: गायत्री प्रजापति को मंच से दूर हटा दिया अखिलेश यादव ने जबकि अरुण वर्मा के साथ गलबहियां करते रहे : दोनों पर ही आरोप है कि सामूहिक बलात्कार करने का : दोनों पर ही न सरकार ने कोई कार्यवाही की और न पुलिस-प्रशासन ने :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बलात्कारी के चरित्र को भले ही आम आदमी सिर्फ एक ही नजर में देखे-तौले, लेकिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के बलात्कारी और नेताओं द्वारा किये गये बलात्कारों का वर्गीकरण कर रखा है। कहने की जरूरत नहीं कि यूपी में ऐसे नेताओं ने अपने करतूतों से साबित कर दिया है समाज में निहायत घिनौने और नृशंस अपराधों के प्रति कानून की नजर से नहीं, बल्कि, उनकी राजनीतिक हैसियत और नेताओं पसंद-नापसंद का पैमाना क्या है।
मामला है विधानसभा चुनाव के दौरान अमेठी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चुनाव सभा का। सोमवार की शाम अखिलेश यादव मैं यहां अपने आसपास के विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों की एक चुनाव-बैठक आयोजित कर ली थी। इस मंच में समाजवादी पार्टी के क्षेत्र से उम्मीदवारों को परिचय सम्मेलन जैसा आयोजन किया गया था जिसमें अखिलेश ने अपनी बात भी कही और आम दर्शकों की भेंट अपने मुंहलगे उम्मीदवारों से कराया। कहने की जरूरत नहीं कि इस सभा में अखिलेश ने इन सभी उम्मीदवारों के साथ ही साथ अपनी सरकार समाजवादी पार्टी की उपलब्धियों पर भी चर्चा कीं और मोदी-मायावती पर चुटीले नश्तर भी चुभाते हुए जमकर तालियां बटोरीं।
लेकिन इसके पहले अमेठी के से समाजवादी के उम्मीदवार और अखिलेश सरकार में कमाओ विभाग संभाल कर खासे विवादित हो चुके गायत्री प्रजापति ने अपने मन की बात कही। गायत्री ने कहा उन्होंने बलात्कार नहीं किया, जिस का आरोप उन पर लगाया किया है और जिस पर सर्वोच्च न्यायालय केआदेश पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है। गायत्री ने कहा वह एक सदाचारी ईमानदार और जन प्रति समर्पित नेता हैं। अपनी बात कहते-कहते हुए ही अचानक गायत्री अपना बुक का बुक्का फाड़ कर दहाडें मारते हुए भें-भों रोने लगे। गमछे से अपनी नाक पोंछते हुए रोते-रोते अचानक मंच से उतर गए कि बाकी बात तो अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही करेंगे।
लेकिन इसके बावजूद इसके बाद अखिलेश जब मंच पर पहुंचे तो उनके साथ अरुण वर्मा तो बगलगीर थे, लेकिन गायत्री प्रजापति कहीं दूर-दूर तक दिख रहे थे। अखिलेश के और मंच छोड़ने के बीच एक बार भी गायत्री प्रजापति को मंच पर बुलाने की कोई भी कोशिश नहीं की गई। जानकार बताते हैं कि गायत्री प्रजापति को जान-बूझ कर ही मंच से दूर रखा गया था। कारण था अखिलेश की इच्छा। सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव यह नहीं चाहते थे कि वे अपने मंच पर वे गायत्री को बगल में बिठायें।
आपको बता दें कि एक महिला के साथ कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार करने और उसकी अल्पवयस्क बच्ची को भी यौन शिकार बनाने के आरोप में गायत्री प्रजापति इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहे हैं। अपनी चमचागिरी और अकूत अवैध दौलत के बल पर खुद को सबसे बड़ा बलशाली मानने वाले गायत्री आजकल संकट में हैं।सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गायत्री के खिलाफ संगीन धाराओं पर मामला दर्ज हो चुका है लेकिन हैरत की बात है कि अखिलेश सरकार ने इस मुकदमा दर्ज होने के बाद गायत्री प्रजापति को वाई श्रेणी गीत सुरक्षा मुहैया कर दिया।
लेकिन हैरत की बात है की किसी क्षेत्र के एक विधायक अरुण वर्मा को अखिलेश यादव ने अपने इसी अमेठी अमेठी चुनावी सभा में अपना बगलगीर बनाए रखा, जिस पर 3 साल पहले एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार का आरोप लग चुका था। अब सवाल तो यह है कि क्या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किसी बलात्कारी का श्रेणीकरण करने का अभियान छेड़ेंगे।
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