: जो एनीमेटेड चरित्र बच्चों को सर्वाधिक पसंद हैं, शरीया में हराम बताते हैं मौलवी : पाबंदियों की कीलें गाड़ते घूमते हैं आम मुसलमान जिन्दगी की छोटी-छोटी जरूरत पर पांचवीं फेल आलिम : समझ में नहीं आता है कि पहले चूहे को मारूं या फिर बिल्ली को :
ताबिश सिद्दीकी
लखनऊ : 2008 में वाशिंगटन में सऊदी एम्बेसी के भूतपूर्व डिप्लोमेट और उलेमा मुहम्मद मुनाजिद ने एक फ़तवा दिया था कि कार्टून कैरेक्टर “मिक्की माउस” को मार देना चाहिए.. ये फ़तवा उन्होंने तब दिया जब उनसे “शरीयत में चूहों की हिस्सेदारी” पर सवाल पूछा गया
उनके हिसाब से इस्लामिक शरीया में चूहा एक नापाक जानवर माना जाता है और “मिक्की माउस” और “टॉम एंड जेरी” शो के ज़रिये चूहे को ऐसा दिखाया जाता है कि जैसे वो कितना प्यारा हो.. ये हमारे बच्चों को ऐसी चीज़ से प्यार करना सिखा रहा है जो शरीया के हिसाब से हराम है.. इसलिए घर के चूहों के साथ साथ मिक्की माउस और उसके बनाने वाले को सज़ाए मौत देनी चाहिए
इन आलिमों से आपको इसी तरह का जवाब मिलेगा जब आप इनसे अपने ज़िन्दगी की हर चीज़ में अल्लाह की फरमानी और नाफ़रमानी पर सवाल करेंगे.. आप घर के चूहों के बारे में अल्लाह की राय जानना चाहेंगे तो ये ऐसी ही राय बताएँगे आपको
ये इनकी अपनी समझ होती है जिसके हिसाब से ये अल्लाह की रज़ामंदी को समझ के आपको जवाब देते हैं.. और आप चाहे IIT से पढ़े हों और अमेरिका और यूरोप में रह रहे हों, मगर आप अपनी ज़िन्दगी की छोटी छोटी ज़रूरतों में अल्लाह की रजामंदी के लिए इन पांचवी फ़ेल आलिमों के आगे घुटने टेक देते हैं
यही लोग हैं जिन्होंने आपके लिए इस्लामिक नियम बनाए और उन्हें शरीया का नाम दिया.. वो पुराने वाले तो और बड़े वाले थे.. क्यूंकि ये जो एलसीडी टीवी में मिक्की माउस देख कर उसे मारने को बोल रहे हैं, ये तो इस आधुनिक दुनिया को देख कर इतने समझदार बने हैं..मगर उनके बारे में सोचिये जो खच्चरों पर सफ़र कर कर के एक शहर से दुसरे शहर हदीस इक्कट्ठा कर रहे थे और आपके लिए ज़िन्दगी जीने के नियम अल्लाह की रजामंदी से तैयार कर रहे थे
कब तक इनकी सुनियेगा? और जब तक सुनते रहिएगा तब ऐसे ही ये आपको बताते रहेंगे कि देखो वो सूफ़ी लोग नाच रहे हैं वहां जा कर बम फोड़ दो क्यूंकि अल्लाह बहुत नाराज़ बैठा है.. और वो देखो बिल्ली चूहे को दौड़ा रही है और इस से पहले कि वो उसे मारे, तुम मार दो और दोगुना सवाब ले लो अल्लाह से नहीं तो जन्नत में बिल्ली का घर तुमसे बड़ा होगा
कब तक सुनोगे इनकी?
ताबिश सिद्दीकी एक शख्स नहीं, गहरे-घुप्प अंधेरों में किसी मकम्मिल मशाल की मानिन्द हैं। सम-सामयिक मसलों और खासकर मुस्लिम मसाइलों में उनकी कूंची गजब कहर बरपाती है।