सुप्रीम कोर्ट बोली माफी मांगो। प्रशांत भूषण बोले मेरा ठेंगा

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: अवमानना केस में हालत सांप-छुछूंदर सी : काहे की माफी, और क्‍यों उदारता की याचना : मैं महात्‍मा गांधी की डगर पर हूं, सजा भुगतने को तैयार :
दोलत्‍ती संवाददाता
नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट में अब एक अभूतपूर्व हालत बन गयी। अवमानना के दोषी करार दिये गये वरिष्‍ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ से कहा कि वे माफी नहीं मागेंगे और न ही उनके प्रति किसी भी तरह की उदारता बरतने की अपील करते हैं। जो भी सजा होगी, स्वीकार करेंगे। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने प्रशांत भूषण के पक्ष में दलीलें दीं और कोर्ट से अपील की कि उन्हें कोई सजा न दी जाए। फिलहाल कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दो-तीन दिनों की मोहलत दी है कि वे माफी मांग लें।
ज्ञातव्‍य है कि अदालत की पीठ ने आज प्रशांत भूषण पर चल रहे अवमानना के मामले की सुनवाई की और बाद में उनके बयान पर पुनर्विचार करने के लिए 2-3 दिन का समय दिया लेकिन वरिष्ठ वकील ने कहा कि इस तरह बेवजह समय देना कोर्ट के समय को बर्बाद करना होना। उन्होंने बहुत सोच-समझकर अपना बयान दिया है। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपना बयान दायर करते हुए कहा कि उन्हें दुख है कि जिस न्यायालय की महिमा को कायम रखने के लिए वे पिछले तीन दशक से काम करते आ रहे हैं, उसी कोर्ट की अवमानना का दोषी क़रार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि उनके बयान में परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। पूरी सुनवाई के दौरान पीठ इस बात पर जोर देती रही कि यदि भूषण गलती मान लेते हैं या उन्हें अपनी गलती का बोध होता है तो कोर्ट माफ करने की दिशा में सोच सकती है। दो ट्वीट्स के चलते अदालत की अवमानना का दोषी करार दिए जाने पर प्रशांत भूषण ने कोर्ट में विस्तार से कहा किमैंने इस माननीय कोर्ट के पूरे फैसले को पढ़ा है। इस बात का मुझे बहुत दुख है कि मुझे कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया गया है. वही कोर्ट जिसकी महिमा को बरकरार रखने के लिए पिछले तीन से ज्यादा दशकों से मैं एक दरबारी या जय-जयकार करने वाले के रूप में नहीं, बल्कि एक विनम्र-रक्षक रहा हूं।

दुखी हूं कि मुझे गलत समझा गया है। मैं हैरान हूं कि अदालत ने मुझे न्याय के प्रशासन की संस्था पर ‘दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक, सुनियोजित हमला’ करने का दोषी ठहराया है। मैं इस बात से निराश हूं कि अदालत इस तरह का हमला करने के पीछे मेरे उद्देश्यों का कोई सबूत प्रदान किए बिना इस निष्कर्ष पर पहुंची है। मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि मैं निराश हूं कि अदालत ने मुझे उस शिकायत की एक प्रति भी देना जरूरी नहीं समझा जिसके आधार पर स्वत: संज्ञान नोटिस जारी किया गया था और मेरे जवाबी हलफनामे में उठाई गईं बातों तथा मेरे वकील द्वारा दी गई दलीलों का भी जवाब देना आवश्यक नहीं समझा। मेरे लिए यह विश्वास करना बहुत मुश्किल है कि कोर्ट ने पाया है कि मेरे ट्वीट में ‘भारतीय लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण संस्थान की नींव को हिलाने की क्षमता है।’ मैं सिर्फ वही बात दोहरा सकता हूं कि ये दोनों ट्वीट मेरे निजी विचार और अभिव्यक्ति हैं, जिसकी इजाजत किसी भी लोकतंत्र में दी जानी चाहिए।
प्रशांत भूषण ने कहा कि मेरे ट्वीट्स हमारे गणतंत्र के इतिहास के इस मोड़ पर अपनी जिम्मेदारी निभाने की एक छोटी सी कोशिश थी। मैंने बिना सोचे समझे ये ट्वीट नहीं किए थे. मेरे द्वारा किए गए ट्वीट के लिए माफी मांगना निष्ठाहीन और अवमानना होगा, जिसे लेकर अब भी मेरे विचार वही हैं और उसमें मेरा विश्वास है.इसलिए मैं विनम्रतापूर्वक उसी बात को दोहरा सकता हूं, जो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने ट्रायल के दौरान कहा था कि मैं क्षमा नहीं मांग रहा हूं। मैं उदारता की अपील नहीं करता हूं। मैं यहां इसलिए हूं ताकि अदालत द्वारा निर्धारित अपराध के लिए मुझे कानून के अनुसार दिए गए किसी भी दंड को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार कर सकूं और यह मेरे लिए एक नागरिक का सर्वोच्च कर्तव्य प्रतीत होता है।
मालूम हो कि जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया है और सजा पर निर्णय लिया जाना अभी बाकी है। 27 जून को एक ट्वीट करते हुए भूषण ने पिछले छह सालों में औपचारिक आपातकाल के बिना लोकतंत्र की तबाही के लिए सुप्रीम कोर्ट के अंतिम चार मुख्य न्यायाधीशों जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस जेएस खेहर की भूमिका की आलोचना की थी।
खास बात ये है कि इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी प्रशांत भूषण का समर्थन किया और कोर्ट से गुजारिश की कि वे उन्हें कोई सजा न दें। वेणुगोपाल ने कहा, ‘मेरे पास नौ जजों की लिस्ट है, जिन्होंने कहा है कि न्यायपालिका के उच्च पदों में भ्रष्टाचार है। मैंने खुद 1987 में कहा था।’ हालांकि इस मामले में पीठ ने अटॉर्नी जनरल को नहीं सुना। कोर्ट ने कहा कि 14 अगस्त के फैसले के संबंध में प्रशांत भूषण अपने बयान पर 2-3 दिन विचार करके जवाब दायर करें।

1 thought on “सुप्रीम कोर्ट बोली माफी मांगो। प्रशांत भूषण बोले मेरा ठेंगा

  1. गुरुवर।सादर साष्टांग दंडवत् प्रणाम्–माफी काहे कि जांच कराओ–@लोकपाल को केस रिफर करो–@सुप्रीम कोर्ट कैसे सुनने को तॆय्यार–ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरूद्ध है—अगर आरोप है तो सिध्दता का भार किसका ??या तो न्यायालय भूषण से सबूत मांगे–अगर सबूत न दे तो गिरफ्तार कर जेल भेज दो दो साल की सजा सुनाकर –या अपनी जांच कराओ –@सारे जज अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे –जो छुपाऐ वो संपत्ति भारत सरकार की —बात न्याय की है तो करो –@माफी की ड्रामा कैसा??

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