कोई भी फर्जी खबर हो, जागरण में छपवा लो

सैड सांग

: स्‍टेमसेल्‍स पर एक फर्जी खबर झमाझम बतायी दो डॉक्‍टरों ने, जागरण ने उचक के छाप दिया : प्रयोगशालाओं में बेहद शैशवावस्‍था में है स्‍टेमसेल्‍स का मामला, ऐसे में किसी होटल में व्‍याख्‍यान का औचित्‍य बेमानी : बस दो अनजान लोगों के नाम-फोटो के बल पर हाहाहूती खबर छप गयी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : डीएनए को लेकर देश की इकलौती हैदराबाद स्थित आधुनिकतम प्रयोगशाला का नाम है सीसीएमबी। यानी सेंटर फॉर सेल्‍युलर ऐण्‍ड मॉलिक्‍यूलर बायोलॉजी। इसके निदेशक रह चुके हैं पद्मश्री डॉक्‍टर लालजी सिंह। हाल ही बीएचयू के कुलपति से पद से सेवानिवृत्‍त हो चुके लालजी सिंह का नाम भारत में स्‍टेमसेल्‍स और डीएनए शोध में सर्वोच्‍च माना जाता है। लालजी सिंह के अनुसार स्‍टेम सेल्‍स भविष्‍य में मानव चिकित्‍सा की दिशा में एक बेहद कारगर चिकित्‍सा-पद्यति होगी। लेकिन लखनऊ के दो डॉक्‍टरनुमा लोगों ने दावा किया है कि उन्‍होंने स्‍टेमसेल्‍स पर ठोस न केवल काम कर लिया है, बल्कि डोज भी तय करने के साथ ही उसे मरीजों को देना भी शुरू कर दिया है। हैरत की बात है कि इस बात का जोरदार प्रचार नुमा अभियान अब दैनिक जागरण ने बजाने का दायित्‍व अपने मजबूत कंधों पर सम्‍भाल लिया है।

यह हालत है उस अखबार की, जो देश में अपनी विश्‍वसनीयता का सबसे ज्‍यादा ढोल बजाता है। मामला है आज गुरूवार 14 सितम्‍बर-17 का। पाठकों के हिसाब से जागरण के आठवें पन्‍ने पर, लेकिन दैनिक जागरण के चौथे पृष्‍ठ की बॉटम लीड खबर छपी है, जिसका नाम है:- स्‍टेमसेल से ऑटिज्‍म का बेहतर इलाज। बाकायदा तीन कॉलम की खबर है यह जिसमें एक बड़ी फोटो भी छापी गयी है। लिखा गया है कि यह इस बारे में हजरतगंज के एक बड़े होटल में एक व्‍याख्‍यान हुआ था।

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आश्‍चर्य की बात है कि इस व्‍याख्‍यान में केवल दो डॉक्‍टरों का ही नाम है, बाकी यह तक नहीं लिखा है कि इस व्‍याख्यान में कौन-कौन आया था। यह व्‍याख्‍यान वेटरों के बीच हुआ, या फैक्ट्रियों में। इसमें अर्थशास्‍त्र के लोग जुटे थे या फिर नगर निगम के लोग।

फिलहाल, आप यह खबर पढि़ये। इस खबर का दूसरा हिस्‍सा आपको थोड़ी देर में भेजा जाएगा।

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