: मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार का एक नया कारनामा, पुरातन-रूढि़यों के ढर्रे पर वापस लौट रहे हैं : एमपी पर्यटन विकास के लिए एक नया आध्याय बन सकते हैं ऐसे आयोजन, एमपी गजब है, सबसे अलग है : बारिश के लिए मेघदूत का आह्वान करने के लिए मंत्रीजी ने कराया था यह आयोजन :
मेरी बिटिया संवाददाता
छतरपुर : अब आप उस हालत पर क्या बोलेंगे कि एक खास आस्थागत धार्मिक कार्यक्रम धूमधाम के साथ आयोजित तो हुआ, लेकिन ऐन वक्त पर पूरा मामला सरभण्ड हो गया। हुआ यह कि एक मंत्री जी ने लोक-कल्याण के लिए एक विवाह का आयोजन किया। चूंकि इसमें सरकार के लोग शामिल थे, इसलिए भारी भीड़ जुटी। दूल्हे-दुलहन को सजाया, कहारों के सहारे डोली उठायी, जयमाल हुआ, और प्रीतिभोज का भी झमाझम आयोजन हुआ।
लेकिन ऐन विदाई में जब रोना-धोना शुरू हो गया तो फिर एक नया रोना-धोना प्रारम्भ हो गया। हुआ यह कि विदाई के वक्त ही दूल्हा पाण्डाल से भाग निकल गया और दुलकी चाल में उचकते-उचकते अपनी पत्नी और मौजूद लोगों की मौजूदगी के बावजूद अपनी प्रेमिका के साथ भाग निकला। सरकारी सुरक्षाकर्मियों ने दूल्हे को पकड़ने के लिए लपके, लेकिन इसके पहले कि वे सुरक्षाकर्मी उसे दबोच सकते, दूल्हा भाग कर एक नाले में घुस गया। उसकी प्रेमिका भी उसके साथ ही बतायी जाती है। खबर है कि इस आयोजन का नेतृत्व करने वाली मंत्री जी इस भागा-दौड़ी से काफी हताश हैं। उन्हें दूल्हे के भागने से उतनी दिक्कत नहीं है, जितनी लोक-कल्याण की दिशा में हो रहे अपने प्रयासों के असफल हो जाने का।
आपको बता दें कि भाजपा ही असली ताकत तो आस्था ही है न, इसलिए भाजपा के अधिकांश कार्यक्रम या आयोजनों का केंद्र हमेशा आस्था ही होता है। शर्बत में मिठास की तर्ज पर। अपनी इसी आस्था के तहत शिवराज सिंह की भाजपा सरकार में पिछड़ा-कल्याण और अल्पसंख्यक-कल्याण विकास विभाग की मंत्री ललिता यादव ने यह विवाह आयोजन किया था। इस अनोखे आयोजन के तहत मेंढ़की और मेंढ़क का विवाह होना था। आपको बता दें कि लोक-रूढि़यों और आस्था के अनुसार समय से बारिश न होने पर कई कई तरह के टोने-टोटके आयोजित किये जाते हैं। इसमें से एक प्रमुख टोटका है मेंढक और मेंढकी की शादी करा देना।
तो मंत्री जी द्वारा इस आयोजन में बड़ी संख्या में जनता ही नहीं, बल्कि सरकारी लोग भी शामिल थे, झमाझम कार्यक्रम हो गया। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि स्थानीय फूलादेवी मंदिर में यह कार्यक्रम अभी चल ही रहा थाकि अचानक हल्ला मच गया। दूल्हा एकाएक उचका और सड़क की ओर भागा, अचानक उसे एक अन्य मेंढकी दिखायी। दोनों ही एकसाथ उचकने लगे, पुलिसवाले पीछे पड़े थे। बबली और बंटी की स्टाइल में। दोनों ही लपक कर एक बड़े नाले में कूद पड़े और उसके बाद वे किस सीवर या नाले गये, पता ही नहीं चला।
बाद में हताश मंत्री ललिता यादव जी की आंखों से आंसू छलक पड़े। फिर फैसला किया गया कि उस मेंढकी को भी उसी नाले में छोड़ कर विदाई की रस्म पूरी कर ली जाए।
हालांकि विवाह के बाद मेंढक-मेंढकी की शादी की बात तो सभी मान रहे हैं। स्थानीय अखबारों ने भी इस पर खूब कागज रंगे हैं, लेकिन किसी भी अखबार में विवाह के दौरान मेंढक-दूल्हे राजा के रफू-चक्कर हो जाने की खबर नहीं है। लेकिन इसके बावजू ऐसे अंधविश्वास की डगर पर चल रही ललिता यादव और उनकी सरकार इस समय कठघरे में खड़ी हो गयी है।