अरे, आईएएस अफसर ने तुम्‍हें जेई कहा? मैं होता तो वन विभाग का बड़ा दारोगा कहता

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: हेमन्‍त कुमार ने सिर्फ सिस्‍टम समझाया था कि फाइलें आईएफएस अफसर कैसे जेई की तरह ही डीएम तक पहुंचता है : आईएफएस अफसरों ने इसे बदतमीजी माना और किया खूब हंगामा, अब सार्वजनिक माफी मांगने पर आमादा हैं भारतीय वन सेवा के बड़े दारोगा : यह कम्‍युनिकेशन-एरर का मामला है, प्रशिक्षुओं को हालातों को ठीक से समझने का माद्दा रखना चाहिए :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जवानी तो हमेशा से ही दीवानी रही है। खासकर सरकारी सिस्‍टम में यह जोश बेअन्‍दाजी की सारी सीमाएं पार कर लेता है। नयी-नयी अफसरी की आंच अच्‍छे-अच्‍छों के छक्‍के छुड़ा देता है। समझने की कूवत होती नहीं है, हां, खुद को दी जा रही किसी भी सलाह को वह अपनी बेइज्‍जती मानना शुरू कर देता है। सरकारी कामकाज में नेताओं के बेजा दखलंदाजी ने इस हालत को बेतरह पलीता लगा दिया है। अब तो नये अफसर ही रह-रह कर अपने पायजामे से बाहर निकलने को आमादा हो जाते हैं।

ताजा मामला है भारतीय वन सेवा यानी आईएफएस अफसरों अर्थात बड़े वन दारोगाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम का, जिसमें अब आईएफएस अफसरों ने एक आईएएस का गिरहबान दबोचने की इस्‍टाइल में आरोप-प्रत्‍यारोप लगाना शुरू कर दिया है। इन बड़े दारोगाओं का कहना है कि उनके प्रशिक्षण सत्र के दौरान एक प्रशिक्षक और आईएएस अफसर हेमन्‍त ने उनकी तुलना जूनियर इंजीनियर यानी जेई से कर दी है। अब हालत यह है कि यह बड़े वन दारोगाओं ने इस मामले पर हंगामा कर दिया है। उनकी ताजा मांग यह है कि वह बड़े बाबू यानी आईएएस अफसर हेमंत कुमार अब वन विभाग के बड़े दारोगा यानी आईएफएस संवर्ग से सरेआम माफी मांगे।

आपको बता दें कि यूपी के अफसरों को नियमित रूप से प्रशिक्षित करने के लिए सरकार ने उपाम नाम का एक ट्रेनिंग इंस्‍टीच्‍यूट बनाया है। अलीगंज में बने इस बड़े प्रशिक्षण संस्‍थान का नाम पहले इमडप हुआ करता था। यहां प्रदेश में कार्यरत नायब तहसीलदार और बीडीओ से लेकर ऊपर तक के सभी संवर्गों के अधिकारियों का नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है। पिछली 31 अगस्‍त को यहां भारतीय वन सेवा के अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। दोपहर के सेशन में हेमन्‍त कुमार नामक एक आईएएस अफसर ने भारतीय वन सेवा के इन बड़े दारोगाओं को सम्‍बोधित किया था।

सूत्र बताते हैं कि इस ट्रेनिंग सत्र के दौरान हेमन्‍त ने वन विभाग के इन बड़े दारोगाओं और जिला अधिकारी के बीच के फाइलों के रिश्‍तों का खुलासा करना शुरू कर दिया। हेमन्‍त बोले कि कोई भी डीएफओ अपनी फाइलें सीधे डीएम के बजाय सीधे सीडीओ को भेजता है और फिर वहां से वह फाइलें डीएम तक पहुंचायी जाती हैं। इस प्रक्रिया को सरलीकृत तरीके से समझाने के लिए हेमंत ने बताया कि यह प्रक्रिया ठीक उसी तरह है, जैसे किसी तकनीकी विभाग का जेई अपनी फाइलें सीडीओ को भेजता है।

हेमंत का यह कहना ही था कि मानो हंगामा खड़ा हो गया। एक नयी-नवेली बड़ी वन दारोगा दीक्षा भण्‍डारी इस पर बमक गयीं। बोलीं कि भारतीय वन सेवा के हम जैसे जिम्‍मेदार अफसरों की तुलना जेई से करना एक साजिश है, जिसे आईएएस अफसर हेमंत ने अपनी कुत्सित बुद्धि के सहारे बुना है। जब बात बेवजह की इज्‍जत पर हो तो फिर हंगामा तो होना ही था। अब भारतीय वन सेवा अधिकारी संघ की महासचिव ईवा शर्मा ने इस मामले पर हस्‍तक्षेप कर इपाम के डीजी से मांग की  है कि वे हेमंत से बिना-शर्त माफी मांगने को कहें।

महज ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान एक आईएएस अफसर की किसी टिप्‍पणी पर इतना भड़क गये आईएफएस अफसर, तो जमीन पर क्‍या होता होगा। मैं नहीं कहता कि सारा जंगलात महकमा ही बेईमान है, लेकिन ताजा घटनाओं को देखा जाए तो जंगल में मंगल से लेकर क्‍या-क्‍या नहीं होता है वन विभाग में। कभी डीएफओ की करतूतें तो कभी डीएम की बेहूदी और नाजायज साजिशें। जंगल और उनके बाशिंदों का सर्वनाश करने पर आमादा है यह सब बाबू और दारोगा लोग। www.meribitiya.com मेरी बिटिया डॉट कॉम अफसरों के ऐसे शर्मनाक तेवरों और साजिशों का लगातार खुलासा करने पर आमादा है। इस श्रेणी की खबरों को देखने-पढने के लिए निम्‍न लिंक को क्लिक कीजिए:- लो देख लो, बड़े बाबुओं की करतूतें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *