सम्बित पात्रा के पुरखे भिश्ती थे, पात्र ले चलने से पात्रा कहलाए

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: अफवाहों का भी एक पिता होता है, और वह भी अफवाह ही होती है : लालकृष्ण आडवाणी का असली नाम लइक ख़ान अफ़ग़ानी है : हां, यह झूठ है। ठीक उसी तरह, जैसे इस तरह की सारी अफवाहें आप फैलाते रहते हैं :

संजोग वाल्‍टर

लखनऊ : लालकृष्ण आडवाणी का असली नाम लइक ख़ान अफ़ग़ानी है…

नरेंद्र मोदी के पुरखे मुस्लिम थे और इराक़ से आकर भारत में बसे थे, मोदी का फुल फॉर्म मोजाहिद ए दीन है…

सम्बित पात्रा के पुरखे मुग़ल बादशाहों के लश्कर में भिश्ती थे, पानी का पात्र ले कर चलने के कारण पात्रा कहलाए…

नितिन गडकरी के पूर्वज बुख़ारा से आए थे…हमलावरों की फौज में थे और बाद में नाम बदल कर हिंदू हो गए….

आपको हंसी आ रही है न…बेतुका भी लग रहा है…

क्या कहा मैं मूर्ख हूं…क्या कि यह मूर्खतापूर्ण बात है…

ओह…मुझे लगा कि आप लोग ऐसी बातों को सच मानते हैं…क्योंकि व्हॉट्सएप से सोशल मीडिया पर फैली जवाहरलाल नेहरू, गांधी, अबुल कलाम आज़ाद से लेकर प्रणव राय तक ऐसी ही बातों पर तो आप विश्वास कर लेते हैं…वह आपको मूर्खतापूर्ण नहीं लगती…

या फिर क्योकि यह बीजेपी के नेताओं के बारे में है, इसलिए ही मूर्खतापूर्ण लग रही हैं…

कहीं ऐसा तो नहीं कि आप सच जानते हैं, लेकिन दरअसल साम्प्रदायिक हैं और इसीलिए ऐसा झूठ फैलाने में मदद करते हैं…

(हां, यह झूठ है, ठीक वैसे ही, जैसे इस तरह की सारी बातें होती हैं…)

केवल पत्रकरिता के लिए ही जन्‍मे हैं संजोग वाल्‍टर।

बावजूद मैं उनकी कई राय और बातों से असहमत होता हूं, लेकिन संजोग जब भी बढिया लिखते हैं, तो लाजवाब लिखते हैं।


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