स्‍वामी प्रसाद मौर्या तो हमेशा से ही रहे हैं घटिया राजनीति में कमीनगी के सर्वोपरि प्रतीक

मेरा कोना

: भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी अब मौर्या के अतीत की सीवन उधेड़ना शुरू कर दिया : आम्‍बेदकर टुड़े नामक पत्रिका में स्‍वामी प्रसाद मौर्या ने छापा था कि ब्रह्मा बेटी-चोद था : नारियों के प्रति यह घिनौनी सोच का असर बसपा की नस-नस में रची-बसी है : अब तो स्‍वामी प्रसाद मौर्या को पार्टी से निकाल बाहर करने पर आमादा है भाजपा के कार्यकर्ता :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह रिपोर्ट मैंने करीब छह साल पहले की एक बेहद घटिया और शर्मनाक घटना के बाद लिखी गयी थी। उस समय में इस अम्‍बेडकर टुडे पत्रिका में हिन्‍दुओं के पूज्‍य भगवान ब्रह्मा जी के साथ निहायत शर्मनाक और घटिया मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए उन्‍हें बेटी-चोद का सम्‍बोधन किया था।

तब मैं न्‍यूज चैनल महुआ-न्‍यूज का यूपी प्रभारी हुआ करता था। अचानक एक दिन यह पत्रिका मुझे दिखी। वैसे भी मैं डॉ भीमराव आम्‍बेदकर के बारे में खूब पढ़ता रहा हूं। आम्‍बेदकर की जितनी भी किताबें-रचनाएं-भाषण वसंत मून द्वारा अनुवादित किया गया है, मैं उन्‍हें खूब बांच चुका था। खासतौर पर उन किताबों पर जिनमें उनके भाषण हुआ करते थे। जमीन से जुड़ी सोच का मालिक है आम्‍बेदकर, आज भी मैं मानता हूं। दो चिन्‍तकों को मैं बेहद सम्‍मान देता हूं, उनमें लोहिया जी और आम्‍बेदकर जी। लोहिया जी ने योनि की शुचिता और आम्‍बेदकर ने छोटी जोत की समस्‍या के विषय पर जिन मसलों को छुआ था, वे लाजवाब और बेमिसाल व साहसिक भी हैं।

बहरहाल, आज आम्‍बेदर या लोहिया पर मैं चर्चा नहीं करना चाहता। मैं तो उस घटिया मसले पर पत्रिकारिता को कलंकित कर रहे लोगों पर चर्चा कर रहा हूं, जिनका न पत्रकारिता से कोई लेना है और न ही भाजपा से। लेकिन आम्‍बेदकर टुडे जैसी पत्रिका में स्‍वामी प्रसाद मौर्या ने अपनी जिन घृणास्‍पद विचारधारा फैलायी थी, वे उनके, बसपा के लिए तो है ही, भाजपा के लिए भी है। आम्‍बेडकर टूड़े नामक इस पत्रिका के संरक्षक हुआ करते थे तब के बसपा के वरिष्‍ठ दिग्‍गज स्‍वामीप्रसाद मौर्या, जो अब भाजपा और भाजपा की मनुवादी सोच के तलवे चाटते हुए भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पिछले दो दिनों से भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कई स्‍थानों पर स्‍वामी प्रसाद मौर्या को भाजपा में शामिल करने के विरोध में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है।

पार्टी की भाइचारा कमेटियों के बारे में उसके नेताओं की मानसिकता का अंदाजा केवल इसी बात से लग जाता है कि इस पत्रिका के संरक्षक स्वामीप्रसाद मौर्य, बाबूसिंह कुशवाहा, पारसनाथ मौर्य, नसीमुददीन सिददीकी, दददू प्रसाद और सुषमा राना आदि के नाम संरक्षक के तौर पर प्रकाशित किये गये हैं ताकि जनता में पत्रिका के लोगों की धाक बनी रहे। इसी तर्क के आधार पर इस पत्रिका के लोगों को अफसरों वाली कालोनी में एक फ्लैट भी आवंटित है। ‘बुद्ध के उपदेशों का आधार सहज बु़द्धि और वास्तविकता है’ का नारा देकर प्रकाशित हो रही इस पत्रिका का डा. अंबेडकर के विचारों से भले ही कोई लेना देना न हो, लेकिन अपने तीखे-जहरीले शब्दों के चलते इस पत्रिका के संपादक डा. राजीव रत्न के पिता पारसनाथ मौर्य प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी पर जरूर जमे बैठे हैं। अब जरा एक नजर देख लीजिए कि इस पत्रिका में मध्यप्रदेश के मुरैना जिला में जौरा के पगारा रोड निवासी किन्हीं अश्विनी कुमार शाक्य के शब्दों को किस तरह प्रकाशित किया गया है।

ताजी सूचना के मुताबिक प्रदेश सरकार ने इस पत्रिका की सभी प्रतियों को जब्त कर लेने के आदेश दिये हैं और इस पत्रिका का टाइटिल निरस्त करने के लिए जौनपुर के डीएम को निर्देशित किया है। गृह सचिव दीपक कुमार ने इस बारे में बताया कि मामले की सीबीसीआईडी जांच के आदेश भी दे दिये गये हैं। लेकिन हैरत की बात है कि पत्रिका के सम्पादक राजीव रत्न का कहना है कि यह लेख उनकी गैर-जानकारी में छप गया था। इतना ही नहीं, राजीव रत्न ने अपनी पत्रिका में संरक्षक के तौर पर प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों के नाम प्रकाशित करने के बारे में कहा है कि यह काम उन्होंने बिना उन मंत्रियों की सहमति से किया। दीपक कुमार के अनुसार राजीव रत्न ने इसके लिए क्षमायाचना भी की है। दीपक कुमार बताते हैं कि राज्य सरकार ने इस बारे में राजीव रत्न से स्पष्टीकरण भी मांगा था। मैग्जीन के मुख्य पृष्ठ को नीचे देख सकते हैं। (क्रमश:)

भाजपा में अब मनुवाद के तलवे चाटने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य की पहले की घिनौनी राजनीति को पढ़ने-समझने के लिए कृपया निम्‍न लिंक को क्लिक कीजिए :- ब्रह्मा ‘बेटी-चो–‘

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