी की, फिर मुरादाबाद के भोजपुर अस्‍पताल में यूपी की राजकीय सेवा में आ गये। सन-2000 में फैजाबाद जिला अस्‍पताल पहुंचे, फिर सन-01 में लखनऊ। सन-11 में उप्र फार्मेसी कौंसिल और यूपी राजकीय फार्मासिस्‍ट महासंघ के अध्‍यक्ष बने।

आज उप्र के सरकारी कर्मचारी संघों की अनिवार्य और अपरिहार्य उपस्थिति वाली पहचान बन चुके हैं सुनील यादव। मुस्‍कुराता चेहरा, तत्‍पर सहयोग भाव भी उनकी खास पहचान है। अहीर-वंशज हैं, इसलिए नियम से दूध पीते हैं। बेटा है अंकुर, जो मार्चेंट नेवी में है, जबकि छोटा वाला है प्रांकुर जो अभी उच्‍चशिक्षा में है। मीना को तो आप जानते ही होंगे। अरे सुनील की पत्‍नी हैं मीना यादव। पूरा घर उनके परिश्रम से पुष्पित-पल्लवित और सुवासित होता है।

पत्रकार और पत्रकारिता। यह दोनों ही जीवन की सांस की तरह हैं। और कहने की जरूरत नहीं कि आब-ओ-हवा ही यह तय करती है कि इंसान का नजरिया और उसका भविष्‍य कैसा होगा। हमारा यह न्‍यूज पोर्टल मेरीबिटियाडॉटकॉम इसी मकसद पर काम कर रहा है।

यह श्रंखलाबद्ध आलेख है। इसकी अगली कडि़यों को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

मेरीबिटिया पुरस्‍कार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *