गिरफ्तारी तो एसपी की होनी चाहिए, टांग लिया कोतवाल को

दोलत्ती

: देवरिया के कुकर्मी कोतवाल को पूरा प्रश्रय दे रखा था एसपी ने : सवाल है कि आखिर भटनी से हटा कर क्‍यों सलेमपुर भेजा गया इंस्‍पेक्‍टर को : कोतवाल को बचाने के लिए सारी जुगत भिड़ा रखी थी एसपी ने :

कुमार सौवीर

लखनऊ : देवरिया के थाने में अपनी समस्‍याएं बताने गयी महिला के साथ कोतवाल ने जो कुकर्म किया है, उसका असली गुनहगार तो देवरिया का पुलिस अधीक्षक है। यह जानते हुए भी कि यह कोतवाल महिलाओं के साथ अक्‍सर इसी तरह का कुकर्म किया करता रहता था, कप्‍तान ने इस को पूरा प्रश्रय दिया। इतना ही नहीं, भटनी कांड के बाद इस कोतवाल को बचाने के लिए इसी कप्‍तान ने हर दंद-फंद और चालबाजी वाले पांसे चले। लेकिन आखिरकार जब कप्‍तान की गर्दन फंसने की हालत पहुंच गयी, तो इस एसपी ने सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेश और कानूनों को ताक पर रख कर कोतवाल को आनन-फानन पकड़वा कर जेल भिजवा दिया।

देवरिया में आजकल सिर्फ दो ही चर्चाएं गरम हैं। एक तो इस कुकर्मी कोतवाल की अश्‍लील करतूतें, और दूसरी है यहां के पुलिस अधीक्षक की करतूतें जिन्‍होंने पुलिस महकमे ही नहीं, बल्कि पूरी सरकार की ही नाक कटवा डाली। चर्चा तो यहां तक है कि एसपी श्रीपति मिश्र ही इस पूरे कांड के असली गुनहगार हैं। लोगों का कहना है कि भटनी की घटना के तत्‍काल बाद अगर श्रीपति मिश्र उस कोतवाल को दंडित कर देते, तो योगी सरकार पर इस शर्मनाक हादसे के कींचड़ के धब्‍बे नहीं पड़ते।

दोलत्‍ती सूत्रों के मुताबिक भटनी कोतवाली में एक महिला करीब जून के दूसरे अथवा तीसरे हफ्ते से अपने एक विवाद को लेकर भागदौड़ कर रही थी। दो-चार बार के बाद यहां के कोतवाल भीष्‍मपाल सिंह यादव ने उस महिला की फरियाद सुनने के बजाय उसके साथ अश्‍लील हरकतें करनी शुरू कर दी थीं। सूत्र बताते हैं कि कोतवाली परिसर में कोतवाल के दफ्तर में प्रभारी इंस्‍पेक्‍टर द्वारा की जाने वाली ऐसी हरकतों की कानाफूसी शुरू हो गयी थी। उधर महिला ने ऐसी हरकतों पर अंकुश लगाने के लिए अपने साथ अपनी बेटी को लेकर भी आना शुरू कर दिया, तो इस कोतवाल ने उस महिला और उसकी बेटी के साथ भी अपने दफ्तर में हरकतें करनी शुरू कर दीं। इतना ही नहीं, पीडि़त महिला ने इस बारे में अपने परिवारी और कुछ परिचितों से भी इसकी चर्चा की थी।
कोतवाली में तैनात पुलिसवालों में होने वाली ऐसी चर्चाओं की खबर उसी वक्‍त क्षेत्रीय पुलिस उपाधीक्षक, पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी जैसे वरिष्‍ठ अधिकारियों को भी मिल चुकी थी कि कोतवाल ने भटनी कोतवाली को अपनी ऐयाशी हरकतों का जाल फैलाना शुरू कर दिया है। बताते हैं कि यह कोतवाल केवल इस महिला ही नहीं, बल्कि थाने में आने वाली हर महिला के साथ ऐसा ही सुलूक करने लगा था। लेकिन पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की।

दोलत्‍ती सूत्र बताते हैं कि कोतवाल की हरकतों से आजिज कर इस महिला और उसके परिचितों ने इस कोतवाल की घेराबंदी कर उसे सबक सिखाने का संकल्‍प ले लिया। इस योजना में भटनी थाने में तैनात कुछ पुलिसकर्मियों ने भी पूरा सहयोग किया और कोतवाल की गैरजानकारी में उसके दफ्तर में वीडियो बनाने लायक लोकेशन तय करने में खासी मदद की। और आखिरकार इस महिला ने इस कोतवाल के इस कुकर्म का वीडियो बना डाला। दोलत्‍ती को मिली सूचना के अनुसार वीडियो बनाने की यह घटना 18 अथवा 19 जून के आसपास हुई थी।

यानी अब कोतवाल को ठीक से नाथा जा सकता है, यह पुख्‍ता होने के बाद संबंधित पुलिसवालों के माध्‍यम से एलआईयू और मुखबिरों तक यह खबर 20 अथवा 21 जून को पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा दी गयी। दोलत्‍ती को मिली सूचनाओं के अनुसार कप्‍तान ने इस मामले पर कोतवाल को बुला कर उसे जमकर टाइट किया। मकसद था कि उससे मोटी रकम उगाह ली जाए। और वही हुआ। थरथराते हुए कोतवाल ने मुंहमांगी रकम अदा कर दी। तय हुआ कि इस मामले पर तबादला जैसी प्रशासनिक कार्रवाई करके मामले को ठण्‍डा कर दिया जाएगा। सांप भी मर जाएगा, और लाठी भी सुरक्षित बची रहेगी।

अब चूंकि भीष्‍मपाल सिंह यादव ने अपनी खाल बचाने के लिए एक बड़ी रकम का भुगतान कर दिया था, इसलिए कप्‍तान ने कोतवाल की जघन्‍य करतूत का संज्ञान नहीं लिया, बल्कि मामला रफादफा करने की नियति से भीष्‍मपाल सिंह यादव को भटनी कोतवाली से हटा कर उसे सलेमपुर कोतवाली का प्रभारी इंस्‍पेक्‍टर बना दिया। और फिर इसके बाद से एसपी साहब के कुम्‍भकर्णी खर्राटे फिर बजने लगे।

लेकिन तब तक मामला तूल पकड़ता जा रहा था। लेकिन चूंकि कप्‍तान साहब उपकृत हो चुके थे, इसलिए कोतवाल के साथ ही साथ एसपी साहब भी पूरी तरह बेफिक्र थे। आखिरकार कप्‍तान को यह भी खबर दे दी गयी कि सम्‍बन्धित महिला के साथ हुए इस बेशर्मी वाले सुलूक की वीडियो भी तैयार हो चुका है। यह सुनते ही कप्‍तान साहब की सोच की उड़ाने फिर उर्वर होने लगीं। उनके दिमाग में फिर नयी-नयी योजनाएं बनने लगीं। फिर तलब किये गये भीष्‍मपाल सिंह। पूरी जानकारी हासिल कर तो कोतवाल के होश ही उड़ गये। लेकिन कोतवाल की खाल बचाने की एक नयी स-शुल्‍क तरकीब सुझा ली कप्‍तान साहब ने। तय हुआ कि एक मंदिर में हुई एक चिरकुट घटना में कोतवाल को सस्‍पेंड कर दिया जाए। कप्‍तान को फिर आशा थी कि कोतवाल को सस्‍पेंड करते ही उसके खिलाफ गुस्‍सा शांत हो जाएगा, और बाद में भीष्‍मपाल सिंह यादव को फिर किसी दूसरे थाने पर सशुल्‍क तैनाती दे दी जाएगी।

और यही हुआ। भीष्‍मपाल सिंह निलम्बित कर दिया गया। इसके साथ ही इस करतूत पर चर्चाएं भी थम गयीं।
लेकिन कोतवाल और पुलिस अधीक्षक का दुर्भाग्‍य ही तो कहा जाएगा कि भटनी कोतवाली में हुई शर्मनाक घटना का वीडियो दोलत्‍ती डॉट कॉम तक पहुंच गया। दोलत्‍ती ने इस पूरे मामले पर धड़ाधड़-तड़ातड़ दोलत्तियां मारना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि यूपी के कानून-व्‍यवस्था की कलई खोलने वाले इस पूरे शर्मनाक और कुकर्मी कांड का पर्दाफाश हो गया। ताजा खबर यह है कि यह कुकर्मी कोतवाल अब गिरफ्तार हो चुका है और जेल में बंद है। लेकिन पुलिस अधीक्षक ने अपने दांवपेंचों और सम्‍पर्कों के सहारे अपनी खाल बचा ली।

अब हालत यह है कि पुलिस महकमे पर कींचड़ फेंकने वाला कोतवाल तो जेल में बंद हो गया, लेकिन इस कांड से सरकार की नाक कटवा देने पुलिस अधीक्षक पूरी तरह बेदाग घूम रहा है।

अगर आप इस मामले को विस्‍तार से पढ़ना चाहते हों तो कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-

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1 thought on “गिरफ्तारी तो एसपी की होनी चाहिए, टांग लिया कोतवाल को

  1. क्या कहने आपके सैलूट बेहद ही बेबाक निर्भीक पत्रकार हो आप।
    नही तो हमारे देवबन्द मे तो पत्रकार के नाम पर दलाली करते है लोग सिपाही दरोगा की और पुलिस के पिशाब को हाथ मे लेकर खबर चलाते है कि पिशाब सफेद है दरोगा जी का।
    सैलुट आपकी कलम को
    जबरदस्त वास्तव में आप कलमकार हो
    Sikandar Ali Devband Saharanpur

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