सुब्रत राय भी बोला:- भाग बोस डीके ! आंधी आई

दोलत्ती


: भ्रामक, सत्‍य व झूठा विज्ञापन जारी किया है सुब्रत राय ने : ऐलानिया कुबूल किया कि उसका फ्राडगिरी का धंधा बंद :
कुमार सौवीर
लखनऊ : आपने मंगलवार के अखबारों को बांच लिया है न। तब तो ठीक ही है। लेकिन अगर ठीक से नहीं पढ़ा है, या फिर सरसरी नजर से देखा है, या फिर सुब्रत राय या सहारा इंडिया के प्रति आपकी अगाथ श्रद्धा बची हुई है, तो फिर हमारी गुजारिश है कि इस विज्ञापन में आप एक बार फिर पढि़येगा जरूर। आपको पता चल जाएगा कि सुब्रत राय ने इस विज्ञापन में क्‍या-क्‍या शातिराना अंदाज पेश किया है, और किस तरह झूठ का पुलिंदा अपने आम निवेशकों के सामने परोसा है। उन निवेशकों के साथ, जो अपने निवेशक को लेकर पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। लेकिन उन सुब्रत राय और उसकी कम्‍पनी की धोखाबाजी से आज भी उसके लाखों निवेशकों को एक बार फिर एक जोरदार और करारी चोट देने की साजिश बुन दी गयी है सुब्रत राय के इस विज्ञापन के तहत।
दरअसल, सरासर झूठ बोलने और इसकी टोपी उसके सिर पर पहनाने के धंधे में माहिर सुब्रत राय को खासी महारत है। इसी करामत ने उसने सहारा इंडिया को आसमान तक पहुंचाया था। लेकिन चूं‍कि वह पूरी आलीशान इमारत सिर्फ बालू में झूठ-धोखाबाजी के फेवीकोल से खड़ी गयी थी, इसलिए अचानक एक झटके में ही भरभरा का ढहने की नौबत पर आ चुकी है। नतीजा यह हुआ कि सुब्रत राय को सुप्रीम कोर्ट ने बरसों तक जेल में बंद रखा। सच बात तो यही है कि अपने इस काले धंधे में सिर्फ सुब्रत राय ही नहीं, बल्कि उसके चक्‍कर में उसके लाखों निवेशक और पूरी की पूरी सहारा इंडिया कम्‍पनी भी पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।
मगर सुब्रत राय अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहे है। मंगलवार को करोड़ों रूपये फूंकते हुए सुब्रत राय ने अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन छपवा कर ऐलानिया कुबूल कर लिया है कि उसका फ्राडगिरी वाला धंधा अब हमेशा-हमेशा के लिए बंद होने जा रहा है। यानी कहानी खत्‍म हो चुकी है, और उसके निवेशकों को थमा दिया गया है बाबाजी का ठिल्‍लू। अपनी बीमारियों का ठीकरा सुप्रीम कोर्ट पर थोप रहे हैं सहाराश्री। इस विज्ञापन में अब बोले कि हम अपनी प्रॉपर्टी बेचेंगे तो सेबी खींच लेगा। हम क्‍या करें, समझ में ही नहीं आ रहा है, क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे-ऐसे पेंच फंसा दिया है कि हम बेबस हो चुके हैं। यानी हम हैं पक्के ठनठन-गोपाल, जाहिर है कि आज पौन पेज के विज्ञापन में सुब्रत राय ने यह साबित ही किया है कि वह पूरी तरह बिल्कुल नंगा हो चुका है भरे बाजार में।
सही शब्दों में सुब्रत राय बोले कि हम पैसा नहीं दे सकते। सुप्रीम कोर्ट और सेबी ने बहुत सारे प्रतिबंध लगा रखे हैं सहारा पर, ऐसी हालत में अपने निवेशकों से हुए वायदों को पूरा कर पाने में असमर्थ हैं। बोले कि 22000 करोड़ों की रकम सहारा में आएगी लेकिन वह कब आएगी, यह अब अल्लाह ही जाने। लाखों निवेशकों का रुपया लुटवा चुका सुब्रत राय अब कसमें खाता है कि निवेशकों का हित उसके लिए सर्वोपरि था। बोले:- भ्रामक प्रचार से आप लोग विचलित न हों। पैसा मिलेगा। लेकिन कब मिल पायेगा, यह नहीं पता। सहारा की ढोंगी में लबालब पानी भरा है। मगर सुब्रत राय अपने निवेशकों को आश्वस्त करते हैं कि डोंट वरी। मगर इस बात का जवाब नहीं दिया है सुब्रत राय ने, कि बेईमानी तो सुब्रत राय और सहारा इंडिया ने की थी, लेकिन अब सेबी पर उंगली क्‍यों रखी जा रही है। सेबी तो निगरानी संस्था है और सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च प्राधिकरण, लेकिन उसको भी छोड़ दिया जाए, तो भी सुब्रत राय ने दो-कौड़ी की जमीन सैकड़ों गुना ज्‍यादा कीमत देकर खरीदी थी। आखिरकार क्‍यों। और अब बताते हैं कि मार्केट में जमीनों की हालत कमजोर है।
करोड़ों रुपया विज्ञापन पर फूंकने वाले सुब्रत राय ने इस तथ्‍य को छिपा लिया है कि यह सारी की सारी करतूतें खुद सुब्रत राय और उनकी कम्‍पनी सहारा इंडिया के मैनेजरों की है। लेकिन बेशर्मी का आलम यह देखिये कि अपनी बेईमानी की जिम्मेदारी यह लोग सुप्रीम कोर्ट और सेबी पर थोप रहे हैं।सच बात तो यह है कि देश को भ्रामक और सत्‍य से परे व झूठा विज्ञापन जारी किया है सुब्रत राय। खत पर अपना नाम लिखा है सहाराश्री, जबकि सुब्रत राय नेअपना नाम खुद ही रख दिया है सुब्रत राय सहारा। यानी सहारा की बल्‍ले बल्‍ले और मक्‍खन मलाई, जबकि बेसहारा हो गया निवेशक, बेसहारा।

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