स्‍टेमसेल्‍स बनाने का तरीका समझ लीजिए। जैसे हड्डी का गूदा या फिर रहीम का पाया

सैड सांग

: कबाब या कोरमा की तरह बनाया जाता है स्‍टेमसेल्‍स : डॉक्‍टर काबिल हो सकते हैं, लेकिन अंदाज बेहूदा है। जागरण का सबसे ज्‍यादा : यह सिर्फ पेड-न्‍यूज है, बेशर्मी भी : जैसे सेरीडॉन, जैसे मदर-टिंचर, जैसे कबाब-परांठा, वैसे ही समझा गया सो-कॉल्‍ड जैव-चिकित्‍सक : एक डॉक्‍टर ने घुटने में नया लिंग प्रत्‍यारोपित कर चुका :

कुमार सौवीर

लखनऊ : चिकित्‍सा जगत अब बहुत आगे बढ़ चुका है। खास तौर पर भारत में चिकित्‍सा पद्याति और उनके लाजवाब व अद्भुत शोध। विकसित देश के चिकित्‍सक और वैज्ञानिक टापते ही रहते हैं, लेकिन उसके पहले ही भारत के चिकित्‍सक बाजी मार लेते हैं। सच बात तो यह है कि हमारे देश की प्रयोगशालाओं में अब डॉक्‍टरों की भागीदारी, सक्रियता तो खैर लाजवाब है ही, आम आदमी भी चिकित्‍सकीय प्रयोगों को अब गली-मोहल्‍लों में निपटाने में जुट गया है। आप कल्‍पना तक नहीं कर सकते, जितना हमारे डॉक्‍टर कर डालते हैं। मसलन, मरीज के घुटनों में एक नया लिंग प्रत्‍यारोपित कर देना, 35 किलो का ट्यूमर ऐसे निकाल लेना मानो वह गाल पर कोई मामूली फुंसी-कील हो। अब अब तो एक नया कमाल कर दिया है मुम्‍बई के दो डॉक्‍टरों ने। उन्‍होंने स्‍टेमसेल्‍स के जरिये मरीजों के मस्तिष्‍क के ऊतकों को नये तरीके से और नये-नये ऊतक बना डाले हैं। लेकिन इतना  भी होता तो कोई दिक्‍कत नहीं थी। इन डॉक्‍टरों ने इन स्‍टेमसेल्‍स को जिस तरह से बनाया है, वह सुन कर किसी की भी आंखें फट सकती हैं, फैल सकती हैं, चिर सकती हैं। तरीका इतना आसान, कि आप अपने घर में ही उसे बना सकते हैं। ठीक उसी तरह, जैसे कोरमा, बंदगोश्‍त, बिरयानी या दो-प्‍याजा पकाया जाता है।

जी हां, दैनिक जागरण ने आज 14 सितम्‍बर-17 को यह खबर छापी है। हालांकि यह खबर कुकरी-टेस्‍ट यानी होमसाइंस के पन्‍नों पर छपनी चाहिए थी, लेकिन उससे क्‍या। जागरण का ही तो सारे पन्‍ने हैं न यह सब, इसलिए जहां मन किया छाप लिया। बस टेस्‍ट ही आना चाहिए।

तो खबर यह है कि स्‍टेमसेल्‍स पर एक व्‍याख्‍यान किसी प्रयोगशाला या स्‍ट्रेचर अथवा ऑपरेशन में नहीं, बल्कि सीधे एक होटल में हुई। अब यह पता नहीं कि उस व्‍याख्‍यान में डॉक्‍टर आये, ठेलियावाले पहुंचे, ड्राइवरों का जमावड़ा हुआ या फिर पतंगबाजों का जमघट, लेकिन खबर बहुत बड़ी छाप दी जागरण ने। इसमें स्‍टेमसेल्‍स के माध्‍यम से मस्तिष्‍क के खराब ऊतकों को हटा कर उनकी जगह नये ऊतक उगाने का दांवपेंच शामिल हैं। वैसे सच यही है कि इस खबर को प्रथमदृष्‍टया कोई भी फर्जी ही मानेगा।

दैनिक जागरण से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए नीचे दिये लिंक पर क्लिक कीजिए:-

स्‍टेमसेल्‍स

खबर के अनुसार दावों के अनुसार इस व्‍याख्‍यान में कथित मुम्‍बई के तथाकथित डॉक्‍टर आलोक शर्मा और डॉ नंदिनी ने एक बच्‍चे का इलाज किया। दावे के अनुसार इसमें बोनमेरो निकाल कर उसे मशीन में रखा गया, और चार-पांच घंटे में न जाने क्‍या-क्‍या निकाला गया और उसे बच्‍चे में इंजेक्‍शन के जरिये में लगा दिया गया। बस, फिर क्‍या था। वह सीधे बुलेट-ट्रेन लपक फ्यूड उस बच्‍चे के मस्तिष्‍क में गया और खतरों के खिलाड़ी अंदाज में जैसे अक्षय कुमार या शाहरूख खान करते हैं न फिल्‍मों में, ठीक उसी तरह आनन-फानन दिमाग के ऊतकों को ठीक कर वापस अपने ठीहे पर पहुंच गया।

डॉक्‍टरों से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

भगवान धन्‍वन्तरि

अगर आप यह नहीं समझ पाये हैं तो कुछ इस तरह समझने की कोशिश कीजिए, कि लखनऊ अकबरी गेट में करीम वाली दूकान में जिस तरह पाया-कुल्‍चा पकता है, उसी तरह यह काम हुआ। मतलब करीब ने पहले कसाई बाड़ा से बकरा, मेंढ़ा, भैंसा अथवा सुअर का आवश्‍यतानुसार पाया खरीदा, फिर पाया को धो-साफ कर उसे आग पर चढ़ा दिया। स्‍टोव पर यार, स्‍टोव पर। हां, हां कड़ाहा पर। फिर मसाला डाला, चर्बी पहले से थी। कड़ाहा पर ढक्‍कन लगा दिया थाबे, ढक्‍कन कहीं के। फिर वह धीमे-धीमे वह खुदबुद-खुदबुद पकता रहा और चार-पांच घंटों में पक कर तैयार हो गया। तश्‍तरी पर परोसा गया, कुलचों के साथ। और गपागप पेट में होते हुए अगले दिन बाहर निकल गया।

पत्रकारिता से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

पत्रकार पत्रकारिता

अब आप समझ गये हैं न, या फिर आपको किसी दूसरे तरीके से समझाया जाए।

कुछ भी हो, मुझे तो यह खबर तो सीधे फर्जी लगती है। मसलन, इस इलाज में महज तीन इंजेक्‍शन लगाये गये, बस कम्‍प्‍लीट। यह फर्जी मामला है। और फिर स्‍टेमसेल्‍स का मामला प्रयोगशाला का है, उसे होटल में खींचने का क्‍या औचित्‍य। खबर में केवल दो ही डॉक्‍टरों का नाम है, वह भी अनजान से। कौन-कौन लोग उसमें शामिल थे, यह तक पता नहीं।

ख़ास खबर: घुटने में होगा कृत्रिम लिंग का प्रत्यारोपण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *