हौसला है, तो उसका इस्‍तेमाल भी तो कीजिए न

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: ताकि सच केवल जिन्‍दा ही नहीं, मजबूत भी हो। विश्‍वसनीय भी : जो घृणास्‍पद हैं, ताल ठोंक कर उन्‍हें खारिज करने का ऐलान कीजिए न : हम सच्‍ची-सार्थक खबरों की हिमायत करते हैं, इसलिए हमारा पोर्टलउसी हिसाब से कीमत  भी चुकाता है :

कुमार सौवीर

लखनऊ : असल अपराधी तो हम आप ही हैं। हम लोग ही उसी सड़े-गले पन्‍नों से अपना मुंह पोंछ लेते हैं, जो झूठ और बेईमानी पर खड़ा है। आपने क्‍या कभी सोचा कि किस अखबार या चैनल का चरित्र दलाल और बेईमान है। कौन सा रिपोर्टर झूठ बोलता है, दलाली करता है। कौन है जो झूठ का साम्राज्‍य खड़ा कर रहा है। आज हालत यह है कि चाहे अखबार हो या फिर चैनल, सबने अपनी-अपनी जातीय और धार्मिक निष्‍ठा बना ली है। कोई भाजपाई बन गया है, तो कोई कांग्रेसी या फिर वामपंथी। आप जानते हैं, खूब समझते हैं। लेकिन कुछ करते नहीं।

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आपके पास तो जुबान है, दिमाग है, फिर उसका इस्‍तेमाल क्‍यों नहीं करते हैं। क्‍यों नहीं ऐसा कर देते हैं आप कि भविष्‍य में ऐसे झूठे अखबार या चैनल को बंद कर दिया जाए। हमेशा-हमेशा के लिए। अपना विरोध तो व्‍य‍क्‍त कीजिए। उनका बहिष्‍कार कर दीजिए, जो घृणास्‍पद हरकतें करते हैं। सामने आइये, और ताल ठोंक कर ऐसे लोगों को खारिज करने का अभियान छेडि़ये।

और अगर ऐसा भी नहीं कर सकते हैं आप, तो कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं कि जो साहसी हों, जागरूक हों, दमखम हो, लिखने-बोलने की तमीज हो, खोजी नजर हो, उन्‍हें प्रश्रय दे दीजिए। उनकी प्रशंसा कीजिए, उन्‍हें पुरस्‍कृत कीजिए। ताकि ऐसे रिपोर्टर-पत्रकारों का हौसला बढ़े। ताकि ऐसे पत्रकार अपने दायित्‍वों को पूरा करने में नये जोश-जुनून के साथ जुट सकें। उनका हौसला बढ़े, खबर की दुनिया मजबूत हो। समाज में उत्‍तरदायित्‍व की भावना बढ़े और आप जैसे लोगों को साफ-सुथरी और जिम्‍मेदार खबरें पहुंच सकें।

समाचार की दुनिया अब लगातार विस्‍तृत और विशाल होती जा रही है। असीम फलक तक। उसमें फायदे भी हैं, और नुकसान भी। हमें ही तय करना है कि किसे चुना जाए। जाहिर है कि जो भी चुना जाएगा, उसका मूल्‍य भी चुकाना पड़ेगा। झूठी या प्‍लांटेड खबरों की कीमत अलग होगी, जबकि सच और जमीनी खबर की कीमत अलग। हम सार्थक और सकारात्‍मक खबरों की हिमायत करने वालों में से हैं। इसलिए हमारा पोर्टल को भी उसी हिसाब से मूल्‍य चुकाना पड़ रहा है, आर्थिक संकट। संसाधनों का विकट संकट। लेकिन हौसले बेहिसाब है हम में, इसलिए हम नयी राहें खोज लेते हैं। सार्थक पत्रकारिता को मजबूत करने और उनके सेनानियों को पहचान कर उन्‍हें सम्‍मानित करने का अभियान छेड़ने जा रहे हैं हम, ताकि सच को जिन्‍दा रखा जाए, उसे मजबूत किया जाए, ताकि मजबूत आस्‍थाएं और बलशाली होती जाएं। (क्रमश:)

पत्रकार और पत्रकारिता। यह दोनों ही जीवन की सांस की तरह हैं। और कहने की जरूरत नहीं कि आब-ओ-हवा ही यह तय करती है कि इंसान का नजरिया और उसका भविष्‍य कैसा होगा। हमारा यह न्‍यूज पोर्टल मेरीबिटियाडॉटकॉम इसी मकसद पर काम कर रहा है।

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